परार्थवादी आत्महत्या
परार्थवादी आत्महत्या (Altruistic suicide) किसी एक अथवा अन्यों के लाभ के लिए किसी एक के जीवन से समझौता करने को कहा जाता है। यह सामान्यतः किसी समूह के अच्छे के लिए अथवा किसी समाज के प्रतिष्ठा अथवा रिति-रिवाजों के कारण होता है। परार्थवादी आत्महत्या अथवा भलाई के लिए आत्महत्या जैसे शब्दों से बहुत ज्यादा अच्छे के लिए आत्म बलिदान को कहा जाता है।[१] इस तरह का बलिदान किसी विशिष्ट कार्य को परिपूर्ण करने अथवा समाज में किसी प्राकृतिक संतुलन को बनाने के लिए किया जा सकता है। इस तरह के बलिदान के विषय अथवा अवधारणायें कुछ विशेष प्रकर की विज्ञान-प्रभावी कहानियों में मिलती हैं। हालाँकि, इस तरह के वास्तविक उदाहरण इनुइत जैसी आदिवासी लोगों में देखने को मिलते हैं। इमाईल दुर्खीम ने समुदाय के अति-समन्वय के परिणाम के रूप में अपनी पुस्तक सुसाइड में अनुभव किया है।[२][३]