पाकसैट-1आर

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पाकसैट-1आर
PakSat-1R
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पाकसैट-1आर (PakSat-1R या PakSat-1 Replacement) एक उन्नत भूतुल्यकालिक और संचार उपग्रह है। जो चीन ग्रेट वॉल इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (सीजीडब्ल्यूआईसी)[५] द्वारा निर्मित और पाकिस्तान की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी अंतरिक्ष और ऊपरी वायुमंडल अनुसंधान आयोग (सुपार्को) द्वारा संचालित है।[६]

पाकसैट-1आर का विकास एक भू दूरसंचार उपग्रह के रूप में किया गया था और यह 11 अगस्त 2011 को 16:15 यूटीसी पर चीन के जिचांग सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से लांग मार्च 3बी द्वारा लॉन्च किया गया था।.[२] उपग्रह का जीवनकाल लगभग15 साल का होगा। यह उपग्रह दक्षिण और मध्य एशिया, पूर्वी यूरोप, पूर्वी अफ्रीका और सुदूर पूर्व के लिए ब्रॉडबैंड इंटरनेट एक्सेस, डिजिटल टेलीविज़न प्रसारण, दूरसंचार और ग्रामीण टेलीफोनी, आपातकालीन संचार, दूर-शिक्षा और टेली-औषध सेवा प्रदान करेगा। उपग्रह ने सफलतापूर्वक अपने पूर्ववर्ती उपग्रह पाकसैट-1ई की भूस्थिर कक्षा में 38 डिग्री पूर्व पर जगह ली। जो पाकिस्तान द्वारा किराए पर लिया गया था।[७][८]

इतिहास

दिसंबर 2001 में, सुपारको ने पालपा-सी1 उपग्रह को पट्टे पर लेने के लिए बातचीत की और इसे पाकसैट-1ई के रूप में नामित किया गया ताकि कक्षीय स्लॉट संकटों को दूर करने की कोशिश की जा सके। 24 नवंबर 1 998 को उपग्रह की बिजली व्यवस्था में एक विसंगति के बाद इसे हासिल किया गया था। हाइड्रो संचयकों को नियंत्रित करने वाला एक मॉड्यूल विफल भी हुआ था। अंततः उपग्रह को पाकिस्तान द्वारा पाकसैट-1ई के रूप में 37 डिग्री पूर्व में भू-स्थिर कक्षा में किराए पर लिया गया था और यह उपग्रह अप्रैल 2004 तक सक्रिय रहा था। इस समय के दौरान, सुपारको ने 2008 में पाकिस्तान की सरकार द्वारा घोषित नई अंतरिक्ष नीति के हिस्से के रूप में पाकसैट-1ई को बदलने के लिए भू-समकालिक उपग्रह को विकसित करना शुरू किया।

प्रोटोटाइप

2008 में, पाकसैट-1आर का एक प्रोटोटाइप सुपारको ने लाहौर में अपने सैटेलाइट रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर (एसआरडीसी) में विकसित किया था।[९] इस प्रोटोटाइप परियोजना का उद्देश्य संचार उपग्रह इंजीनियरिंग के बारे में युवा वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के ज्ञान और तकनीकी विशेषज्ञता को बढ़ाने का था।[९] पाकसैट-1आर प्रोटोटाइप में संचार पेलोड के रूप में तीन सी-बैंड ट्रांसपोंडर थे। सभी उप-प्रणालियों को पाकिस्तान में स्थानीय रूप से डिजाइन और विकसित किया गया था।[९] सिस्टम एकीकरण और परीक्षण भी किया गया थे। सुपारको ने बताया कि यह परियोजना तीन वर्षों में पूरी हुई थी।[९]

निर्माण और लॉन्च

पाकसैट-1आर को चीन ग्रेट वाल इंडस्ट्री कॉरपोरेशन द्वारा विकसित किया गया था[१०] और चीनी सरकार से पाकसैट-1आर के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त हुई थी। उपग्रह को लॉन्च करने से पहले 18 दिनों के दौरान उपग्रह को चीन में प्रयोगशाला परीक्षणों के दौर से गुजरा था।[११] लांग मार्च 3बी/ई लॉन्च वाहन द्वारा चीन के सिचुआन प्रांत में जिचांग सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से 11 अगस्त 2011 को पाकसैट-1आर लॉन्च किया गया था। 2010 में, चीन ने सुपारको उपग्रह ग्राउंड स्टेशन पर संचार सुविधाओं की स्थापना के लिए ऋण प्रदान किया।[१२]

विशेष विवरण

पाकसैट-1आर उपग्रह डीएफएच-4 प्लेटफार्म पर आधारित है, जिसमें लॉन्च वजन 5,200 किलोग्राम होता है। उपग्रह को पाकसैट-1ई की जगह, 38.0 डिग्री पूर्व में तैनात किया जाएगा। चीन ग्रेट वॉल इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (सीजीडब्ल्यूआईसी) के साथ हस्ताक्षर किए अनुबंध के साथ - 15 अक्टूबर 2008 को ऑडर दिए जाने के बाद, पाकसैट-1आर को चीन ग्रेट वॉल इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (सीजीडब्ल्यूआईसी) द्वारा निर्मित किया गया था। पाकसैट-1आर अनुबंध अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ताओं के साथ चीन के अंतरिक्ष उद्योग द्वारा हस्ताक्षरित तीसरा संचार उपग्रह अनुबंध था। यह एक एशियाई ग्राहक के साथ हस्ताक्षरित कक्षा डिलीवरी अनुबंध में चीन का पहला उपग्रह भी है। सैटेलाइट सभी पारंपरिक और आधुनिक निश्चित सैटेलाइट सेवा (एफएसएस) अनुप्रयोगों में मदद करेगा। सैटेलाइट में कुल 30 ट्रांसपोंडर थे जिसमे 18 में केयु-बैंड और 12 सी-बैंड ट्रांसपोंडर थे। प्रणाली की विश्वसनीयता/उपलब्धता की उच्च स्तर सुनिश्चित करने के लिए कराची और लाहौर में दो पूरी तरह से सैटेलाइट ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन (एसजीसीएस) स्थापित किए गए थे, इनमें से एक मुख्य कार्य के रूप में तथा दूसरा बैकअप के रूप में कार्य करने वाला था।

लॉन्च

पाकसैट-1आर को 2117 बजे चीन के सिचुआन प्रांत में जिचांग सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से लांग मार्च 3बी/ई उपग्रह प्रक्षेपण यान पर 11, अगस्त 2011 को लॉन्च किया गया था।[८]

इस प्रक्षेपण को पाकिस्तान के सचिव रक्षा, विदेश सचिव, सामरिक योजना डिवीजन के महानिदेशक और चीन में पाकिस्तान के राजदूत मुहम्मद मसूद खान ने देखा था।[८]

अभिनंदन

पाकिस्तानी विज्ञान समुदाय में अभिनंदन का अनुभव किया गया था और देश में अभिनंदन आम तौर पर सकारात्मक था।[१३] हालांकि, पाकिस्तान के अग्रणी वैज्ञानिकों ने पाकिस्तान के फ्लाइट स्पेस सेंटर से उपग्रह को लॉन्च करने में सक्षम न होने के कारण सुपारको को आलोचना की और सवाल उठाया कि अंतरिक्ष कार्यक्रम सही रास्ते पर है या नहीं।[१३] एक प्रेस विज्ञप्ति में, सुपारको ने चिंताओं को खारिज कर दिया और कहा कि कार्यक्रम को सही दिशा पर निर्देशित किया जा रहा है। [१३] उपग्रह के प्रक्षेपण पर टिप्पणी करते हुए द ट्रिब्यून ने लिखा, "अंतरिक्ष और ऊपरी वायुमंडल अनुसंधान आयोग (सुपरको) ने आज जो हासिल किया है क्या इसे 30 साल पहले नही किया जा सकता था। पाकिस्तान जो उपलब्धि आज हासिल कर रहा है इसे पडोसी देश भारत 1975 में ही हासिल कर चुका है।"[१३]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite web
  2. साँचा:cite web
  3. साँचा:cite web
  4. साँचा:cite web
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  10. साँचा:cite news
  11. साँचा:cite web
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  13. साँचा:cite news