पादताडितकम्

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

पादताडितकम् (शब्दार्थ = 'पैर से मारा हुआ') पाँचवी शदी के आरम्भ में रचित महाकवि श्यामलिक का भाण (एकल अभिनीत नाटक / monologue) है।

पादताडितकम्, पद्मप्राभृतक, धूर्तविटसंवाद और उभयभिसारिका - संस्कृत के इन चार प्रसिद्ध भाणों को सम्मिलित रूप से 'चतुर्भाणी' कहते हैं। ये चार भाण क्रमशः श्यामलिक, शूद्रक, ईश्वरदत्त और वररुचि की रचनाएँ हैं।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

साँचा:asbox