प्राप्ति ( जरासंध कन्या )

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द्वापर युग में जरासन्ध की दो सुन्दर कन्याएं थी उनके नाम थे अस्ति और प्राप्ति दोनों का विवाह जरासन्ध ने अपने परम मित्र असुरराज कंस से विधिपूर्वक संपन्न कराया | कंस के वध के बाद अस्ति और प्राप्ति न्र अपने पिता जरासन्ध को सारी कहानी कह डाली और अपने दामाद की मौत का बदला लेने के लिए उसने मथुरा पर हमला किया | इन कन्याओं के अतिरित्क्त जरासन्ध का एक पुत्र भी था जिसका नाम था सहदेव | सहदेव पापी नहीं था वह धर्म का आचरण करता और सबकी मदद करता अपने पुत्र की इसी आदत से जरासन्ध बहुत परेशान था | उसने अपने पुत्र को पापी बनाना चाहा किन्तु सहदेव भी महादेव का भक्त था और भगवान शंकर की कृपा से ही वह ऐसा सज्जन पुरुष बना | जब जरासंध महादेव को ८६ राजाओं की बलि देने वाला था तब सहदेव ही ऐसा व्यक्ति था जो उसे रोकने का प्रयत्न किया था | अपने पिता जरासन्ध के वध के पश्चात् सहदेव बहुत डर गया था किन्तु श्रीकृष्ण ने उसे आशीर्वाद दिया और मगध का नया सम्राट बनाया | सहदेव ने मगध को एक बहुत धार्मिक राज्य बनाया तथा भटके मनुष्यों को भी महादेव और श्रीकृष्ण की भक्ति की राह पर ले आया |