नेपाल रेलवे

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नेपाल में रेलवे की शुरुवात सन 1927 में रक्सौल (भारत) से अमलेखगंज (नेपाल में 46 किमी) के बीच एक 48 किमी लम्बी रेललाइन के साथ हुई थी। इस लाइन का आमान 2’6” (762 मिमी) रखा गया था। इस लाइन को 1965 में बंद कर दिया गया था। 2005 में इस लाइन के कुछ हिस्से को आमान परिवर्तन के बाद रक्सौल से सिर्सिया अन्तर्देशीय कंटेनर डिपो, बीरगंज के बीच एक 6 किमी दूरी की बड़ी लाइन (5’6”, 1675 मिमी) के रूप में शुरु किया और अब इसका प्रयोग विशेष रूप से भारतीय रेल द्वारा संचालित माल गाड़ियों द्वारा प्रयोग किया जाता है।

1937 में इस मूल लाइन के साथ एक 2’6” (762 मिमी) की अन्य लाइन को जोड़ा गया जिसकी लम्बाई, 53 किमी (नेपाल में 50 किमी) थी। यह लाइन बीज़लपुरा से जनकपुर होकर जयनगर (भारत) जाती थी जहां यह भारतीय रेल की मुख्य लाइन से जुड़ती थी। 2001 में बीज़लपुरा से जनकपुर के मध्य के खंड को रास्ते के एक पुल गिरने के कारण बंद कर दिया गया हालांकि जनकपुर से जयनगर के बीच की 29 किमी लम्बी लाइन 2014 तक रुक रुक कर चलती रही, जब इसे बड़ी लाइन में परिवर्तित करने के लिए बंद कर दिया गया। इस लाइन को भारतीय रेल की एक शाखा के रूप में 2017 में फिर से खोलने की योजना है।

2010 के आसपास, नेपाल में नई रेल परियोजनाओं से संबंधित कई प्रस्ताव चर्चा में आये। इन प्रस्तावों में सबसे प्रमुख 945 किमी दूरी की एक विद्युतीकृत लाइन है जो पूर्व में काँकरविट्टा से लेकर पश्चिम में भीम दत्ता से भारतीय सीमा पर स्थित गड्डाचौकी तक जायेगी। इस परियोजना के प्रथम चरण के अंतर्गत सिमारा के पास पहले 5 किमी खंड का निर्माण कार्य 2014 में शुरू हो चुका है। कुछ छोटी परियोजनायें जिनकी कुल लम्बाई 180 किमी है और यह मुख्यत: नेपाल को अनेक स्थानों पर भारत से जोड़ेंगी भी प्रस्तावित की गयी हैं। राजधानी काठमांडू में एक मेट्रो प्रणाली के लिए भी 2012 में एक व्यवहार्यता अध्ययन शुरू किया गया है।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

इन्हें भी देखें