प्रियादास
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प्रियादास नाभाजी द्वारा रचित भक्तमाल की कवित्तोंवाली प्रसिद्ध टीका 'भक्तिरसबोधिनी' के रचयिता हैं। इनका उपनाम रसरासि था। इनके दीक्षागुरु मनोहरराम चैतन्य संप्रदाय की राधारमणी शिष्यपरंपरा में थे।
भक्तिरसबोधिनी की रचना संवत १७६९ में पूर्ण हुई थी। इनकी अन्य रचनाएँ रसिकमोहिनी (सं. 1794), अनन्यमोहिनी, चाहवेली तथा भक्तसुमिरनी हैं।