पञ्च-पक्षी ज्योतिष

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चित्र:Panch Pakshi.png
पांच पक्षी शासत्रम।

ज्योतिष की पंच-पक्षी पद्वति प्राचीन समय में विशेष रूप से दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में प्रचलित थी। परन्तु आज यह अपने खास विशेषताओं के कारण पूरे भारत में लोकप्रियता प्राप्त कर चुकी है। पंच-पक्षी सिद्धान्त के अन्तर्गत आने वाले पांच पक्षी गिद्ध, उल्लू, कौआ, मुर्गा और मोर है। पंच-पक्षी के आधारभूत सिद्धांत के अनुसार जब सभी प्रभावकारी तत्व अपने उच्चावस्था में होते हैं तो उस समय हम अपने लक्ष्य की दिशा में सरलता से बढ पाते है।

इसी तरह जब शुभ पक्षी का समय चल रहा हो तो सरल प्रयास भी सफलता दिला देते हैं। ओर परिस्थिती इसके विपरीत होने पर कार्यो में बाधाएं आने के साथ साथ असफलता भी प्राप्त होती है।

पांच पक्षियों की पांच क्रियाएं

पंच पक्षी पद्वति में पांचों पक्षियों अर्थात गिद्ध, उल्लू, कौआ, मुर्गा और मोर को दिन भर में पांच क्रियाएं दी गई है। पांचों क्रियाओं का क्रम निम्न है।

1. खाना 2. घूमना 3. शासन 4. आराम करना / सोना 5. निष्क्रिय / मरना।

प्रत्येक पक्षी प्रतिदिन की अवधि में पांचों क्रियाएं करता है। शुभता को ध्यान में रखते हुए क्रियाओं का क्रम निम्न है।

1. शासन 2. खाना 3. घूमना 4. सोना 5. निष्किय क्रिया।

पक्षी के समय का निर्धारण

यह पद्वति क्योंकि पांच पक्षियों पर आधारित है, इसलिये पूरे दिन के 12 घंटों को पांच बराबर भागों में बांटा जाता है। प्रत्येक भाग 2 घंटे 24 मिनट का होता है। पांचों पक्षियों का समय पूरे दिन में बारी -बारी से आता है। दिन का पहला पक्षी वार के अनुसार तय होता है। दिन का क्रम रात्रि में भी रहता है।

जन्म पक्षी ज्ञात करना

व्यक्ति के जन्म नक्षत्र व चन्द्र के शुक्ल पक्ष या कृ्ष्ण पक्ष की स्थिति के अनुसार ज्ञात किया जाता है। जैसे:- पहले पांच नक्षत्रों में से किसी एक में जन्म हों, तथा चन्द्र शुक्ल पक्ष में हों, तो व्यक्ति का जन्म पक्षी गिद्ध होता है। इसके अलावा अगर इन्ही पांचों नक्षत्रों में से किसी एक में जन्म हों और कृ्ष्ण पक्ष का चन्द्र हो, तो जन्म पक्षी मोर होता है। इसी प्रकार 27 नक्षत्रों को 5-6 नक्षत्रों के ग्रुप में बांटा गया है।

जन्म पक्षी पद्वति का उपयोग

इस पद्वति के अनुसार समय को अपने अनुसार बदलना संभव नहीं है, इसलिये स्वयं को समय के अनुसार बदलना चाहिए। अर्थात समय की शुभता पंच पक्षी के अनुसार जानने के बाद अपने दैनिक या साप्ताहिक कार्यो की रुपरेखा बनानी चाहिए। इससे कार्यो में सफलता प्राप्त करना सरल हो सकता है।

बाहरी कड़ियाँ

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