न्यूटन का शीतलन का नियम

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

न्यूटन का शीतलन का नियम (Newton's law of cooling) के अनुसार, किसी पिण्ड के ऊष्मा ह्रास की दर उस पिण्ड के ताप तथा उसके चारो ओर के माध्यम के ताप के अन्तर के अनुक्रमानुपाती होता है।

दूसरे शब्दों में, यह नियम कहता है कि, 'ऊष्मा अन्तरण गुणांक' (heat transfer coefficient) का मान नियत रहता है। वास्तव में यह नियम ऊष्मा चालन में तो बहुत सीमा तक सत्य है किन्तु संवहन द्वारा ऊष्मा के स्थानान्तरण की दशा में यह नियम अंशतः ही सत्य है (पूर्णतः नहीं)। संवहन के द्वारा ऊष्मा अन्तरण में ऊष्मा अन्तरण गुणांक पूर्णतः नियत नहीं होता बल्कि कुछ सीमा तक तापान्तर पर भी निर्भर करता है। और अन्ततः, विकिरण के द्वारा ऊष्मा स्थानान्तरण के केस में तो यह नियम और भी गलत है क्योंकि वहाँ ऊष्मा अन्तरण की दर वस्तु के ताप के चतुर्थ घात के समानुपाती होती है।

साँचा:asbox