नौरोज़
नौरोज़ साँचा:small | |
---|---|
ईरानी समारोह सामग्रियों की तालिका। | |
आधिकारिक नाम | नौरोज़ |
अन्य नाम |
नवरोज़ नोवरोटीज़ नोवरूज़ नवरूज़ नवरुजी |
अनुयायी |
नया साल, राष्ट्रीय, जातीय, अंतर्राष्ट्रीय ईरानी संस्कृति की पहच का प्रतीक। |
उद्देश्य | नौरोज़ का उत्सव, मनुष्य के पुनर्जीवन और उसके हृदय में परिवर्तन के साथ प्रकृति की स्वच्छ आत्मा में चेतना व निखार पर बल देता है। |
उत्सव | सगे संबंधियों से भेंट और अपने दिल की बात बयान करने का बेहतरीन अवसर। |
अनुष्ठान |
ईरानी नववर्ष, अतीत पर दृष्टि डालने और आने वाले जीवन को उत्साह व ख़ुशियों से भरने का त्योहार। |
आरम्भ | अत्यंत प्राचीन। |
तिथि | 20 मार्च, 21 या 22 मार्च |
समान पर्व | नववर्ष, ईद, होली इत्यादि। |
साँचा:main otherसाँचा:main otherसाँचा:main other
नौरोज़ या नवरोज़ (फारसी: نوروز नौरूज़; शाब्दिक रूप से "नया दिन"), ईरानी नववर्ष का नाम है, जिसे फारसी नया साल भी कहा जाता है और मुख्यतः ईरानियों द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है। यह मूलत: प्रकृति प्रेम का उत्सव है। प्रकृति के उदय, प्रफुल्लता, ताज़गी, हरियाली और उत्साह का मनोरम दृश्य पेश करता है। प्राचीन परंपराओं व संस्कारों के साथ नौरोज़ का उत्सव न केवल ईरान ही में ही नहीं बल्कि कुछ पड़ोसी देशों में भी मनाया जाता है। इसके साथ ही कुछ अन्य नृजातीय-भाषाई समूह जैसे भारत में पारसी समुदाय भी इसे नए साल की शुरुआत के रूप में मनाते हैं। पश्चिम एशिया, मध्य एशिया, काकेशस, काला सागर बेसिन और बाल्कन में इसे 3,000 से भी अधिक वर्षों से मनाया जाता है। यह ईरानी कैलेंडर के पहले महीने (फारवर्दिन) का पहला दिन भी है। यह उत्सव, मनुष्य के पुनर्जीवन और उसके हृदय में परिवर्तन के साथ प्रकृति की स्वच्छ आत्मा में चेतना व निखार पर बल देता है। यह त्योहार समाज को विशेष वातावरण प्रदान करता है, क्योंकि नववर्ष की छुट्टियां आरंभ होने से लोगों में जो ख़ुशी व उत्साह दिखाता है वह पूरे वर्ष में नहीं दिखता।[१]
उद्गम
हिजरी शमसी कैलेण्डर के अनुसार नौरोज़ या पहली फ़रवरदीन नव वर्ष का उत्सव दिवस है। नौरोज़ का उदगम तो प्राचीन ईरान ही है किंतु वर्तमान समय में ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्कमनिस्तान, क़िरक़ीज़िस्तान, उज़्बेकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, आज़रबाइजान, भारत, तुर्की, इराक़ और जार्जिया के लोग नौरोज़ के उत्सव मनाते हैं। नौरोज़ का उत्सव "इक्वीनाक्स" से आरंभ होता है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है समान। खगोलशास्त्र के अनुसार यह वह काल होता है जिसमें दिवस और रात्रि लगभग बराबर होते हैं। इक्वीनाक्स उस क्षण को कहा जाता है कि जब सूर्य, सीधे भूमध्य रेखा से ऊपर होकर निकलता है। हिजरी शमसी कैलेण्डर का नव वर्ष इसी समय से आरंभ होता है और यह नए वर्ष का पहला दिन होता है। ईसवी कैलेण्डर के अनुसार नौरोज़ प्रतिवर्ष 20 या 21 मार्च से आरंभ होता है।[२]
उद्देश्य
यह एक ऐसा बेहतरीन अवसर होता है जो पिछले वर्ष की थकावट व दिनचर्या के कामों से छुटकारा व विश्राम की संभावना उत्पन्न कराता है। नववर्ष, अतीत पर दृष्टि डालने और आने वाले जीवन को उत्साह व ख़ुशियों से भर अनुभव से जारी रखने का नाम है। प्रकृति की हरियाली और हरी भरी पत्तियों से वृक्षों का श्रंगार, नये व उज्जवल भविष्य का संदेश सुनाती है। इस अवसर पर प्रचलित बेहतरीन परंपराओं में से एक है सगे संबंधियों से भेंट। इस परंपरा में इस्लाम धर्म में बहुत अधिक बल दिया गया है। यहाँ तक कि नौरोज़ को सगे संबंधियों से भेंट और अपने दिल की बात बयान करने का बेहतरीन अवसर माना जाता है जो परिवारों के मध्य लोगों के संबंधों को अधिक सृदृढ़ करता है। यह त्योहार समाज में नववर्ष के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।[३]
महत्वपूर्ण कार्यक्रम
नववर्ष के पहले ही दिन से लोगों का एक दूसरे के यहां आने जाने का क्रम आरंभ हो जाता है। समस्त परिवारों में यह प्रचलन है कि वे सबसे पहले परिवार के सबसे बड़े सदस्य के यहां जाते हैं और उन्हें नववर्ष की बधाई देते हैं। उसके बाद परिवार के बड़े सदस्य अन्य लोगों के यहां बधाई के लिए जाते हैं। इस अवसर पर परिवार के अन्य सदस्य एक साथ एकत्रित होते हैं और यह क्रम तेरह तारीख़ तक या महीने के अंत तक जारी रहता है। परिवार के सदस्यों, निकटवर्तियों, मित्रों और पड़ोसियों से मिलने के अतिरिक्त दुखी व संकटग्रस्त लोगों से भी मिलना, नौरोज़ के प्रचलित संस्कारों में से एक है। इस भेंट व मेल मिलाप में यह भी प्रचलित है कि पहले उस व्यक्ति के घर जाते हैं जिसके वर्ष के दौरान किसी सगे संबंधी का निधन हो गया हो। इस संस्कार को नोए ईद भी कहा जाता है। यदि किसी घर में किसी सगे संबंधी का निधन हो जाता है जो शोकाकुल परिवार ईद के पहले दिन घर में बैठता है और सामान्य रूप से परिवार के बड़े सदस्य शोकाकुल परिवार से काले कपड़े उतरवाते हैं और उन्हें नये कपड़े उपहार में देते हैं। ईद के पहले दिन या नोए ईद का प्रतीकात्मक आयाम है और साथ ही नौरोज़ के मेल मिलाप का वातावरण भी उपलब्ध कराता है। भेंटकर्ता, ईद के पहले दिन शोकाकुल परिवार को सांत्वना नहीं देते बल्कि उनके लिए ख़ुशी की कामना करते हैं।[४]
स्थान
कई अन्य देशों में भी ईरानी लोगों द्वारा यह त्यौहार मनाया जाता है, इन जगहों में यूरोप, अमेरिका भी शामिल है।
ईरान
नौरोज़ ईरान में सबसे अधिक महत्वपूर्ण त्यौहार है, इसी दिन देश का आधिकारिक नया वर्ष शुरू होता है। यह फरवरदिन का पहला दिन होता है और ईरानी सोलर कैलंडर का पहला महिना भी होता है। ईरान में परिवार मिल कर नए वर्ष को मनाते हैं।
- Nowruz Tehran2013.jpg
तेहरान में 2013 में
मनाना
घर की सफाई और खरीदारी
इसके आने से पूर्व ही लोग घरों की सफाई का कार्य शुरू कर देते हैं। घर की सफाई के साथ साथ नए वर्ष के लिए नए कपड़े भी खरीदे जाते हैं। इसी के साथ साथ फूल भी खरीदे जाते हैं। इनमें जलकुंभी और टुलिप का उपयोग अधिक किया जाता है। यह एक तरह से राष्ट्रीय परंपरा बन गई है। ईरान में लगभग हर घर में इसे मनाया जाता है और सभी लोग अपने घरों के रखरखाव और सजावट हेतु चीजें खरीदते हैं। कम से कम एक जोड़ी कपड़े तो लेते ही हैं।
चारशानबे सूरी का त्यौहार
चारशानबे सूरी (फारसी: چارشنبه سوری) नव वर्ष के शुरू होने से पूर्व का त्यौहार है, जिसे ईरान में नववर्ष से पहले के आखिरी बुधवार के पूर्व संध्या को मनाया जाता है। यह आमतौर पर शाम को मनाया जाता है। इसमें लोग लकड़ियों को जला कर फटाके फोड़ते हैं और आतिशबाजी करते हैं।
मिथकों में
शाहनामा नौरोज़ के त्यौहार को महान जमशेद के शासनकाल से जोड़ता है। पारसी ग्रंथों के मुताबिक़ जमशेद ने मानवता की एक ऐसे मारक शीतकाल से रक्षा की थी जिसमें पृथ्वी से जीवन समाप्त हो जाने वाला था।[५] यह पौराणिक राजा जमशेद, पुरा-ईरानी लोगों के शिकारी से पशुपालक के रूप में परिवर्तन और अधिक स्थाई जीवन शैली अपनाने के काल का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। शाहनामा और अन्य ईरानी मिथकशास्त्रों में जमशेद द्वारा नौरोज़ की शुरुआत करने का वर्णन मिलता है। पुस्तक के अनुसार, जमशेद ने एक रत्नखचित सिंहासन का निर्माण करवाया और उसे देवदूतों द्वारा पृथ्वी से ऊपर उठवाया और स्वर्ग मने स्थापित करवाया तथा इसके बाद उस सिंहासन पर सूर्य की तरह दीप्तिमान होकर बैठा। दुनियावी लोग और जीव आश्चर्य से उसे देखने हेतु इकठ्ठा हुए और उसके ऊपर मूल्यवान वस्तुयें चढ़ाईं, और इस दिन कोई नया दिन (नौ रोज़) कहा। यह ईरानी कालगणना के अनुसार फ़रवरदीं माह का पहला दिन था।[६]
खगोलिकी
ईरानी कैलेंडर का पहला दिन लगभग 21 मार्च के आसपास वसंत विषुव को पड़ता है। विषुव के समय सूर्य विषुवत रेखा पर सीधा चमकता है और दोनों ध्रुव प्रकाश वृत्त पर पड़ते हैं। प्रकाश वृत्त का बराबर भाग उत्तरी व दक्षिणी गोलार्धों में पड़ता है और इस दिन पृथ्वी के प्रत्येक स्थान पर दिन और रात की अवधि बराबर होती है। प्रतिवर्ष घटित होने वाली इस खगोलीय महत्व की घटना को धार्मिक-सांकृतिक उत्सवों से भी जोड़ा जाता है और कई धर्मों के त्यौहार इस दिन मनाये जाते हैं।
11वीं सदी ईसवी के आसपास, ईरानी कैलेंडर में कई सुधार किये गये, जिनका प्राथमिक उद्देश्य वर्ष का पहला दिन तय करना था, अर्थात नौरोज़ को वसंत विषुव के दिन स्थापित करना था। इसी अनुसार, ईरानी विद्वान तूसी ने नौरोज़ को परिभाषित करते हुए लिखा है, "आधिकारिक वर्ष का प्रथम दिवस (नौरोज़) हमेशा से वह दिन होता था जिस दिन मध्याह्न से पहले सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है।"[७]
चित्रदीर्घा
सन्दर्भ
टीका-टिप्पणी
क. ^ सदा युद्धरत बैल (चन्द्रमा का प्रतीक), और सिंह (सूर्य का प्रतीक) वसन्त को निरूपित करते हुये।
बाहरी कड़ियाँ
- ईरानी, नौरोज़ के रीति रेवाज और संस्कार(इस्लाम 14)
- भारत कोश मे नवरोज से संबंधित पन्ना
- चांदामामासाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
- होली या नौरोज़, लेखक: मरहूम इमरान रिजवी
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ R. Abdollahy, Calendars ii. Islamic period स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, in Encyclopaedia Iranica, Vol. 4, London-Newyork, 1990.