नाग (वंश)

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

भारत भूमि विभिन्न मानवीय जातियो तथा संस्कृतियों का अजायब घर है। नाग जातियां अपनी मानवीय विशेषताओ के चलते सम्पूर्ण भारत मे पूजनीय रही है। सर्वशक्तिमान ईश्वर "शिव "नाम से सभी मनुष्यों समान रूप से विद्यमान है जो नारी में श्रद्धा रूप में तथा परुषों में विश्वास रूप में होता है। 'भगवान शिव'नाग जातियो के सभी वंशो के पूजनीय है।भगवान शिव पर विश्वास कर उनकी पूजा करने वालो को शैवधर्मी तथा ऐसे धर्म को शैवधर्म कहते है,तथा इस धर्म से सम्बंधित ग्रन्थों को शैव धर्मशास्त्र कहते है। शैवधर्म शुद्ध वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक धर्म है जो मनुष्य को मानवता और आध्यात्मिकता के उच्च गुण की ओर ले जाकर मनुष्य का कल्याण करने वाला है।शैव धर्मशास्त्रो में 'शिव 'ने मनुष्य को ही श्रेष्ठ माना है।शैवधर्म और वैष्णव धर्म हमेशा ही प्रतिद्वंद्वी रहे है।शैवधर्म ,जहाँ लोकधर्म जनसामान्य का धर्म रहा है वही वैष्णव धर्म राजसी और व्यापारियों का धर्म रहा है।शैवशास्त्रों में वर्णन है कि जब कलियुग में वैष्णव धर्मी संरक्षक भगवान विष्णु नर रूप में ब्राह्मण के घर अवतार लेंगे तब भगवान शिव के गण शैवधर्म की शिक्षाओं का प्रसार कर रहे होंगे। नाग जाति के लोग शिव के अतिरिक्त किसी को अपना आराध्य नही मानते है।

प्राचीन शैव ग्रंथों में नाग कबीले अत्यंत समृद्ध और शक्तिशाली बताये गए है।जिन्होंने पूरे विश्व मे नाग सभ्यता व संस्कृति को फैलाया है।नाग सभ्यता में बैल नागों का पवित्र पशु माना जाता था।भारत मे नाग जातियां प्राचीन काल से निवास कर रही है जो विभिन्न नामों से भारत के अलग अलग भागो में पायी जाती है।विश्व मे नागो के कुल पांच वंशो में तक्षक(टाक)नागकुल के लोग भारत मे बहुतायत में निवास कर रहे है। इतिहास में कुषाणयुग के बाद तथा गुप्त युग के पहले ये भारशिव नाम से जाने जाते थे,जोकि नागों की उपाधि थी। भारशिवों ने ही सबसे पहले गंगा और जमुना नदियों को पवित्र मानकर उनको मानवीय रूप में स्थापित किया तथा पवित्र गंगा जल से शास्त्र सम्मत अपना राज्याभिषेक कर दस अश्वमेध यज्ञ किये थे। गुप्त युग मे समुद्रगुप्त से परास्त होकर काल गति के मारे नागजन राजभर बनकर गुप्तकाल के शासन में योगदान देने लगे।