नेपोलियन का रूस पर आक्रमण
French Invasion of Russia | |||||||
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the Napoleonic Wars का भाग | |||||||
Clockwise from top left: The Battle of Borodino by Louis Lejeune; The Fire of Moscow by Albrecht Adam; Marshal Ney at the battle of Kaunas by Auguste Raffet; French retreat by Illarion Pryanishnikov. | |||||||
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योद्धा | |||||||
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सेनानायक | |||||||
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शक्ति/क्षमता | |||||||
साँचा:lang: c. 685,000साँचा:sfn | साँचा:plainlist | ||||||
मृत्यु एवं हानि | |||||||
साँचा:plainlist | Deaths: 210,000[१] |
नेपोलियन की साम्राज्यवादी आकांक्षा तथा महाद्वीपीय व्यवस्था के प्रश्न पर रूस के साथ उसके संबंध पुनः बिगड़ गए। फलस्वरूप 1812 ई. में नेपोलियन ने रूस पर आक्रमण कर दिया। फ्रांस में इसे 'रूसी अभियान' कहा जाता है जबकि रूस में इसे '१८१२ का देशभक्तिपूर्ण युद्ध'।
नेपोलियन की सेना ने नोमेन नदी पार कर रूस की सीमा में प्रवेश किया। रूसी सेनाओं ने फसलों, भंडारों को नष्ट करते हुए पीछे हटने तथा छापामार हमले करते रहने की नीति अपनाई। अनेक कठिनाईयों का सामना करते हुए किसी तरह जब नेपोलियन मास्को पहुुंचा तो उसने पूरे शहर को वीरान पाया। वास्तव में अभी तक फ्रांसीसी सेना अपना खर्च पराजित प्रदेशों से निकालती थी किन्तु इस युद्ध पद्धति और रणनीति से यह संभव नहीं हो सका। नेपोलियन को आशा थी कि जार आत्मसमर्पण कर देगा परन्तु जार आत्मसमर्पण के बजाय साइबेरिया चला गया। नेपोलियन मास्कों में लगभग दो महीने तक शांति प्रस्ताव की प्रतीक्षा में रहा, तभी उसके सैनिकों के लिए खाद्य सामग्री का संकट पैदा हो गया तथा महामारी फैल गई। अतः नेपोलियन को लाचार होकर मॉस्को से लौटाना पड़ा। सेना को भूख, ठंड और रूसियों ने परेशान किया। इस तरह जब नेपोलियन ने रूस की सीमा छोड़ी तब वह अपने 6 लाख में से 5 लाख सैनिक खो चुका था। इस तरह से यह अभियान निरर्थक सिद्ध हुआ। इसकी असफलता का कारण नेपोलियन की हठधर्मिता और रूसी सैनिकों की पीछे हटने की कूटनीति को न समझ पाना था।
सन्दर्भ
- ↑ Bogdanovich, "History of Patriotic War 1812", Spt., 1859–1860, Appendix, pp. 492–503.