नवरंग (1959 फ़िल्म)

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
नवरंग
चित्र:नवरंग.jpg
नवरंग का पोस्टर
निर्देशक वी शांताराम
निर्माता राजकमल कमलमंदिर
अभिनेता महिपाल,
संध्या,
आगा
संगीतकार सी रामचंद्रा
प्रदर्शन साँचा:nowrap 1959
देश भारत
भाषा हिन्दी

साँचा:italic title

नवरंग 1959 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।

संक्षेप

इस फिल्म में भारतीय राजा महाराजाओं के दरबार में नृत्य और गायन के महत्त्व के साथ ब्रिटिश राज के प्रभाव को दर्शाया गया है। दिवाकर (महिपाल) की एक कवि है। पर सदैव पिता के डर के कारणं वो घर में कम ही रहता है। पिता के अनुसार वो एक लापरवाह युवक है जो कविता जैसी फालतू कलाओं में अपनी जिंदगी बरबाद कर रहा है। घर के अत्यंत पारंपरिक वातावरण के कारण वो अपनी पत्नी जमुना (यानी संध्या) से मिल नहीं पाता। इसलिये कुंठा ग्रस्त होकर अपनी कल्पना के द्वारा एक काल्पनिक पात्र मोहिनी की रचना करता है जो नृत्य और गायन जैसी तमाम कलाओं में पारंगत है। जबकी उसकी पत्नी वैसी है ही नहीं। हमेशा मोहिनी का नाम जबान पर होने के कारण वो पत्नी को भी मोहिनी के नाम से ही पुकारता है जिससे उसकी पत्नी को ये भ्रम हो जाता है कि वो किसी पराई स्त्री की ओर आकर्षित है। घर में तनाव पैदा हो जाता है। ब्रिटिश राज के विरुद्ध उसकी कविता के कारण राजा के द्वारा प्रदान की गयी नौकरी जाती रहती है और इसलिये उसके ससुर संध्या को मायके ले जाते है। पिता के आग्रह पर नवरंग यानी दिवाकर उसे मनाने जाता है पर ससुर उसका अपमान करते हैं। वो भूखा प्यासा वापिस लौट आता है। तब जमुना को भी बुरा लगता है क्योंकि वो तो उससे प्रेम करती है। बहू और नाती के विरह में दिवाकर का पिता बीमार पड जाता है और उसकी मौत हो जाती है। सब ओर से परेशान दिवाकर अपनी कविताओं से भी दूर हो जाता है क्योंकि उसकी प्रेरणा उसकी अपनी पत्नी जमुना वहां नहीं है। दिवाकर की सारी परेशानियां जानने के बाद राजा उसे माफ करके आमंत्रित करता है और कविता सुनाने को कहता है। पर दिवाकर इन्कार कर देता है। क्रोधित महाराजा उसे बंदी बनाने का आदेश दे देता है। इस बीच सारी बातें समझने के बाद पश्चाताप की आग में जलती उसकी पत्नी वापस लौटने का मन बना लेती है। पत्नी से उसके मानसिक जुडाव के कारण पत्नी के आगमन का उसे आभास हो जाता है और वह अपनी कला में फिर खो जाता है। यहीं उसकी पत्नी को ये पता लगता है कि उसकी मोहिनी और कोई नहीं, स्वयं वही है।वो स्वीकार करती है कि उससे गलती हुई है। राजा उसे उसकी राजकवि का खिताब देकर नौकरी कायम करता है। दिवाकर जमुना के साथ फिर एक बार नई जिंदगी जीने तैयार हो जाता है।

चरित्र

मुख्य कलाकार

  • महिपाल – दिवाकर
  • संध्या - जमुना/मोहिनी
  • आगा
  • केशव राव दाते
  • चंद्रकांत गौर
  • वंदना
  • उल्हास
  • वत्सला देशमुख
  • बाबुराव पेंढारकर
  • जितेंद्र

दल

  • निर्देशक : वी शांताराम
  • संपादक : चिंतामणी बोरकर
  • पताका : राजकमल कलामंदिर
  • छायांकन : त्यागराज पेंढारकर
  • नृत्य निर्देशक : श्याम कुमार
  • संगीतकार : सी रामचंद्र
  • गीतकार : भरत व्यास
  • ध्वनिमुद्रक : ए के परमार

संगीत

सभी गीत भरत व्यास द्वारा लिखित; सारा संगीत सी रमचंद्र द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."आ दिल से दिल मिला ले"आशा भोंसले 
2."आधा है चंद्रमा"आशा भोंसले, महेंद्र कपूर 
3."अरे जा रे हट नटखट"आशा भोंसले, महेंद्र कपूर 
4."कारी कारी कारी अंधियारी"आशा भोंसले, सी रामचंद्र 
5."कविराजा कविता के मत अब कान मरोडे"भरत व्यास 
6."राने दे रे"आशा भोंसले, मन्ना डे, सी रामचंद्र 
7."श्यामल श्यामल बरण"महेंद्र कपूर 
8."तुम मेरे मैं तेरी"आशा भोंसले 
9."तुम् पश्चिम हो हम पूरब"सी रामचंद्र 
10."तुम सैयां गुलाब के"आशा भोंसले 
11."तू छुपी है कहां"आशा भोंसले, मन्ना डे 
12."ये माटी सभी की कहानी कहेगी"महेंद्र कपूर 

रोचक तथ्य

परिणाम

बौक्स ऑफिस

समीक्षाएँ

नामांकन और पुरस्कार

बाहरी कड़ियाँ