परमेश्वर नारायण हक्सर
राजदूत परमेश्वर नारायण हक्सर | |
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ऑस्ट्रिया में भारतीय राजदूत
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पद बहाल 1964–1965 | |
प्रधानमंत्री | इन्दिरा गांधी |
जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यवसाय | ऑस्ट्रिया में भारत के राजदूत |
धर्म | हिन्दू |
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परमेश्वर नारायण हक्सर (1913–1998) स्वतंत्र भारत के राजनीतिक लोकतंत्र को प्राप्त करने की प्रक्रिया में एक रणनीतिकार थे। उनक महत्वपूर्ण कार्य इन्दिरा गांधी के राजनीतिक सलाहकार के रूप में था।[१] वो केंद्रीकरण और समाजवाद के समर्थक थे। हक्सर ऑस्ट्रिया और नाइजीरिया में भारतीय राजनयिक थे जिन्होंने राजदूत के रूप में काम किया।
व्यक्तिगत जीवन
हक्सर का जन्म 1913 में, गुजरांवाला (वर्तमान पाकिस्तान में) में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ। उन्होंने घर पर संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की और उत्तर प्रदेश में स्थित इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की शिक्षा पूर्ण की। उन्होंने लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स में भी अद्ययन किया।[२] इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र के रूप में वो मेयो हॉल के निवासी थे और मोतीलाल नेहरू के घर आनन्द भवन नियमित तौर पर जाते थे।[३] परमेश्वर कला इतिहास पढने में बहुत रूचि रखते थे एवं चित्रकारी के भी पारखी थे।[३] अपने लन्दन, यूके प्रवास के दौरान, वो समाजवाद से प्रभावित हुए और मार्क्सवादी विचारधारा के साथ जुड़ गये।[२][३]
अपने बाद के वर्षो में हक्सर, अंध धर्मनिरपेक्षता और नव उदारवादी नीतियों के विरुद्ध दिल्ली साइंस फोरम और मानवाधिकार आत्मबल से जुड़ गये। अपने जीवन के अन्तिम दस वर्षों में उन्होंने अपनी आँखों की रोशनी खो दी थी। हक्सर का 27 नवम्बर 1998 को 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया।[४]
करियर
पूर्व करियर
हक्सर ने 1947 में भारतीय विदेश सेवा के लिए जाने से पहले ही इलाहाबाद में ही अपने वकील होने की छाप छोड़ दी थी[५] और अपने नगरवासी जवाहरलाल नेहरू से साथी-कश्मिरी के साथ बहुत निकटता बढ़ा ली थी। लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स, लंदन में भारतीय समूह में कृष्ण मेनन के कनिष्ठ सहयोगी छात्र थे। हक्सर की पहली पोस्टिंग लंदन में थी जहाँ कृष्ण मेनन भारत के उच्चायुक्त हुआ करते थे।[६]
नागरिक सेवा
पी एन हक्सर को नाइजीरिया और ऑस्ट्रिया में भारतीय राजदूत के रूप में भेजा गया।[७] 1960 के दशक में उन्हें लंदन में उप उच्चायुक्त भी बनाया गया।[२] बीस वर्षों की राजनयिक सेवा के बाद उन्हें भारत की प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के सचिव के पद पर नियुक्ति मिली।[५] 1967 में वे एल के झा के स्थान पर प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के प्रधान सचिव के पद पर नियुक्त हुए। उन्होंने बंगलोर में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में 'पथभ्रष्ट विचार ज्ञापन' (Stray Thoughts Memorandum) लिखा जिसके परिणामस्वरूप मोरारजी देसाई के समान ही उन्हें भी कांग्रेस से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।[८] इन्दिरा गांधी के प्रधान सचिव के पद से हटने से पहले तक घरेलू और विदेशी नीतियों के निर्माण पर हक्सर ने महत्वपूर्ण प्रभावी प्रयोग किया।[५] प्रधान सचिव के रूप में पी एन हक्सर ने बांग्लादेशी स्वतंत्रता संग्राम को दिये गये समय और समर्थन का स्तर के लिए इंदिरा गांधी के फैसले को विशिष्ट रोप दिया।[९]
प्रशासक और रणनीतिकार
साँचा:rquote हक्सर बैंकों, बीमा और विदेशी तेल कंपनियों के राष्ट्रीयकरण, 1971 के भारत सोवियत संधि और बांग्लादेश की मुक्ति के रणनीतिकार थे। वो रिसर्च एंड एनालिसिस विंग से, पाकिस्तान के साथ शिमला समझौते के मुख्य वास्तुकार थे। जब तक इन्दिरा गांधी हक्सर के अनुसार चल रही थी तब तक जीत रहीं थी लेकिन जब वह समय आया कि उन्होंने अपने पुत्र संजय गांधी की बाते मानकर हक्सर से किनारा करना आरम्भ कर दिया तो उनके बुरे दिन आरम्भ हो गये जिसमें चुनाव, ऑपरेशन ब्लू स्टार और उनकी मृत्यु शामिल है।
लेखक
हक्स्र ने विभिन्न पुस्तकें भी लिखी जिनमें प्रिमोनिशन (Premonitions) (1979), रेफ्लेक्शन ऑन ऑवर टाइम्स (Reflections on our Times) (1982) & वन मोर लाइफ़ (One more Life) (1990) आदि शामिल हैं।[२]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ अ आ इ ई साँचा:cite news
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- ↑ साँचा:cite web
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- ↑ साँचा:cite web