परिन्दा
परिन्दा | |
---|---|
चित्र:परिन्दा.jpg परिन्दा का पोस्टर | |
निर्देशक | विधु विनोद चोपड़ा |
निर्माता | विधु विनोद चोपड़ा |
पटकथा | शिव कुमार सुब्रह्मण्यम |
कहानी | विधु विनोद चोपड़ा |
अभिनेता |
जैकी श्रॉफ, अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित, नाना पाटेकर, अनुपम खेर |
संगीतकार | आर॰ डी॰ बर्मन |
छायाकार | बिनोद प्रधान |
संपादक | रेणु सलूजा |
स्टूडियो | विनोद चोपड़ा फिल्म्स |
प्रदर्शन साँचा:nowrap | 3 नवंबर, 1989 |
समय सीमा | 148 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
परिन्दा 1989 में बनी हिन्दी भाषा की अपराध केन्द्रित नाट्य फिल्म है। इसको निर्मित और निर्देशित विधु विनोद चोपड़ा ने किया है। फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में नाना पाटेकर, जैकी श्रॉफ, अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित हैं, जबकि सहायक भूमिकाओं में सुरेश ओबेरॉय और टॉम आल्टर है।
रिलीज होने पर परिन्दा को आलोचकों की प्रशंसा प्राप्त हुई। इस फिल्म को कई लोगों द्वारा हिंदी सिनेमा में यथार्थवाद की शुरुआत में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है। परिन्दा ने दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और पांच फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीते तथा 1990 में अकादमी पुरस्कार में विदेशी भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए उसे भारत की तरफ से आधिकरिक तौर पर भेजा गया था।
संक्षेप
किशन (जैकी श्रॉफ) और करन (अनिल कपूर) दोनों भाई मुंबई के गलियों में पले-बढ़े हैं। करन को अच्छी शिक्षा मिले और वो आगे बढ़े, इस कारण किशन को अन्ना सेठ (नाना पाटेकर) के गैंग में शामिल होना पड़ता है। अन्ना अपने काले धंधे को छुपाने के लिए एक तेल के कारखाने को चलाता है। करन को पता नहीं होता है कि उसका भाई अन्ना के काले धंधे में उसके साथ लिप्त है। करन अपनी पढ़ाई पूरी कर वापस मुंबई आता है। करन का दोस्त इंस्पेक्टर प्रकाश (अनुपम खेर) को अन्ना के काले धंधों के बारे में पता रहता है और वो उसे पकड़ने की कोशिश करते रहता है। प्रकाश को मारने के लिए अन्ना योजना बनाता है कि जब वो और करन मिलेंगे, तब वो उसे मार देगा। जब ये बात किशन को पता चलती है तो वो करन को दिल्ली भेजने की कोशिश करता है, ताकि वो इन सब से दूर हो सके, लेकिन उसके विमान को जाने में देर हो जाती है और इसी बीच अन्ना के लोग, प्रकाश को मार देते हैं और उसकी मौत करन के हाथों में ही हो जाती है।
प्रकाश की बहन, पारो (माधुरी दीक्षित) को लगता है कि उसके भाई के मौत का जिम्मेदार करन है। करन को इकबाल (समीर खरकर), अन्ना के गैंग के पुराने सदस्य से पता चलता है कि उसके परिवार की हत्या अन्ना ने की है और उसके बाद से ही उसे आग से डर लगने लगा था। करन को ये भी पता चलता है कि प्रकाश को मारने वाला भी अन्ना ही है और किशन उसके लिए काम करता है। किशन उसे अन्ना के दुश्मन, मूषा के बारे में बताता है। पारो को करन कहता है कि उसके भाई ने ही प्रकाश को मारा था और उसे इस बारे में कुछ पता नहीं था। करन एक हत्यारे को पहचान जाता है और उसके पीछे पड़ जाता है। करन को किशन चेतावनी देता है कि वो इन मामलों से दूर रहे, लेकिन करन ये बात नहीं मानता। जब अन्ना के गुंडे आते हैं, तब वो लोग करन पर गोली चला देते हैं, लेकिन बीच में किशन आ जाता है और उसे गोली लग जाती है। नर्स उसका उपचार करते रहती है। पुलिस स्टेशन में करन से अब्दुल कहता है कि किशन कि यदि उसे उसका कहा नहीं माना तो किशन की देखरेख करने वाली नर्स उसकी हत्या कर देगी। करन मजबूरी में अन्ना के गैंग में शामिल हो जाता है। उसे इकबाल को मारने के लिए कहा जाता है। करन अपने आप को जिम्मेदार न समझे और अपने योजना को अंत तक ले जा सके, इस कारण वो अपने आप को ही गोली से मार देता है।
बाद में करन को अन्ना, मूषा को मारने के लिए भेजता है, उसके साथ वो फ्रांसिस को भी भेजता है। मूषा को मारने के जगह वो फ्रांसिस को मार देता है और मूषा के गैंग में शामिल हो जाता है। रामा रेड्डी (कमल चोपड़ा) को मूषा अपहरण कर लेता है। करन उन दोनों की तस्वीर ले कर अन्ना को दिखा देता है और कहता है कि फ्रांसिस को रामा ने मारा था और अन्ना के कहने पर वो रामा को भी मार देता है। इसके बाद वो प्रकाश के तीसरे हत्यारे, अब्दुल को भी मार देता है। करन और पारो शादी कर लेते हैं और शहर छोड़ने का फैसला कर लेते हैं। मूसा को मारने के लिए अन्ना उसके पास जाता है, जहाँ मूसा उसे बताता है कि इन सब के पीछे करन ही था। करन और पारो को अन्ना शादी की रात को ही मार देता है। किशन अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए अन्ना को मार देता है।
मुख्य कलाकार
- जैकी श्रॉफ, किशन
- नाना पाटेकर, अन्ना
- अनिल कपूर, करन
- माधुरी दीक्षित, पारो
- अनुपम खेर, इंस्पेक्टर प्रकाश
- सुरेश ओबेरॉय, अब्दुल
- टॉम आल्टर, मूसा
- अनंग देसाई, इंस्पेक्टर मिरानी
- कमल चोपड़ा, रमा रेड़्डी
संगीत
सभी आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा संगीतबद्ध।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायक | अवधि |
---|---|---|---|---|
1. | "कितनी है प्यारी प्यारी" | खुर्शीद हल्लौरी | सुरेश वाडेकर, शैलेंद्र सिंह | 4:14 |
2. | "प्यार के मोड़ पे" | खुर्शीद हल्लौरी | सुरेश वाडेकर, आशा भोंसले | 6:31 |
3. | "सेहरे में दूल्हा होगा" | खुर्शीद हल्लौरी | सुरेश वाडेकर, शैलेंद्र सिंह | 6:32 |
4. | "तुम से मिलके" | खुर्शीद हल्लौरी | सुरेश वाडेकर, आशा भोंसले | 5:11 |
5. | "कितनी है प्यारी प्यारी" (उदासीन) | खुर्शीद हल्लौरी | शान, सागरिका | 1:43 |
6. | "तुम से मिलके" (उदासीन) | खुर्शीद हल्लौरी | सुरेश वाडेकर, आशा भोंसले | 1:21 |
नामांकन और पुरस्कार
37वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में परिन्दा को दो पुरस्कार प्राप्त हुए:- नाना पाटेकर के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ सम्पादन पुरस्कार। 35वें फिल्मफेयर पुरस्कार में परिन्दा को 6 पुरस्कारों में नामित किया गया था जिसमें से उसने पाँच जीते।