प्रतियोगिता (अर्थशास्त्र)
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
अर्थशास्त्र के सन्दर्भ में, उस स्थिति को प्रतियोगिता या प्रतिस्पर्धा (competition) कहते हैं जिसमें किसी सीमित आवश्यकता वाले बाजार में विभिन्न फर्में अपन-अपना अंश बढ़ाने का प्रयत्न करतीं हैं। परम्परागत अर्थ-चिन्तन में, प्रतिस्पर्धा फर्मों को नए उत्पाद, सेवा या प्रौद्योगिकी के निर्माण की दिशा में ले जाती है जिससे उपभोक्ताओं को पहले से अधिक विकल्प एवं बेहतर उत्पाद प्राप्त होते हैं। अधिक विकल्प होने पर प्रायः उत्पाद का कम मूल्य देना पड़ता है। यदि प्रतिस्पर्धा न होती तो वही उत्पाद अधिक मूल्य पर मिलता।