प्रयोगपृष्ठ २
न्यूरोप्लास्टिसिटी
तंत्रिका तंत्र
हमारे तंत्रिका तन्त्र मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, और नसों से बना हुआ है। वे शरीर के सभी कामकाज को नियंत्रित करते हैं जैसे शरीर के सभी तंत्रों को नियंत्रण, विभिन्न संवेदनाओं के अनुभव तथा बात करने, सोचने, सीखने, याद रखने की क्षमता। तंत्रिका तंत्र दो प्रकार की कोशिकाओं से बना होता है। वो है, न्यूरान व न्यूरोग्लीया। प्रत्येक न्यूरान सेलबाडी (Soma) तथा दो सूत्र (Process) से बना हुआ है। एक्जान और डेन्ड्राइट इन सूत्रों के दो प्रकार होते है। एक्सोन कोशिका तंत्रिका आवेगों को शरीर से दूर ले जाते हैं। एक्सोन सिनेप्स नामक जंकशन पर समाप्त होता है। डेंडर्राइट कोशिका तंत्रिका आवेगों को शरीर की ओर संकेत लेते हैं। एक न्यूरॉन कोशिका झिल्ली से घिरा हुआ है और इस्में साइटोप्लाज्म, न्यूक्लियस तथा माइटोकॉन्ड्रियल इत्यादि जैसे कई अंगों मौजूद है । इसके अलावा, न्यूरान में न्यूरोफिब्रिला पाए जाते हैं, जो पतले धागे की तरह होते हैं और साइटप्लाज्म में नेट बनाते हैं। माइलिन शीथ कई हिस्सों में तंत्रिका तंत्र के चारों ओर लपेटा गया है। श्वान कोशिकाओं द्वारा इस माइलिन शीथ का निर्माण होता है। आवेगों की दिशा के आधार पर तंत्रिका कोशिकाओं को दो प्रकार में विभाजित किया गया है जो है अफंत न्यूरान की संवेदी आवेग रीढ़ की हड्डी या मस्तिष्क के आवेग को प्रसारित करता है तथा मोटर न्यूरान आवेग को केंद्र से परिधि तक पहुंचाता है।
संरचना के आधार पर, तंत्रिका तंत्र दो भागों में बाँटा गया है जैसे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सीएनएस), परिधीय तंत्रिका तंत्र (पीएनएस), स्व-निर्देशित तंत्रिका तंत्र (एएनएस)। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के तहत, सेरेब्रोस्पाइनल और रीढ़ की हड्डी के कार्ड परिधीय तंत्रिका तंत्र कोरोनरी और रीढ़ की हड्डी, स्वायत्त नसों और गैंग्लिया के अंतर्गत आते हैं।[१]
न्यूरोप्लास्टिसिटी
हमारे जीवन के नए सीख, अनुभव और अनुकूलन के अनुसार हमारे मस्तिष्क संरचना और संगठन में परिवर्तन आते है। हमारे मस्तिष्क के इस विशेषता को न्यूरोप्लास्टिसिटी कहते है। न्यूरोप्लास्टिसिटी का प्रवर्तन हेबियन सिद्धांत, "न्यूरॉन्स जो साथ प्रवर्तन करते है, एक साथ तार करते हैं तथा र्न्यूरॉन्स जो अलग हो जाते हैं, तार अलग करते हैं " के अनुसार है। न्यूरोप्लास्टिसिटी तंत्रिका मार्ग में परिवर्तन, न्यूरॉन्स में उत्तेजना में वृद्धि या कॉर्टिकल रीमेपिंग के माध्यम से हो सकती है। आमतौर पर विकासशील मस्तिष्क वयस्क मस्तिष्क की तुलना में प्लास्टिसिटी की उच्च डिग्री प्रदर्शित करता है। सेंसररी और मोटर प्रवर्तनों को मस्तिष्क क्षेत्रों पर मैप किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, पैर प्रवर्तनों के संवेदी जानकारी को एक कॉर्टिकल साइट पर मेप किया गया है और हाथ के प्रवर्तनों किसी अन्य कॉर्टिकल साइट पर मेप किया गया है। इस सोमेटोटोपिक संगठन के परिणामस्वरूप, शरीर के प्रतिनिधित्व एक मेप (या होमनकुलस) जैसा दिखता है। यदि कॉर्टिकल मानचित्र में से कोई भी क्षतिग्रस्त हो जाता है तो आसन्न क्षेत्र क्षतिग्रस्त प्रांतिक मानचित्र के कार्य को लेते हैं। [२]
न्यूरोप्लास्टिक के अनुप्रयोग
तंत्रिका प्लास्टिसिटी के कई उदाहरण हैं। अंगछेदन किए गए व्यक्तियों को अंगछेदन के जगह पर एक काल्पनिक दर्द की उपस्थिति का अनुभव करते हैं और इसे फेंटम अंग दर्द के रूप में जाना जाता है। अंगछेदन किए गए व्यक्तियों के गाल या बांह की कलाई छूने पर, विच्छेदन भाग पर सनसनी उत्पन्न होती है। फेंटम अंग दर्द तब होता है जब पड़ोसी कॉर्टिकल मानचित्र निष्क्रिय कॉर्टिकल मानचित्र के कार्य को लेते हैं जो एक अंग के विच्छेदन के कारण निष्क्रिय हो गया है।
वी एस रामचंद्रन नामक वैज्ञानिक ने फेंटम अंग दर्द और कॉर्टिकल रीमैपिंग के बीच के संबंध की खोज की थी। उन्होंने मिरर थेरेपी के मदद से फेंटम अंग दर्द कम करने का रास खोज निकाला। दर्पण चिकित्सा में दर्पण के पीछे अंगछेदन किए गए भाग और दर्पण के सामने स्वस्थ अंग को रख लेते है। दर्पण मे अंगछेदन किए गए भाग के स्थान पर एक स्वस्थ अंग की प्रतिबिंब दिखाई पडती है। अंगछेदन किए गए भाग के स्थान पर एक स्वस्थ अंग की उपस्थिति के इस भ्रम फेंटम अंग दर्द को कम करने में मदद करती है। [३]
जीर्ण दर्द के कारण प्री-फ्रंटल कार्टेक्स तथा दाएँ थैलेमस मे ग्रे मेटर की कमी दिख सकता है जिसके कारण दर्द प्रवर्धित होते है।
ध्यान अभ्यास में न्यूरोप्लास्टिसिटी के कारण ग्रे मेटर में वृद्धि, प्री-फ्रंटल कार्टेक्स के सक्रियण और अमिगडला के अति सक्रियण की कमी देखा गया है। इसका परिणाम तनाव में कमी है। [४]
व्यसन के दौरान डोपामीन और डोपामीन रिसेप्टर्स की मात्रा बढ़ जाती है जो आनंद की भावना को लाती है। यह न्यूरोप्लास्टिसिटी के कारण होता है। [५]
न्यूरोप्लास्टिसिटी फायदेमंद या हानिकारक हो सकते हैं।