प्रवेशद्वार:जैवप्रौद्योगिकी/चयनित प्रक्रिया

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[[चित्र:|100px|right|एक अंडाणु]]

इन व्रिटो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक तकनीक है, जिसमें महिलाओं में कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है। इस प्रक्रिया में किसी महिला के अंडाशय से अंडे को अलग कर उसका संपर्क द्रव माध्यम में शुक्राणुओं से कराया जाता है। इसके बाद निषेचित अंडे को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है। विश्व में पहली बार इस प्रक्रिया का प्रयोग यूनाइटेड किंगडम में पैट्रिक स्टेपो और रॉबर्ट एडवर्डस ने किया था। और इससे जन्मे बच्चे लुईस ब्राउन ने २५ जुलाई, १९७८ को मैनचेस्टर में जन्म लिया। भारत में पहली बार डॉक्टर सुभाष मुखोपाध्याय ने इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया था। इनके द्वारा तैयार की गयी परखनली शिशु दुर्गा थी, जो विश्व की दूसरी परखनली शिशु थी। इस तकनीक द्वारा मनचाहे गुणों वाली संतान और बहुत से रोगों से जीवन पर्यन्त सुरक्षित संतान उत्पन्न करने के प्रयास भी जारी है। बहुत से प्रयास सफल भी हो चुके हैं। विस्तार में...