नेमावर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
साँचा:if empty
Nemawar
{{{type}}}
त्रिकाल चौबीसी जैन मंदिर
त्रिकाल चौबीसी जैन मंदिर
साँचा:location map
निर्देशांक: साँचा:coord
ज़िलादेवास ज़िला
प्रान्तमध्य प्रदेश
देशसाँचा:flag/core
ऊँचाईसाँचा:infobox settlement/lengthdisp
जनसंख्या (2001)
 • कुल५,९७८
 • घनत्वसाँचा:infobox settlement/densdisp
भाषा
 • प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड455339
वाहन पंजीकरणMP
समीपतम शहरHarda
साक्षरता77.2%
लोकसभा सीटविदिशा
औसत ग्रीष्मकालीन तापमानसाँचा:convert
औसत शीतकालीन तापमानसाँचा:convert

साँचा:template other

मंदिर का एक भाग

नेमावर (Nemawar) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के देवास ज़िले में स्थित एक नगर है। यह हिंदू एवं जैन धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। नेमावर नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ है और ठीक नर्मदा के पार हंडिया गाँव है, जो हरदा ज़िले में है।[१][२]

भूगोल

नेमावर नर्मदा नदी के उत्तर तट पर स्थित है और नर्मदा के पार दक्षिण तट पर हंडिया गाँव है। यहाँ नर्मदा का मध्य भाग है और नदी की चौड़ाई करीब 700 मीटर है। नेमावर में प्रकति का सुन्दर नमूना है। नेमावर से 8 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम लवरास खातेगांव तेहसील की सबसे ज्यादा उपजाऊ भूमि के लिए प्रसिद्ध है। महाभारतकाल में नाभिपुर के नाम से प्रसिद्ध यह नगर व्यापारिक केंद्र हुआ करता था मगर अब यह पर्यटन स्थल का रूप ले रहा है। राज्य शासन के रिकॉर्ड में इसका नाम 'नाभापट्टम' था। यहीं पर नर्मदा नदी का 'नाभि' स्थान है।

लोग

इस गांव में मुख्य रूप से धनगर,राजपूत,ब्राह्मण,गुर्जर, जाट ओर विश्नोई।जातियों के लोग निवास करते हैं

धार्मिक महत्व

नेमावर एक हिंदू सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र है, जहाँ नर्मदा के तट पर भगवान सिद्धनाथ का अतिप्राचीन मंदिर खड़ा है। यह स्थान प्राचीन काल में हिंदू संन्यासियों की तपोभूमि हुआ करता था तथा यहाँ कई भव्य मंदिर हुआ करते थे

सिद्धनाथ मंदिर के शिवलिंग की स्थापना चार सिद्ध ऋषि सनक, सनन्दन, सनातन और सनतकुमार ने सतयुग में की थी। इसी कारण इस मंदिर का नाम सिद्धनाथ है। इसके ऊपरी तल पर ओमकारेश्वर और निचले तल पर महाकालेश्वर स्थित हैं श्रद्धालुओं का ऐसा भी मानना है कि जब सिद्धेश्वर महादेव शिवलिंग पर जल अर्पण किया जाता है तब ॐ की प्रतिध्‍वनि उत्पन्न होती है।

ग्राम के बुजुर्गों का मानना है कि पहाड़ी के अंदर स्थित गुफाओं, कंदराओं में तपलीन साधु प्रात:काल यहाँ नर्मदा स्नान करने के लिए आते हैं। नेमावर के आस-पास प्राचीनकाल के अनेक विशालकाय पुरातात्विक अवशेष मौजूद हैं।

हिंदू और जैन पुराणों में इस स्थान का कई बार उल्लेख हुआ है। इसे सब पापों का नाश कर सिद्धिदाता ‍तीर्थस्थल माना गया है।

कहा गया है कि - रावण के सुत आदि कुमार, मुक्ति गए रेवातट सार। कोटि पंच अरू लाख पचास, ते बंदों धरि परम हुलास॥ उक्त निर्वाण कांड के श्लोक के अनुसार रावण के पुत्र सहित साढ़े पाँच करोड़ मुनिराज नेमावर के रेवातट से मोक्ष पधारे हैं। रेवा नदी जो कि नर्मदा के नाम से भी जानी जाती है। जैन शास्त्र के अनुसार नेमावर नगरी पर प्रचीन काल में कालसंवर और उनकी रानी कनकमला राज्य करते थे। आगे जाकर यह निमावती और बाद में नेमावर हुआ।

नेमावर नदी के तल से विक्रम संवत 1880 ई.पू. की तीन विशाल जैन प्रतिमाएँ निकली है। पहली 1008 भगवान आदिनाथ की मूर्ति जिन्हें नेमावर जिनालय में, दूसरी 1008 भगवान मुनिसुव्रतनाथ की मूर्ति, जिन्हें खातेगाँव के जिनालय में और 1008 भगवान शांतिनाथ की पद्‍मासनस्त मूर्ति, जिन्हें हरदा में रखा गया है। इसी कारण इस सिद्धक्षेत्र का महत्व और बढ़ गया है।

जैन-तीर्थ संग्रह में मदनकीर्ति ने लिखा है कि 26 जिन तीर्थों का उल्लेख है उनमें रेवा (नर्मदा) के तीर्थ क्षेत्र का महत्व अधिक है उनका कथन है कि रेवा के जल में शांति जिनेश्वर हैं जिनकी पूजा जल देव करते हैं। इसी कारण इस सिद्ध क्षेत्र को महान तीर्थ माना जाता है। उक्त सिद्ध क्षेत्र पर भव्य निर्माण कार्य प्रगति पर है। यहाँ पर निर्माणाधीन है पंचबालवति एवं त्रिकाल चौबीस जिनालय। लगभग डेढ़ अरब की लागत से उक्त तीर्थ स्थल के निर्माण कार्य की योजना है। लगभग 60 प्रतिशत निर्मित हो चुके यहाँ के मंदिरों की भव्यता देखते ही बनती है।

श्रीदिगंबर जैन रेवातट सिद्धोदय ट्रस्ट नेमावर, सिद्धक्षेत्र द्वारा उक्त निर्माण किया जा रहा है। ट्रस्ट के पास 15 एकड़ जमीन हो गई है जिसमें विश्व के अनूठे 'पंचबालयति त्रिकाल चौबीसी' जिनालय का निर्माण अहमदाबाद के शिल्पज्ञ सत्यप्रकाशजी एवं सी.बी. सोमपुरा के निर्देशन में हो हो रहा है। संपूर्ण मंदिर वं‍शी पहाड़पुर के लाल पत्थर से निर्मित हो रहा है। पूर्ण मंदिर की लम्बाई 410 फिट, चौड़ाई 325 फिट एवं शिखर की ऊँचाई 121 फिट प्रस्तावित है। जिसमें पंचबालयति जिनालय 55 गुणित 55 लम्बा-चौड़ा है। सभा मंडप 64 गुणित 65 लम्बा-चौड़ा एवं 75 फिट ऊँचा बनना है।

खातेगाँव, नेमावर और हरदा के जैन श्रद्वालुओं के अनुरोध पर श्री 108 विद्यासागरजी महाराज के इस क्षेत्र में आगमन के बाद से ही इस तीर्थ क्षेत्र के विकास कार्य को प्रगति और दिशा मिली। श्रीजी के सानिध्य में ही उक्त क्षेत्र पर निर्माण कार्य का शिलान्यास किया गया। इंदौर से मात्र 130 कि॰मी॰ दूर दक्षिण-पूर्व में हरदा रेलवे स्टेशन से 22 कि॰मी॰ तथा उत्तर दिशा में खातेगाँव से 15 कि॰मी॰ दूर पूर्व दिक्षा में स्थित है यह मंदिर। यहाँ कई साधू संत व महायोगी की नगरी रही है आज भी यहाँ चिन्मय धाम आश्रम स्थित है जो विश्वनाथ प्रकाश जी महाराज द्वारा स्थापित है जिन्हें ब्रह्मचारी बाबा कहा जाता था । आश्रम पर वासुदेवानंद सरस्वती (टेम्बे स्वामी) जी की पादुका भी स्थापित है।

मंदिर निर्माण मान्यता

नर्मदा के तीर स्थित यह मंदिर हिंदू धर्म की आस्था का प्रमुख केंद्र है। 10वीं और 11वीं सदी के चंदेल और परमार राजाओं ने इस मंदिर का जिर्णोद्धार किया, जो अपने-आप में स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। मंदिर को देखने से ही मंदिर की प्राचीनता का पता चलता है। मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर शिव, यमराज, भैरव, गणेश, इंद्राणी और चामुंडा की कई सुंदर मूर्तियाँ उत्कीर्ण है।


प्राचीन एवम् इतिहासिक महत्व का सिद्धनाथ मंदिर है मान्यता हे की इस मंदिर को कौरवो एवम् पांडवो द्वारा बनाया गया था। मंदिर निर्माण की कथा महाभारत कालीन है बताया जाता हे की कौरवो एवम् पांडवो के बिच एक रात में मंदिर निर्माण की शर्त्त लगी थी कौरव की संख्या अधिक होने से उन्होंने एक ही रात में तत्कालीन सिद्धनाथ मंदिर जा निर्माण कर दिया जबकि पांडवों की संख्या कम थी अत उनका मंदिर अधूरा ही बन पाया जो आज भी मुख्य मंदिर से पास ही मणिगिरी पर्वत पर वेसी ही अवस्था में स्थित है कौरवो ने मंदिर निर्माण कर पांडवो को अभिमान वश होकर ताने मारेे अतः भीम ने कोधित होकर मंदिर को घुमा कर मंदिर का मुख द्वार पूर्व से पश्चिम दिशा में कर दिया जो आज भी है। कई विद्वानों की माने तो मन्दिर पर बनाई गई मुर्तिया विश्व में एक अद्भुत कलाकृति है।

यातायात

  • वायु मार्ग : यहाँ से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा देवी अहिल्या एयरपोर्ट, इंदौर 130 किमी की दूरी पर स्थित है।
  • रेल मार्ग : इंदौर से मात्र 130 किमी दूर दक्षिण-पूर्व में हरदा रेलवे स्टेशन से 22 किमी तथा उत्तर दिशा में भोपाल से 170 किमी दूर पूर्व दिशा में स्थित है नेमावर।
  • सड़क मार्ग : नेमावर पहुँचने के लिए इंदौर से बस या टैक्सी द्वारा भी जाया जा सकता है

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
  2. "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293