पनामा पेपर मामला

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

पनामा पेपर मामला एक कानूनी मामला था। इस मामले को अदालत तक ले जाने का काम तहरीक-ए-इंसाफ के नेता इमरान खान का था। इससे पहले 1 नवम्बर 2016 से 23 फरवरी 2017 तक यह एक कानूनी मामला ही था। इस मामले के निर्णय को 23 फरवरी 2017 को सुरक्षित रख लिया। यह मामला पाकिस्तानी इतिहास का सबसे चर्चित मामला था।

परिचय

पनामा पेपर का खुलासा

खोज करने वाले पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय समूह ने 1 करोड़ 15 लाख गुप्त दस्तावेजों का निर्माण किया था, इसे पनामा पेपर्स के नाम से जाना जाता है। ये सभी दस्तावेज 3 अप्रैल 2016 को आम जनता के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हो गए थे। इसी में इसका भी खुलासा हुआ था कि आठ कंपनियों का नवाज शरीफ के परिवार के साथ रिश्ता है।

जाँच आयोग के गठन में विफलता

अपने बारे में बढ़ती आलोचनाओं के चलते, शरीफ ने 5 अप्रैल 2016 को पूरे देश में ऐलान किया कि वे एक जाँच आयोग का गठन करेंगे, जो पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशों के कहे अनुसार काम करेगा। लेकिन तस्सदुक हुसैन जिलानी, नासिर-उल-मुल्क, अमीर-उल-मुल्क मेंगल, साहिर अली और तनवीर अहमद खान ने इसके लिए मना कर दिया। फिर भी सरकार इस आयोग को बनाने के पीछे लगी रही। 22 अप्रैल 2016 को शरीफ ने कहा कि वे यदि दोषी साबित हो जाते हैं, तो वे अपना इस्तीफा दे देंगे। लेकिन जाँच आयोग के गठन का सारा प्रयास तब विफल हो गया, जब पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश अनवर ज़हीर जमाली ने खुले शब्दों में कहा कि कानून का दायरा बहुत ही सीमित है और इस कारण ऐसे किसी आयोग बनाने का कोई लाभ नहीं होगा।

अंतिम फैसला

इस पूरे मामले को सर्वोच्च न्यायालय के सामने 10 जुलाई 2017 को लाया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने इसकी सुनवाई एक सप्ताह बाद शुरू की और 21 जुलाई 2017 को इसने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। 28 जुलाई 2017 को सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया और प्रधानमंत्री को अपने पद से हटा दिया। इसी के साथ साथ न्यायालय ने शरीफ, उसके परिवार और पूर्व वित्त मंत्री इशाक दर पर भ्रष्टाचार में शामिल होने पर कार्रवाई करने का आदेश भी दिया।

शरीफ का इस्तीफा

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद, नवाज शरीफ को प्रधान मंत्री के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। शरीफ के तीन बच्चों और दामाद के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए अदालत ने एनएबी को आदेश दिया था।