द विन्ची कोड

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द विन्ची कोड डैन ब्राउन द्वारा लिखी गई पुस्तक है। इसके आधार पर 2006 मे एक फिल्म भी बनी है। ये कहानी है जिसमे रोबर्ट लेन्ग्दोन तथा सोफी नेव्यू जाँच करते है एक खून की जो कि होता है पेरिस के एक मशहूर संग्रहालय , लोव्रे मे।

परिचय

वर्ष २००६ की सबसे बहुचर्चित पहेली, एक ज़ज साहब के द्वारा एक फैसला देते समय पूछी गयी। यह फैसला 'द विन्ची कोड' नामक पुस्तक के बौधिक सम्पदा अधिकार से सम्बन्धित मुकदमे मे दिया गया है। इस फैसले के तथ्य इस प्रकार हैं।

डैन ब्राउन ने 'द विन्ची कोड' (da vinci code) नाम की पुस्तक लिखी है तथा इसे रैन्डम हाउस ने छापी है। यह काल्पनिक कहानी है। लेखक के शब्दों में यह यहां है।

इसकी कहानी कुछ इस तरह की है कि यीशू मसीह ने शादी की थी तथा उनके वंशज भी हैं यह बात वेटिकन ने छिपा कर रखी है। एक संग्रहाध्यक्ष को यह मालुम थी। उसकी हत्या हो जाती है। वह मरते समय लियोनार्दो द विन्ची के एक चित्र की आकृति बनाते हुये, फिबोनाकी सिरीस के नम्बरो के साथ, संकेत के रूप में छोड़ जाता है। आगे क्या होता है यह जानने के लिये तो किताब पढ़नी पड़ेगी पर रैन्डम हाऊस के उपर इस किताब के पीछे एक मुकदमा दायर हो गया और हमें तो इसके फैसले से मतलब है।

कुछ साल एक और किताब 'द होली ब्लड ऐन्ड होली ग्रेल' तीन लेखकों ने छापी थी उसमें से दो ने रैन्डम हाउस के उपर एक मुकदमा यह कहते हुऐ दायर किया कि द विन्ची कोड की पुस्तक में उनकी किताब का सार ले लिया है; इससे उनके बौधिक सम्पदा अधिकारों का हनन हुआ है।

यह मुकदमा इंगलैंड मैं चला तथा न्यायमूर्ती पीटर स्मिथ ने इसे ७ अप्रैल २००६ को खारिज कर दिया। यह फैसला इस जगह यहां है। इस मुकदमे मे कुछ शब्दों का एक अक्षर तिरछे (italics) में टाईप है। यह कुछ अजीब बात है। फैसले मे पूरे, पूरे शब्द तो अकसर तिरछे रहते हैं पर किसी शब्द का एक अक्षर कभी तिरछा नहीं रहता। पहले तो लोगों ने यह समझा कि यह गलती है पर बाद मे यह लगा कि इसमे भी कोई रहस्य हो।

पहले नौ तिरछे अक्षरों को देखें तो वे smithcode हैं, या इन्हे ठीक से रखें तो यह हो जाता है smith code. जज़ साहब का नाम भी smith है। इससे लगा कि वह भी 'द विन्ची कोड' की तरह रहस्यमयी बात कहना चाहते हैं। लेकिन बाद के तिरछे अक्षरों का कोई मतलब नहीं निकल रहा था। जज़ साहब ने पहले तो अपने फैसले के बारे में कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया पर बाद में ईमेल से पुष्टि की यह एक पहेली है। उन्होने किताब के उस पेज नम्बर पर इशारा किया जहां पर फिबोनाकी सिरीस का जिक्र है। इन नम्बरों की सहायता से तिरछे अक्षरों का खुलासाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]। वे सौ साल पहले, नेवी के एडमिरल जैकी फिशर के बारे मे लोगों का ध्यान आर्कषित करना चाह रहे थे। शायद पहले कभी किसी जज़ ने इस तरह से अपने फैसले मे पहेली नहीं बूझी है।

इन्हें भी देखें

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