पिनाक

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श्रीराम, जनकपुर में शिव धनुष को तोड़ते हुए

पिनाक शंकर के धनुष का नाम है, जिसका निर्माण देवशिल्पी विश्वकर्मा ने किया था । यह धनुष राजा जनक के पास धरोहर के रूप में रखा हुआ था । इसी धनुष को श्रीराम ने इसे तोड़ कर सीता जी से विवाह किया था।

पिनाक की उत्पत्ति

एक बार विश्वकर्मा ने दो धनुषों का निर्माण किया इनके नाम रखे सारंग और पिनाक। पिनाक धनुष को भगवान शिव और सारंग धनुष को भगवान विष्णु को सौंपा गया | तब ब्रह्मदेव ये बात जानना चाहते थे कि विष्णु और शिव में सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कौन हैं ? इस बात का पता लगाने के लिए उन्होंने दोनों में धनुष प्रतियोगिता करवा दी। भगवान शिव और भगवान विष्णु में बहुत टक्कर का मुकाबला हुआ। अन्त में ब्रह्मा जी ने इस युद्ध को रुकवा दिया | उस युद्ध के पश्चात् भगवान शिव ने अपना धनुष एक राजा को दे दिया जो जनक के पूर्वज थे | ये देखते ही भगवान विष्णु ने अपना धनुष महर्षि ऋचिक को दे दिया और उनके पौत्र परशुराम के रूप में उन्हें ये पुनः प्राप्त हुआ।

भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने अपने बहु-नाल रॉकेट मोचक का नाम 'पिनाक' रखा है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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