प्रौढ़ शिक्षा

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

साँचा:asbox प्रौढ़ शिक्षा का उद्देश्‍य उन प्रौढ व्‍यक्तियों को शैक्षिक विकल्‍प देना है, जिन्‍होंने यह अवसर गंवा दिया है और औपचारिक शिक्षा आयु को पार कर चुके हैं, लेकिन अब  वे साक्षरता, आधारभूत शिक्षा, कौशल विकास (व्‍यावसायिक शिक्षा) और इसी तरह की अन्‍य शिक्षा सहित किसी तरह के ज्ञान की आवश्‍यकता का अनुभव करते हैं। प्रौढ़ शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से पहली पंचवर्षीय योजना से अनेक कार्यक्रम शुरू किए गए हैं, जिनमें सबसे प्रमुख राष्‍ट्रीय साक्षरता मिशन (एन एल एम) है, जिसे समयबद्ध तरीके से 15-36 वर्ष की आयु समूह में अशिक्षितों को कार्यात्‍मक साक्षरता प्रदान करने के लिए 1988 में शुरू किया गया था। 10वीं योजना अवधि के अंत तक एन एल एम ने 127.45 मिलियन व्‍यक्तियों को साक्षर किया, जिनमें से 60 प्रतिशत महिलाएं थीं, 23 प्रतिशत अनुसूचित जाति (अजा) और 12 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति (अजजा) से संबंधित थे। समग्र साक्षरता अभियान के अंतर्गत 597 जिलों को शामिल किया गया था, जिनमें 502 साक्षरता पश्‍चात  चरण और 328 सतत शिक्षा चरण में पहुंच गए हैं।

2001 की जनगणना में पुरूष साक्षरता 75.26 प्रतिशत दर्ज की गई थी, जबकि महिला साक्षरता 53.67 प्रतिशत के अस्‍वीकार्य स्‍तर पर थी। 2001 की जनगणना ने यह भी खुलासा किया कि साक्षरता में लैंगिक और क्षेत्रीय भिन्‍नताएं मौजूद रही हैं। अत: प्रौढ़ शिक्षा और कौशल विकास मजबूत करने के लिए भारत सरकार ने 11वीं योजना में दो स्‍कीमें नामत: साक्षर भारत और प्रौढ़ शिक्षा एवं कौशल विकास हेतु स्‍वैच्छिक एजेंसियों को सहायता की स्‍कीम शुरू की। साक्षर भारत, जो पूर्ववर्ती एन एल एम का नया रूपभेद है, निम्‍नलिखित लक्ष्‍य निर्धारित किया : साक्षरता दर को 80 प्रतिशत तक बढ़ाना, लैंगिक अंतर को 10 प्रतिशत तक कम करना और महिलाओं, अजा, अजजा, अल्‍पसंख्‍यकों और अन्‍य वंचित समूहों पर फोकस के साथ क्षेत्रीय और सामाजिक विषमताओं को कम करना। साक्षरता स्‍तर पर ध्‍यान दिए बिना वाम विंग अतिवाद प्रभावित जिले सहित उन सभी जिलों, जिनमें 2001 की जनगणना के अनुसार महिला साक्षरता दर 50 प्रतिशत से कम थी, इस कार्यक्रम के अंतर्गत शामिल किए जा रहे हैं।

भारत का साक्षरता परिदृश्य:2011 की जनगणना से यह प्रकट होता है कि भारत ने साक्षरता में उल्‍लेखनीय प्रगति की है। भारत की साक्षरता दर 72.98 प्रतिशत है। पिछले दशक की समग्र साक्षरता दर में 8.14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है (2001 में 64.84 प्रतिशत और 2011 में 72.98 प्रतिशत) पुरूष साक्षरता दर में 5.62 प्रतिशत (2001 में 75.26 प्रतिशत और 2011 में 80.88 प्रतिशत) जबकि महिला साक्षरता दर में 10.96 प्रतिशत (2001 में 53.67 प्रतिशत और 2011 में 64.63 प्रतिशत) की वृद्धि हुई है। निरक्षरों की संख्‍या (7+ आयु समूह) 2001 में 304.10 मिलियन से घटकर 2011 में 282.70 मिलियन हो गई।

90 प्रतिशत से अधिक की साक्षरता वाले राज्य : केरल (94%), लक्षद्वीप(91.85%) एवं मिजोरम (91.33%)।

राष्ट्रीय स्तर (72.98%) और 90% से नीचे के बीच साक्षरता दर वाले राज्‍य : त्रिपुरा (87.22%), गोवा (88.70%), दमन एवं दीव (87.10%), पुडुचेरी (85.85%), चंडीगढ़ (86.05%), दिल्‍ली (86.21%), अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह (86.63%), हिमाचल प्रदेश (82.80%), महाराष्‍ट्र (82.34%), सिक्किम (81.42%), तमिलनाडु (80.09%), नागालैंड (79.55%), मणिपुर (76.94%), उत्तराखण्‍ड (78.82%), गुजरात (78.03%), दादरा एवं नागर हवेली (76.24%), पश्चिम बंगाल (76.26%), पंजाब (75.84%), हरियाणा (75.55%), कर्नाटक (75.36%) और मेघालय (74.43%)।

ग्रामीण क्षेत्रों में 77.15% की ग्रामीण पुरूष साक्षरता दर और 57.93% की ग्रामीण महिला साक्षरता दर के साथ साक्षरता दर 67.67% है, जबकि शहरी क्षेत्रों में 88.76%  की शहरी पुरूष साक्षरता दर और 79.11% की शहरी महिला साक्षरता दर के साथ साक्षरता दर 84.11% है।

अजा की साक्षरता दर 66.07% है (पुरूष अजा 75.17% और महिला अजा 56.46%) जबकि अजजा की साक्षरता दर 58.96% है (पुरूष अजजा 68.53% और महिला अजजा 49.35%)

साक्षरता के लिंग विभेद में 2001 में 21.59 प्रतिशत से 2001-2011 में 16.25 प्रतिशत होकर 5.34 प्रतिशत की कमी हुई है। 1991 से साक्षरता में लिंग अंतर में सतत् कमी होती रही है (24.84 प्रतिशत)।