नागौद रियासत

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नागौद रियासत
नागौद
Nagode State
रियासत
1344 – 1950

Flag of Nagod

Flag

स्थिति Nagod
भारत के इंपीरियल गैजेटियर में नागौद रियासत
इतिहास
 - स्थापना 1344
 - भारत की स्वतन्त्रता 1950
क्षेत्रफल
 - 1901 १,२९८ किमी² साँचा:nowrap
जनसंख्या
 - 1901 ६७,०९२ 
     घनत्व ५१.७ /किमी²  (१३३.९ /वर्ग मील)
इस लेख की सामग्री सम्मिलित हुई है ब्रिटैनिका विश्वकोष एकादशवें संस्करण से, एक प्रकाशन, जो कि जन सामान्य हेतु प्रदर्शित है।.

नागौद रियासत (जिसे 'नागोड`' और 'नागौद' के नाम से भी जाना जाता है), मध्य प्रदेश के आधुनिक सतना जिले में स्थित ब्रिटिशकालीन भारत का एक रियासत था।[१] 18वीं शताब्दी तक रियासत को उसकी राजधानी उचेहरा के मूल नाम 'उचेहरा' से भी जाना जाता था।

इतिहास

1478 में, राजा भोजराज जूदेव ने उचेहराकल्प (वर्तमान में उचेहरा शहर) की स्थापना की थी जिसे उन्होंने तेली राजाओं से नारो के किले पर कब्जा कर प्राप्त की थी। 1720 में रियासत को अपनी नई राजधानी के नाम पर नागौद नाम दिया गया। 1807 में नागौद, पन्ना रियासत के अन्तर्गत आता था और उस रियासत को दिए गए सनद में शामिल था। हालांकि, 1809 में, शिवराज सिंह को उनके क्षेत्र में एक अलग सनद द्वारा मान्यता प्राप्ति की पुष्टि हुई थी। नागौद रियासत, 1820 में बेसिन की संधि के बाद एक ब्रिटिश संरक्षक बन गया। राजा बलभद्र सिंह को अपने भाई की हत्या के लिए 1831 में पदच्युत कर दिया गया था। फिजुलखर्ची और वेबन्दोबस्ती के कारण में रियासत पर बहुत कर्ज हो गया और 1844 में ब्रिटिश प्रशासन ने आर्थिक कुप्रबंधन के कारण प्रशासन को अपने हाथ में ले लिया। नागौद के शासक 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान अंग्रेजों के वफादार बने रहे फलस्वरूप उन्हें धनवाल की परगना दे दी गई। 1862 में राजा को गोद लेने की अनुमति देने वाले एक सनद प्रदान किया गया और 1865 में वहाँ का शासन पुनः राजा को दे दिया गया। नागौद रियासत 1871 से 1931 तक बघेलखण्ड एजेंसी का एक हिस्सा रहा, फिर इसे अन्य छोटे राज्यों के साथ बुंदेलखंड एजेंसी को स्थानांतरित कर दिया गया। नागौद के अंतिम राजा, एच.एच. श्रीमंत महेंद्रसिंह ने 1 जनवरी 1950 को भारतीय राज्य में अपने रियासत के विलय पर हस्ताक्षर किए।[२]

भौगोलिक और आर्थिक स्थिती

नागौद रियासत की राजधानी "नागौद" सतना जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर अमरन नदी के किनारे स्थित हैं। इसका क्षेत्रफल 501 वर्गमील है। रियासत का सम्पूर्ण भाग, विन्ध्याचल पठार पर स्थित है। रियासत में मुख्य रूप से टौंस, सतना, अमरन, महानदी आदि नदियाँ है। रियासत तीन तहसिलों में बटा हुआ था नागौद, उचेहरा, और धनवाही।

राज्य का एक तिहाई भाग पवाई और जांगीरों में बटा हुआ था। रियासत में कुल 401 मौजे थी। रियासत की सम्पूर्ण आय लगभग रू० 400000.00 थी।

शासक

नगौद रियासत में परिहार राजपूतों का शासन था और उन्हैं 9 बंदूकों की एक वंशानुगत सलामी प्रदत्त थी।[३] इस वंश के राजा इस प्रकार थे-

  • भोजराज जू देव - (1492 - 1503 ई०)
  • करण देव
  • नरेन्द्रसिंह (निर्णयसिंह) - (1560 - 1612 ई०)
  • भारत शाह - (1612 - 1648 ई०)
  • पृथ्वीराज - (1649-1685 ई०)
  • फकीरशाह -(1686-1720 ई०)
  • चैनसिंह - (1720-1748 ई०)
  • अहलादसिंह - (1748-1780 ई०)
  • शिवराजसिंह - (1780-1818 ई०)
  • बलभद्रसिंह - (1818-1831 ई०)
  • राघवेन्द्रसिंह -(1831-1874 ई०)
  • यादवेन्द्रसिंह - (1874 - 1922 ई०)
  • नरहेन्द्रसिंह - (1922 - 1926 ई०)
  • महेन्द्रसिंह - (1926 - 15 अगस्त 1947 ई०)

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियाँ

  • "प्रतिहार राजपुतों का इतिहास", लेखक रामलखन सिंह।