नारायण प्रसाद सिंह

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

नारायण प्रसाद सिंह (१६ दिसम्बर १८८७ - ) भारत के एक राजनेता एवं पत्रकार थे। वे १९३७ में बनी पहली संविधान सभा के सदस्य थे।

नारायण बाबू हिन्दी, भोजपुरी, उर्दू, अंग्रेजी और फारसी में प्रवीण थे। १९३३ में उन्होने 'योगी' नामक एक साप्ताहिक निकाला जिसमें धर्म और नैतिकता से सम्बन्धित लेख छपा करते थे।[१] यह पत्रिका १९७२ तक अनवरत चलती रही। उन्होने किसाअनों के लिए एक कविता लिखी, जिसका नाम था- 'बैल-बत्तीसी'। इसमें उन्होने अच्छे बैल की विशेषताओं के बारे में लिखा।

वे मातृभाषा के बड़े प्रेमी थे। एक बार संविधान सभा में उन्होने सार्वजनिक सुरक्षा पर हिन्दी में बोलने के लिए अध्यक्ष से अनुमाति मांगी। अध्यक्ष विट्ठल भाई पटेल उनको इसकी अनुमति नहीं दे रहे थे किन्तु बहुत चर्चा के बाद उन्होने नारायण बाबू को हिन्दी में बोलने की अनुमति दी।[२]

सन्दर्भ