पैड एबॉर्ट परीक्षण 1
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पैड एबॉर्ट टेस्ट 1 (Pad Abort Test 1) 17 नवंबर, 1963 को अपोलो अंतरिक्ष यान का पहला निरस्त परीक्षण था।
उद्देश्य
पैड एबॉर्ट टेस्ट 1 पैड से पलायन के दौरान अपोलो अंतरिक्ष यान पर प्रभाव की जांच करने का एक मिशन था। लॉन्च पलायन सिस्टम (एलईएस) अंतरिक्ष यान को आपातकाल की स्थिति में लॉन्च पैड पर रॉकेट से दूर करने में सक्षम होना था। लॉन्च पलायन सिस्टम ने योजना अनुसार अंतरिक्ष यान को बहुत कम समय में ही अधिक उचाई पर ले जाकर पैराशूट खोल दिया। अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक पानी पर उतारा गया। तथा यह अभियान सफल रहा था। दरअसल लॉन्च पलायन सिस्टम में बहुत कम समय में जल जाने वाले रॉकेट लगे होते हैं तथा रॉकेटो को उल्टा लगाया जाता है जिससे यह और तेजी से जलते हैं। इसलिए लॉन्च पलायन सिस्टम आपातकाल में बहुत कम समय में अंतरिक्ष यान को लॉन्च पैड पर रॉकेट से दूर ले जाता है।
उड़ान में उत्पादन मॉडल लॉन्च पलायन सिस्टम और बॉयलरप्लेट (बीपी-6) अपोलो अंतरिक्ष यान को पेश करने वाला पहला मिशन है। अंतरिक्ष यान के संरचनात्मक भार को मापने के लिए इसमे कोई साधन नहीं लिया गया था क्योंकि कैप्सूल की बायलरप्लेट संरचना किसी वास्तविक अंतरिक्ष यान की प्रतिबिंबित नहीं करती थी।
उड़ान
7 नवंबर, 1963 को, स्थानीय समय पर 09:00:01 को लॉन्च पलायन सिस्टम में एक पलायन संकेत भेजा गया था। इसने एक अनुक्रम शुरू किया जिसमें अंतरिक्ष यान को ऊपर ले जाने के लिए मुख्य ठोस रॉकेटों ने अपनी भूमिका निभाई और छोटे रॉकेट ने इसे बाद में सागर की ओर ले जाने का कार्य किया।
लॉन्च पलायन सिस्टम को 15 सेकंड के बाद अलग किया गया, जिससे अंतरिक्षयान बैलिस्टिक प्रक्षेपवक्र में गति करने लगा। पैराशूट प्रणाली ने पूरी तरह से काम किया: ड्रग शूटी ने अंतरिक्ष यान को स्थिर कर दिया, फिर तीन मुख्य पैराशूट्स ने अंतरिक्ष यान के गिरने की गति 26 किलोमीटर प्रति घंटे कर दिया।
उड़ान के साथ मिलने वाली एकमात्र समस्याएं थीं कि अंतरिक्ष यान के बाहरी इलाकों में लॉन्च पलायन सिस्टम रॉकेट ने कालिख (जलने से पड़ जाने वाला कालापन) छोड़े गए थे और अंतरिक्ष यान की स्थिरता अनुमानित से कम थी। साँचा:clear