पौंड्रक
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
पौंड्रक रूषदेश (मीरजापुर) का राजा था। भगवान् कृष्ण से उसके भीषण युद्ध के विषय में भागवत के दशमस्कंध उत्तरार्ध में वर्णित है।[१]
कथा पाैंड्रीक
रूषदेश के राजा पौंड्रक किसी अन्य के द्वारा भ्रमित हो स्वयं को कृष्ण समझने लगे। उन्होंने एक दूत को द्वारिका भेजा। दूत ने सभा में कहा, - "कृष्ण! तुम जो वासुदेव होने का ढोंग कर रहे हो उसे त्याग दो तथा हमारे प्रभु असली वासुदेव पौंड्रक के शरण में जाओ अथवा युद्ध करो।" इस बात को सुनकर सभा में उपस्थित सारे लोग हँस पड़े। भगवान् ने कहा कि दूत पौंड्रक को बता दे कि वह युद्ध हेतु अपना सुदर्शन तैयार रखे। दूत की यह बात सुनकर पौंड्रक ने गरुण रूपी विमान बनवाया, काठ के २ हाथ बनवाकर पीताम्बर धारण कर दो अक्षौहिणी सेना लेकर युद्ध हेतु निकाला। कृष्ण अकेले आए तथा अपने चक्र से उसकी सेना समाप्त कर, पौंड्रक को निरथ कर उसका वध कर दिया।[२]