पीटर ड्रकर
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पीटर ड्रकर (Peter Ferdinand Drucker ; 19 नवम्बर 1909 – 11 नवम्बर 2005) एक अमेरिकी प्रबन्धन सलाहकार, शिक्षक एवं लेखक थे। वे मूलतः आस्ट्रिया के निवासी थे। प्रबन्धन शिक्षा के विकास के क्षेत्र में उन्होने नेतृत्व किया। उन्होने 'लक्ष्यों द्वारा प्रबन्धन' (management by objectives) नामक कांसेप्ट दिया।
पीटर ड्रकर की कुछ उक्तियाँ
- प्रभावशाली नेतृत्व भाषण देने या पसन्द किये जाने से सिद्ध नहीं होता; नेतृत्व परिणाम से दिखता है, गुणों से नहीं।
- काम को सही तरीके से करना ही दक्षता (एफिसिएन्सी) है; सही काम करना ही प्रभाविकता (इफेक्टिवनेस) है।
- 'लक्ष्य द्वारा प्रबन्धन' अवश्य काम करेगा यदि आप लक्ष्य जानते हैं। सौ में ९० बार आप लक्ष्य ही नहीं जानते।
- 'निर्णय लेने' से सम्बन्धित अधिकांश चर्चाओं में यह मान्यता दिखती है कि केवल सिनियर इक्सक्युटिव ही निर्णय लेते हैं या उनके द्वारा लिए गये निर्णयों का ही महत्व है। ऐसा मानता बहुत बड़ी गलती है।
- लक्ष्य, दिशा हैं भाग्य नहीं। लक्ष्य कोई आदेश नहीं हैं। लक्ष्य भविष्य का निर्धारण नहीं करते बल्कि वे भविष्य के निर्माण के लिए संसाधन एवं ऊर्जा जुटाने के साधन हैं।
- भविष्य के पूर्वानुमान का सबसे अच्छा तरीका भविष्य का निर्माण करना है।
- संचार में सबसे महत्वपूर्ण चीज उस बात को सुनना है जो कही ही नहीं जाती।
- जिस काम को किया ही नहीं जाना चाहिए था, उसे अत्यन्त दक्षतापूर्वक करने से बढ़कर बेकार काम नहीं हो सकता।
- समय ही सबसे दुर्लभ संसाधन है और जबतक समय का समुचित प्रबन्धन नहीं किया जाता, किसी अन्य चीज का भी प्रबन्धन नहीं हो सकता।
- जहाँ भी आपको एक सफल व्यवसाय दिखायी पड़ता है, अवश्य ही वहाँ कभी किसी ने साहसपूर्ण निर्णय लिया होगा।