द फैण्टम
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द फैण्टम | |
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चित्र:First Phantom Sunday strip.jpg पहली रविवारीय पट्टी (मई 28, 1939); कला: रे मूर | |
Author(s) | ली फ़ाॅक |
Current status / schedule | जारी |
Launch date | फरवरी 17, 1936 |
Syndicate(s) | किंग फीचर्स सिंडीकेट |
Genre(s) | रोमांचक |
द फैण्टम (अंग्रेजी; The Phantom/ अनुवाद; बेताल), एक अमेरिकी एडवेंचर काॅमिक्स/चित्रकथाओं के दीर्घकालिक श्रंखला के काल्पनिक एवं फंतासी नायक हैं, जिसे पहली बार जादूगर मेण्ड्रेक[१] के रचयिता ली फ़ाॅक ने फरवरी १९३६ में प्रकाशित किया, जिसे अब मुख्यतः अंतर्राष्ट्रीय तौर पर फ्रयु पब्लिकेशन प्रकाशित करती है। मुख्य किरदार, "फैण्टम", काल्पनिक पोशाक पहना एक क्राईम-फाईटर (अपराध-विरोधी) है जिसका शरणस्थल अफ्रीका के काल्पनिक राष्ट्र बैंगाला में बताया जाता हैं। इस किरदार की प्रसिद्धि को दूरदर्शन, फ़िल्म तथा विडियो गेम में काफी भूनाया गया है। इस श्रंखला का आरंभ फरवरी १७, १९३६ से दैनिक समाचार पत्रों में स्ट्रिप या पट्टी के रूप जारी किया गया, ओर फिर मई २८, १९३९ की रविवार के साप्ताहिक तौर पर रंगीन पट्टी के रूप में जारी किया गया;और दोनों ही वर्ष २०१६ तक अबभी जारी है। सन् १९६६ में, किंग फीचर्स का दावा था कि "द फैण्टम" तब वैश्विक स्तर पर ५८३ विभिन्न अखबारों में इसका प्रकाशन जारी रहा था। [२] अपनी लोकप्रियता के चरम पर, इस पट्टी को प्रत्येक दिन १०० करोड़ से अधिक लोगों के द्वारा पढ़ा गया था।[३][४] फ़ाॅक ने १९९९ तक अपने देहांत से पूर्व तक "द फैण्टम" पर करते रहें; उनके गुजरने के बाद वर्तमान में, उनकी काॅमिक्स का लेखन टोनी डी'पाउल और चित्र आदि का काम पाउल रयान (सोम-शनि) एवं टेरी बिटी (रवि) ने आज भी इसे जारी रखा। वहीं पूर्व कलाकार जिन्होंने अखबारों में इसके स्ट्रिप बनाने का योगदान दिया उनमें रे मूर, विल्सन मैक'काॅय, बिल लिगनेंट, सी बैरी, जाॅर्ज ऑलसेन, केथ विलियम्स, फ्रेड फ्रेडरिक, ग्राहम नोलान एवं एड्युआर्डो बैरेटो आदि शामिल रहे। चित्रकथाओं के पट्टी में, जैसा कहा जाता है कि फैण्टम की यह २१वीं पीढ़ियों तक चली क्राईम फाईटिंग का आरंभ सन् १५३६ से हुआ था, क्रिस्टोफर वाॅकर के पिता (जहाँ उनका भी क्रिस्टोफर नाम था) एक ब्रिटिश नाविक थे जिनपर समुद्री लुटेरों ने हमला कर मार डाला। अपने मृत पिता की खोपड़ी से वह प्रतिज्ञा लेता है कि सभी तरह के अपराध एवं अपराधियों के उन्मूलन करेगा, क्रिस्टोफर द्वारा शुरू किया "द फैण्टम" की विरासत पीढ़ी दर पीढ़ी पिता से बेटे तक निभाते रहें। कईयों ने फ़ैन्टम को "चलता फिरता प्रेत", "गार्जियन ऑफ द इस्टर्न डार्क" तथा "अजर-अमर वाले व्यक्ति" जैसे उपनामों की उपाधि दे दी।[५]
वहीं अन्य कल्पित नायकों की तरह पोशाक पहनने के बावजूद, फैण्टम के पास कोई आलौकिक या अमानवीय शक्तियाँ नहीं हैं मगर उच्च स्तर की शारीरिक कुशलता, बेमिसाल बुद्धिमत्ता और लोगों की किंवदंतियों के अनुसार अमर होने की धारणा या दहशत ही शत्रुओं को परास्त करने के लिए काफी है। २१वीं पीढ़ी के फैण्टम का विवाह डायना पामेर से होता है; जहाँ उनकी मुलाकात अमेरिका में अध्ययन दौरान हुई थी और विवाह पश्चात उनके दो संतान भी हुई, किट और हेलुईस। उसके पास डेविल नामक, एक प्रशिक्षित भेड़िया और हीरो नामक घोड़ा रहता है। तथा अपने पूर्वज फैण्टम की तरह, वह भी प्राचीन खोपड़ी गुफा में निवास करता है।
फैण्टम प्रथम फंतासी नायक हैं जिन्होंने कसी हुई पोशाक में स्वयं को प्रस्तुत किया जिसकी एक बानगी आगे चलकर अन्य काॅमिक्स नायकों में भी नजर आई, और पहला नकाब जिससे पुतलियां नजर नहीं आती (अन्य सामान्य सुपरहीरो की तरह)। [4][5] काॅमिक्स इतिहासकार पीटर कुगैन के मुताबिक फैण्टम का यह दौर काफी "संक्रमणकालिक" रहा है, जिससे फैण्टम के चरित्र से मिलते-जुलते अन्य पल्प मैगेजिन के नायक जैसे द शैडो एवं द स्पाइडर का आगमन हो सका, इसी आशंकित स्वरूपों में अन्य काॅमिक्स कथाओं के नायक सुपरमैन, बैटमैन तथा कैप्टन अमेरिका का भी जन्म हुआ।[4]
प्रकाशन का इतिहास
निर्माण
किंग फीचर्स मैण्ड्रेक द मैजिसियन की सफलता के बाद, फ़ाॅक से सवाल किया कि आगे भविष्य में क्या बनाना चाहेंगे। अपनी पहली कोशिश में उन्होंन "किंग आर्थर एंड हिज नाइट्स" के बारे में लेखन और चित्रांकन का काम किया।[६] पर जब किंग फीचर्स ने इस स्ट्रिप को लेने से इंकार किया तो फाॅक ने "द फैण्टम" के विकास पर ध्यान लगाया, एक रहस्यमयी शख्स, जो छद्म पोशाक पहनकर अपराध से लड़ता है। अपनी इस पहली योजना पर एक माह कहानी में तथा, और दो हफ्ते तस्वीरों के नमूनों पर लगाएँ।
उनका यह किरदार कई सारे मिथकों एवं किंवदंतियों (जैसे किंग आर्थर तथा एल सिड) और आधुनिक वर्ग के फंतासी किरदार जैसे ज़ोरो, टार्ज़न और द जंगल बुक्स मोगली से प्रेरित बताया जाता था, फाॅक अपनी इस कल्पित किरदार को दिन में खिलंदड़ किस्म के रईसजादे जिमी वेल्स की तरह दिखाते और रात में उस फैण्टम की तरह जो कि क्राईम-फाईटर है। अपनी प्रथम कहानी दौरान, "द सिंह ब्रदरहुड", वेल्स की कहानियों से ताल्लुकात खत्म कर फैण्टम में बदलाव लाते हुए फ़ाॅक ने उनकी पृष्ठभूमि में जंगल को रखा और फैण्टम को प्रत्यक्ष रूप से अनश्वर, एवं मिथकीय आकार दिलाया।[७] हाँलाकि उनका विचार था कि "द फैण्टम" नाम से और कई किरदार (जैसे द फैण्टम डिटेक्टिव और द फैण्टम ऑफ द ऑपेरा) पहले ही गढ़े जा चुके थे, फ़ाॅक ने तब अपने नायक को "द ग्रे घोस्ट" की उपनाम से उपाधि दी (बाद में यह नाम बैटमैन के ही एक किरदार को मिला, जिसका उल्लेख फैण्टम: २०४० के पहले एपिसोड में देखने मिला)। बावजूद, उन्हें कोई और बेहतर नाम नहीं सुझा, तो इसी "द फैण्टम" नाम के साथ जारी रखने का निश्चय किया है।[८]
वहीं ए.एण्ड.ई अमेरिकी केबल टीवी द्वारा प्रसारित "द फैण्टम: काॅमिक्स स्ट्रिप क्रुसैडर" के साक्षात्कार वृतचित्र में,[९] फ़ाॅक बताते है कि उन्हें ग्रीक प्रतिमाओं को देखकर ही फैण्टम की पुतलियां मिटाने की प्रेरणा मिली जब उसका चरित्र अपना नकाब धारण करता है। वह (भूलवश) यकीन करते हैं कि ग्रीक प्रतिमाओं की पुतलियां बनाई नहीं जाती—अब या तो उनपर रंग पोत दिया जाता, या समयानुसार धुंधले पड़ जाते—और इससे वे काफी अमानवीय दिखते, या बहुत भयावह लगते। वर्ष २००५ को काॅमिक्स बुक मार्केटप्लेस की ओर से साक्षात्कार में,[१०] फ़ाॅक कहते हैं कि उन्हें "द फैण्टम" की कसी हुई पोशाक की प्रेरणा रोबिन हुड से मिली, जो अक्सर फ़िल्मों एवं नाटकों में इसी तरह के कसे हुए पोशाक पहनता।
अखबारों की कतरन में
"द फैण्टम" का आरंभ दैनिक कतरनों के साथ फरवरी १७, १९३६ में [11] "द सिंह ब्रदरहुड" के शीर्षक से हुआ,[12] जिनकी कथा एवं चित्रांकन फ़ाॅक द्वारा दो हफ्तों तक रहा और आगे रे मूर (मैण्ड्रेक द मैजिशियन के आर्टिस्ट फ़िल डेविस के सहायक) ने जारी रखा। उसी वर्ष, द फ़ैंटम को ऑस्ट्रेलिया वुमैन मिरर में श्रेणीबद्ध किया गया। रविवार को फिर "फैण्टम" की कतरनों को मई २८, १९३९ में जारी किया।[13]
द्वितीय विश्वयुद्ध के वक्त फ़ाॅक ने युद्ध संबंधित जानकारी देनेवाले कार्यालय में काम किया, जहाँ वे आकाशवाणी विभाग में विदेशी-भाषा के बतौर प्रमुख जुड़े रहें। मूर भी युद्ध दौरान अपनी सेवा देते रहे और स्ट्रिप बनाने का काम उनके सहयोगी, विल्सन मैक'काॅय के जिम्मे छोड़ा। जब मूर वापिस आए तो उन्होंने १९४९ तक कई मायनों में स्ट्रिप पर जब तक काम किया, तब तक मैक'काॅए काफी सफल हो चुके थे।[14] मैक'काॅए की कार्यावधि तक, "द फैण्टम" वैश्विक स्तर के हजारों अखबारों में पहुँच चुकी थी और नाज़ी अधिकृत क्षेत्र नाॅरवे में नावों द्वारा तस्करी के लिए; "फैण्टम" नाम के कूटशब्द से वहां नाॅरवेयिन इलाके में बेरोकटोक गतिविधियाँ जारी रखी जाती।[15]
वर्ष १९६१ में मैक'काॅए का आकस्मिक निधन हुआ। तत्पश्चात कार्माईन इनफैन्टिनो एवं बिल लिगनेंट (जिन्होंने बाद में फैण्टम की कई कहानियों पर काॅमिक्स के लिए चित्रांकन किया) ने साई बैरी की खोज से पूर्व सफलतापूर्वक इसकी खानापूर्ति की।[16] अपने कार्यकाल के दिनों में बैरी तथा फ़ाॅक ने मिलकर स्ट्रिप का आधुनिकीकरण कराया, इस बुनियाद पर कि आज की सामयिक परिस्थितियों में माॅर्डन फैण्टम का क्या नजरिया होगा। बैरी के अंतर्गत, बेंगाला में वह लोकतंत्र लेकर आए तथा उसके चरित्र राष्ट्रपति लमांडा लुआगा से परिचय कराया। बैरी ने "द फैण्टम" के लिए अगले ३० वर्ष तक १९९४ में सेवानिवृत्त होने से पूर्व तक काम किया, इस दरम्यान उन्होंने कुल ११,००० स्ट्रिप बना डाले थे।[17] लंबे वक्त तक उनके बतौर सहायक जाॅर्ज ऑलसन उनकी स्ट्रिप पर पेंसिलिंग करते रहे, वहीं साथ में केथ विलियम्स इस दैनिक स्ट्रिप पर इंकिंग करते रहे। रविवार की साप्ताहिक स्ट्रिप पर इंकिंग का काम एरिक डाॅएश्कर किया करते जहाँ १९९५ तक फ्रेड फ्रेडरिक उनसे काफी सफल रहे थे।
फ़ाॅक, मार्च १३, १९९९ के देहांत के उपरांत तक द फैण्टम तथा मैण्ड्रेक की पटकथा पर निरंतर काम कर रहे थे। उनकी अंतिम दैनिक एवं रविवारीय कतरनों की कहानी, क्रमशः "टेरर एट द ऑपेरा" और "द किडनैपर्स", का समापन उनकी पत्नी एलिज़ाबेथ द्वारा किया गया और अंततः इसके बाद अस्पताल में उनके ऑक्सीजन मास्क हटाने की अनुमति दे दी गई।[18] फ़ाॅक के निधन बाद किंग फीचर्स, युरोपीय काॅमिक्स प्रकाशक एग्माॅनट के सहयोग से, जोकि स्वीडिश फैंटोमेन पत्रिका के भी प्रकाशक (जिन्होंने फैण्टम की कहानियों वाली काॅमिक्स पुस्तक हटकर बाद में अखबार द्वारा स्ट्रिप जारी करना बेहतर लगा) हैं जहाँ उन्होंने फ़ैंटम की काॅमिक्स कहानियों को स्ट्रिप फाॅर्मेट में जारी किया। फैन्टोमेन के लेखक टोनी दे पाउल तथा क्लैएस रेमेर्थी तब फ़ाॅक के निधन पर अखबारों के स्ट्रिप्स में उनके वैकल्पिक लेखक के तौर पर कार्यरत रहे थे, जहाँ दे पाउल ने दैनिक पट्टियों का जिम्मा लिया तो रेमेर्थी रविवारीय अंक निकालने में। दे पाउल इस स्ट्रिप के एकल लेखक बनना चाहते थे। कुछ कहानियाँ उनकी मूल प्रकाशित फैण्टोमेन की ही अनुकूलित होती थी।[16]
वर्ष २००० में, ऑलसन तथा फ्रेडरिक रविवारीय अंक के स्ट्रिप से सेवानिवृत्त हुए। इसे जारी रखे जाने का काम काॅमिक्स पुस्तक चित्रकार ग्राहम नोलान ने किया, जिन्होंने पहले भी फैण्टोमेन काॅमिक्स के तीन कवर्स चित्रित किए थे। वर्ष २००० में, ऑलसन तथा फ्रेडरिक रविवारीय अंक के स्ट्रिप से सेवानिवृत्त हुए। इसे जारी रखे जाने का काम काॅमिक्स पुस्तक चित्रकार ग्राहम नोलान ने किया, जिन्होंने पहले भी फैन्टोमेन काॅमिक्स के तीन कवर्स चित्रित किए थे। वर्ष २००५ के पूर्व तक ऑलसन एवं विलियम्स ने ऑलसन के रिटायर के बाद दैनिक स्ट्रिप के कार्य से विदा लिया, और फिर चित्रकार पाउल रयान (जिन्होंने पूर्व में फैण्टोमेन की काॅमिक्स कथाओं पर काफी काम किया जो स्वयं भी इस चरित्र के बचपन के प्रशंसक रहें हैं) ने दैनिक स्ट्रिप बनाने का जिम्मा लिया। रयान भी नोलान की तरह २००७ तक रविवारीय अंक के स्ट्रिप आर्टिस्ट के तौर पर काफी सफल रहें।[19] और तब जुलाई ३१, २०११ को, एड्युआर्डो बैरेटो अगले रविवारीय-पृष्ठ के चित्रकार बनें। पर उनके निधन के कुछ माह पहले ही, रयान ने अस्थायी रूप से जनवरी १५, २०१२ को दुबारा रविवारीय-पृष्ठ पर काम किया (बैरेटो की ओर से यह बतौर उनकी श्रद्धांजलि थी)। रयान ने तब तक आगामी सप्ताह के स्ट्रिप पर काम किया, जब तक टेरी बिटी ने बैरेटो की जगह ना संभाली। मार्च ७, २०१६ तक रयान का उन्हीं के घर पर आकस्मिक देहांत हुआ।
मार्च २१, २०१६ में, ऐसी घोषणा की गई कि द फैण्टम के आर्टिस्ट रयान के बाद माईक मैनले काफी सफल आर्टिस्ट कहलाए जा सकते है, जिन्होंने मई ३०, २०१६ से स्ट्रिप बनाने का कार्य शुरू किया।[20]
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर
अमेरिका में
"द फैण्टम" का प्रकाशन संयुक्त राष्ट्र में कुछेक गिनती के प्रकाशकों ने द्वारा जारी कराया गया। सन् १९४० के दशक में स्ट्रिप की एस काॅमिक्स पर दुबारा रिप्रिंट कर, डेविड मैक'काय पब्लिकेशन के द्वारा प्रकाशित किया गया। वहीं १९५० के दौरान द फैण्टम का प्रकाशन हार्वी काॅमिक्स द्वारा हुआ। १९६२ में गोल्ड की (Gold Key) काॅमिक्स ने सभी अधिकार, १९६६ में किंग फीचर्स और १९६९ में चार्ल्टन पर जमा लिए। वर्ष १९७७ तक, द फैण्टम की तकरीबन ७३ इश्यू प्रकाशित हो चुकी थी। वहीं इस अवधि के दौरान फैण्टम के प्रमुख आर्टिस्टों में बिल लिगनेंट, डाॅन न्यूटन, जिम एपेरो और पैट ब्वायटे आदि के नाम शुमार रहा।[११] डीसी काॅमिक्स ने भी १९८८ से १९९० तक फैण्टम की काॅमिक्स पुस्तकों का प्रकाशित किया। वहीं १९८८ को मई-अगस्त के प्रारंभिक मिनीसिरिज का लेखन पीटर डेविड और चित्रांकन जाॅय ऑरलैण्डो एवं डेनिस यानके द्वारा किया गया। [clarification needed] इसकी आगामी श्रंखला का, लेखन मार्क वेर्हिडेन और चित्रांकन ल्यूक मैकडाॅनेल द्वारा किया जाता है, जिसके १३वें इश्यू को मार्च १९८९ से मार्च १९९० तक चलाया गया।[१२] इस सिरिज में, फैण्टम का सामना जातिवाद, विषैले तत्वों के गिराने, आकाल और आधुनिक युग के समुद्री डकैतों से होता है। वेर्हिडेन के मूताबिक, इस सिरिज का अंत इसके लाइसेंस प्राप्त इश्यू की लगातार गिरावट को बताते हैं।[१३] १३वें इश्यू के अंतिम पैनल में, फैण्टम की शादी डायना से होती है।
सन् १९८७, मार्वल काॅमिक्स ने स्टेन ली द्वारा लिखी एक चार-इश्यू की मिनीसिरिज प्रकाशित की और वह एनिमेटेड टीवी धारावाहिक द डिफेंडेर्स ऑफ द अर्थ पर ही आधारित थी। वहीं मार्वल मिनीसिरिज की अन्य तीन सिरिज, द फैण्टम: द घोस्ट हु वाॅक्स (फरवरी-अप्रैल १९९५) का लेखन एवं चित्रांकन क्रमशः डेविड डी वरिस एवं ग्लेन लम्सडेन द्वारा किया गया; जिसमें २२वें फैण्टम को हाइटेक काॅस्टयुम, के साथ अपडेट दिखाया गया। मार्वल ने बाद में इसके चार-भागों की लघु श्रंखला को भी जारी किया (मई-अगस्त १९९५ तक), जिसकी पेंसिलिंग स्पाइडर-मैन के सह-रचयिता स्टीव डिट्को ने किया, जोकि टीवी सिरिज फैण्टम २०४० पर आधारित थी।[24] इसके एक इश्यू, मूल स्पाइडर-मैन के दो सिग्नेचर आर्टिस्ट, डिट्को और जाॅन रोमिटा, द्वारा चित्रित किए जाने पर काफी लुभावना बन पड़ा था, सिनियर मूनस्टोन बुक्स वर्ष २००२ से फैण्टम आधारित ग्राफिक उपन्यास का प्रकाशन शुरू किया गया। इसकी पाँच प्रकाशित किताबों का लेखन टाॅम डी'फाल्को, बेन राब और राॅन गाॅउलार्ट, ने किया था। सन् २००३ में, मूनस्टोन ने फैण्टम काॅमिक्स-पुस्तक सिरिज से अपना परिचय कराया जिसका लेखन राब, रैफायल नाइव्स और चक डिक्साॅन, तथा चित्रांकन पैट क़्युइन, जेरी डी'कैर, निक डेरिंग्टन, रिच बर्चेट, और एरिक'जे द्वारा किया गया।
११वें इश्यू के बाद माइक बुलाॅक ने पटकथा का दारोमदार स्वंय पर लिया, तथा गैब्रियल रिआर्टे एवं कार्लोस मैग्नो के साथ आर्टवर्क पर काम करते रहें जब तक सिल्वेस्तरे स्ज़िलैग्याइ २००७ में नियमित आर्टिस्ट नियुक्त नहीं हुए। बुलाॅक अपनी कहानियों से वास्तविक अफ्रीकी गृहयुद्ध, जैसे सामयिक मुद्दों को भी पेश किया। ११वें वर्ष २००७ में तीन-भाग की कथावृत, "इनविजीबल चिल्ड्रेन", फैण्टम को एक "हिम" नामक काल्पनिक वाॅरलाॅर्ड से लड़ते दिखाया गया है (अस्पष्ट रूप से जाॅसेफ कोनी पर आधारित)।[25]
२००६ में मूनस्टोन ने फैण्टम उद्गम के पुनर्संस्मरण के लिए "लिगैसी" (विरासत) का प्रकाशन, राब तथा क़्युइन द्वारा किया गया। तीन साल बाद कंपनी ने दुबारा परिचित करते हुए द फैण्टम: घोस्ट हु वाॅक्स नामक सिरिज को, इश्यू न. ० से शुरुआत कर (प्रथम फैण्टम के उद्गम की पुनर्कथा) जारी किया। इस सिरिज का यही उद्देश्य था कि यह काॅमिक्स अधिक गहन, खुरदुरा तथा वास्तविक हो, वैसा ही जैसे १९३० के ली फाॅक एवं रे मूर कहानियाँ रचते थे। इसमें भी फैण्टम को, आधुनिक उपकरणों से लैस करते हुए अपडेट रखा और कई सहायक पात्रों एवं खलनायकों से भी परिचित कराया गया। इस सिरिज में, फैण्टम वास्तविक दुश्मनों जैसे आधुनिक आतंकवादी, अंगों के तस्कर और सोमालियन लुटेरों से लड़ता है।[26] डायनामाइट एंटरटेनमेंट ने अगस्त २०१० से द लास्ट फैण्टम नामक मासिक-श्रंखला जारी की।[27] इस सिरिज का लेखन स्काॅट बिटी और चित्रांकन एड्युआर्डो फेरीगाटो द्वारा किया गया, तथा साथ में कवर रंगने का काम में एलेक्स राॅस की सेवा ली गई।[28] सन् २०१३ में, फैण्टम को डायनामाइट द्वारा जारी पाँच-इश्यू के मिनीसिरिज, किंग्स वाॅच में दिखाया जाता है। इस श्रंखला का लेखन जेफ पार्कर एवं चित्रण मार्क लैमिंग द्वारा किया गया था, यहां फैण्टम धरती पर क्रुर मिंग को कब्जा जमाने से रोकने फ्लैश गाॅर्डन तथा मैण्ड्रेक द मैजिशियन साथ उनके प्रहरी दस्ते में शामिल होता है।[29]
वर्ष २०१४ में, हर्मिस प्रेस ने यह घोषणा करते हुए कहा कि वह नए सामाग्रियो के साथ फैण्टम काॅमिक्स-बुक की मिनीसिरिज का प्रकाशन जारी करेंगे, जिसका लेखन पीटर डेविड एवं चित्रण सैल वेलुटाॅ द्वारा किया जाया जाएगा,[30] इस प्रकाशन को नवम्बर २०१४ से जारी करने को समयबद्ध किया गया।[30] इस तरह इसने पहली किस्त अक्टूबर ३१, २०१४ तक निकाली।[31] फिर २०१५ को हुए मुफ्त काॅमिक्स पुस्तक दिवस पर, हर्मिस ने फैण्टम की एक काॅमिक्स पुस्तक प्रकाशित की जिसकी कलाकारी बिल लिगनेंट द्वारा की गई थी और नई मिनीसिरिज की कुछ नमूने भी।[32]
नाॅर्डिक प्रदेशों में
एग्माॅन्ट पब्लिकेशन ने फैण्टम की मूल कहानियों के पक्ष के तौर पर एक बार ही प्रकाशित की जहाँ फैण्टम की काॅमिक्स-बुक को स्वीडन में फैण्टोमेन, नार्वे में फैण्टोमेट और फिनलैण्ड मे मस्टैनामियो[१४] (ब्लैक मास्क) कहा जाता है। वहीं फैण्टोमेन की पहली किस्त को अक्टूबर १९५० में निकाला, तथा इसने तकरीबन १,६०० इश्यू से ज्यादा का प्रकाशन किया। फैण्टोमेन पर बनी पहली मूल कहानी का प्रकाशन १९६३ में हुआ, और तकरीबन ९०० फैण्टोमेन की कहानियाँ जारी हुई। एक औसत फैण्टोमेन कहानी में ३० पन्नें ज्यादा होते थे, जिसकी तुलना में अमेरिकी काॅमिक्स में अधिकतर महज २०-२४ ही मिलते हैं। वे निम्न आर्टिस्ट तथा लेखक जिन्होंने फैण्टोमेन की कहानी रचने में योगदान दिया जिसमें डिक जियोर्डैनो, डाॅनी एवेनेल, हिनेर बैडे, डेविड बिशप, जाॅर्ज्स बेस्स, जैमे वैल्वी, जोऐन बाॅइक्स, टोनी डी'पाउल, अल्फ ग्रैन्बर्ग, बेन राब, राॅल्फ गोह्स, स्काॅट गुडऑल,इरिक इल्डाह्ल, कैरी लेप्पैनेन, हैंस लिंडाह्ल, जैने लुंडस्ट्राॅ, केसार स्पाडैरी, बाॅब मैक'लियोड, जीन-य्वेस मिटन, लेनार्ट माॅबर्ग, क्लैएस रिमेर्थी, पाउल रियान, एलेक्स सैविउक, ग्राहम नोलान, रोमैनो फेलमैन्ग तथा नाॅर्मैन वाॅर्कर, लोग शामिल थे और निकनेम के तौर पर अपने दल को वह "टीम फैण्टोमेन" के नाम से बुलाते।[१५] इस टीम ने किरदारों और परिस्थितियों को लेकर कुछ प्रयोग किए, जिसमें सिंह बंधुओं के सदस्य सान्दाल सिंह का बेंगाला के प्रेसीडेंट पर कब्जा जमा लेना [१६] या फिर फैण्टम व डायना के विवाह में कोई समस्या खड़ी होना।[१७] साँचा:clear [36]
ऑस्ट्रेलिया में
ऑस्ट्रेलिया में, द ऑस्ट्रेलियन वुमैन मिरर ने १९३६ में स्ट्रिप को जारी किया और फ्र्यू पब्लिकेशन ने पाक्षिक तौर पर १९४८ से फैण्टम काॅमिक्स को जारी किया, और सितम्बर २००८ में लगातार ६० सालों तक निरंतर प्रकाशन करने की खुशी भी मनाई।[37] हालाँकि शुरुआत के फ्र्यू काॅमिक्स में अधिकतर अखबारी स्ट्रिपों की रीप्रिंट, फैण्टोमेन (अंग्रेजी में अनुवादित) तथा अन्य फैण्टम काॅमिक्स-बुक का ही समाविष्ट रहता था, कभी-कभार इनमें से मूल कहानियों पर ऑस्ट्रेलियाई आर्टिस्ट किथ चैटो द्वारा चित्रण मिल जाते थे। जब तक प्रमुख संपादक जिम शेफर्ड का इंतकाल हुआ, फ्र्यू की फैण्टम तब तक सबसे लंबी चलनेवाली काॅमिक्स-बुक सिरिज बनी,[38] और ऑस्ट्रेलिया की बेस्टसेलिंग काॅमिक्स बुक के तौर पर जानी गई।[39][40][41] फ्र्यू ने फैण्टम काॅमिक्स को सिमित तादाद में सिडनी राॅयाल इस्टर शो, मेलबर्न शो तथा पर्थ राॅयाल शो शोबैग में लाया गया।[42]
न्यूजीलैंड
किंग फीचर्स ने "द फैण्टम" को न्यूजीलैंड के सीमित अखबारों, जैसे द न्यूजीलैंड हेराल्ड में बेचा। साथ ही १९५० के दौरान वेलिंगटन आधारित "द फैण्टम" एक कामयाब काॅमिक्स साबित हुई।[43] न्यूजीलैंड में यह फ्र्यू काॅमिक्स में अभी भी उपलब्ध है।
भारत
भारत में, फैण्टम का पहला आगमन द इल्सट्रैटेड विकली ऑफ इंडिया से १९५० में हुआ। १९६४ में, भारतीय प्रकाशक इन्द्रजाल काॅमिक्स ने अंग्रेजी भाषा में फैण्टम काॅमिक्स प्रकाशित करना शुरू किया।[१८][१९] बाद में इन्द्रजाल अन्य भारतीय भाषाओं में भी फैण्टम काॅमिक्स को जारी करने लगी।[१८] कुछ वर्षों बाद, अन्य भारतीय प्रकाशकों द्वारा जारी फैण्टम काॅमिक्स छापे जाने लगी, जिनमें से डायमण्ड काॅमिक्स, युरो बुक्स (पूर्व एग्मा एग्माॅन्ट इमेजिनेशन इंडिया) तथा रानी काॅमिक्स प्रमुख रहें।[२०] वहीं क्षेत्रीय भाषाओं में तेलुगु की दैनिक इनाडु फैण्टम काॅमिक्स को अपने अनुवादित संस्करण में पिछली कुछ दिनों से रविवारीय अंक द्वारा प्रकाशन कर रही है।
अन्य देशों में
इटालियन प्रकाशक फ्रैटेली स्पाडा ने मूल फैण्टम की कहानियों को एल'युओमो मास्क्रैटो (द मास्क्ड मैन; नकिबपोश) के नाम से १९६० से १९७० तक यह सिरिज चलाई।[47] जिन निम्न आर्टिस्टों ने योगदान दिया, उनके नाम राउल बुज़ेली, मारियो कैरिया, उम्बेर्टो सैमारिनी ("उसैम"), जर्मैनो फेरी, सेनियो प्रैटेसी, एंजेलो आर. टोडेरो, और रोमानो फेलमैंग। बाद में फेरी, उसैम, फेलमैंग तथा कैरिया ने फैण्टोमेन बनाने में भी काम किया। ब्राज़िलियन प्रकाशक आरजीइ एव जर्मन प्रकाशक बास्टेइ मूल फैण्टम की कहानियों को अपनी काॅमिक्स पुस्तकों द्वारा जारी कराते हैं; वहीं ब्राज़ील में, "द फैण्टम" को ओ फैण्टज्मा के नाम से जाना जाता है।[48] १९३९ में, फैण्टम को युगोस्लैव काॅमिक्स की दूसरी कहानि ज़िगोमैर के साथ, "ज़िगोमैर वर्सेस द फैण्टम" देखा गया, जोकि शुरुआत में उसका विरोधी था और बाद में यह शीर्षक पात्र उसका साथी बनता है।[49] दक्षिण अफ्रीका में, फैण्टम की स्ट्रिप को डाइ स्किम जैसे अफ्रीकी अखबारों में जारी किया जाता है।[50][51]
रीप्रिंट
फैण्टम की संपूर्ण अखबारों की स्ट्रिप श्रंखला को ऑस्ट्रेलिया के फ्र्यू पब्लिकेशन द्वारा रिप्रिंट करवाया गया, और सभी संपादित संस्करणों की कहानियों को स्कान्डिनेवियन फैण्टम काॅमिक्स के तौर पर प्रकाशित करवाया गया। संयुक्त राष्ट्र में, फैण्टम की कहानियों (ली फाॅक द्वारा लिखित) को नोस्टाल्जिया प्रेस (एनपी), पैसिफिक काॅमिक्स क्लब (पीसीसी) और काॅमिक्स रेव्यू (सीआर) द्वारा रिप्रिंट कराया गया:
- "द स्काइ बैण्ड" (हवाई लुटेरे), रे मूर, ९ नवम्बर १९३६, CR
- "द डायमण्ड हंटर्स" (हीरे के शिकारी), रे मूर, १२ अप्रैल १९३७, पीसीसी
- "लिटल टाॅमी", रे मूर, २० सितम्बर १९३७, पीसीसी
- "द प्रिजनर ऑफ हिमालयज" (हिमालय का कैदी), रे मूर, ७ फरवरी १९३८, एनपी
- "एडवेंचर इन अल्जियर्स", रे मूर, २० जून १९३८, सीआर
- "द शार्क्स नेस्ट" (शार्क्स का घोंसला), रे मूर, २५ जुलाई १९३८, पीसीसी
- "फिशर्स ऑफ पर्ल्स" (मोतियों के मछुआरें), रे मूर, ७ अक्टूबर १९३८, सीआर
- "द स्लैव ट्रैडर्स" (गुलामों के सौदागर), रे मूर, ३० जनवरी १९३९, सीआर
- "द मिस्टीरियस गर्ल" (रहस्यमय कन्या), रे मूर, ८ मई १९३९, सीआर
- "द गोल्डन सर्किल", रे मूर, ४ सितम्बर १९३९, पीसीसी
- "द सीहाॅर्स" (समुद्री घोड़ा), रे मूर, २२ जनवरी १९४०, पीसीसी
- "द गेम ऑफ एल्वार" (एल्वार का खेल), रे मूर, २९ जुलाई १९४०, पीसीसी
- "डायना एविएट्रिक्स", रे मूर, १६ दिसम्बर १९४०, पीसीसी
- "द फैण्टम ट्रेजर" (फैणटम का खज़ाना), रे मूर, १४ जुलाई १९४१, पीसीसी
- "द फैण्टम गोज टू वाॅर", (फैण्टम करेगा युद्ध) रे मूर तथा विल्सन मैक'काॅय, २ फरवरी १९४२, पीसीसी
- "द स्लैव मार्केट ऑफ मुकार" (मुकार की गुलाम मंडी), साय बैरी, २१ अगस्त १९६१, सीआर
अक्टूबर २००९ के इश्यू में, काॅमिक्स रेव्यू ने रविवारीय अंक के "द रिटर्न ऑफ द स्काइ बैण्ड" (हवाई लूटेरों की वापसी) को रंगीन रिप्रिंट में प्रकाशित किया। वहीं मई २०१५ में, हर्मिस प्रेस ने दैनिक फैण्टम के आठ खण्डों तथा रविवारीय फैण्टम के तीन खण्डों को पुनर्प्रकाशित कराया, वह भी योजनाबद्ध तरीके से।[52] २०११ में, हर्मिस ने गोल्ड की तथा किंग को फैण्टम काॅमिक्स के साथ रिप्रिंट जारी कराया।[53] उसी वर्ष, इनकी रिप्रिंट की शुरुआत चार्ल्टन काॅमिक्स द्वारा प्रकाशित कराया गया।[54]
आदिवासी पाॅप कला
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, फौजियों तक काॅमिक्सों की खेप बेहद सावधानी से पहुँचाया जाता था। पापुआ न्यू गिनी में तैनात फौजी अक्सर इन काॅमिक्सों को साझा कराते थे, और द फैण्टम जल्द ही वहां के आदिवासी जनजातियों के बीच बहुत लोकप्रिय हूआ। पापुआन में रहनेवाले निवासियों में जो कोई अंग्रेजी पढ़ सकता था वे भी अक्सर इनकी कहानियों को पढ़ते और दूसरों के संग तस्वीरों को साझा करते (सन् १९७० के दशक में इसे स्थानीय पिडगिन, टोक पिसिन में भी जारी करवाया गया)। वहीं इस कैरेक्टर की तस्वीर को अक्सर वह लोग अपने अनुष्ठानिक ढालों पर रंगते अथवा अन्य आदिवासी कला की तरह ही दिखाते।[55] यहीं से इसे कभी-कभार "आदिवासी पाॅप कला" के तौर पर उल्लेख किया जाता रहा।[56]
बाहरी कड़ियाँ
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ Ron Goulart,"The Glory Days, or Believe It or Not!" in Dean Mullaney, Bruce Canwell and Brian Walker, King of the Comics : One Hundred Years of King Features Syndicate. San Diego : IDW Publishing, 2015. ISBN 978-1631403736 (p.185)
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ "When young Lee Falk wrote his first tale of the jungle ruler, the Phantom, in 1936, it is doubtful that he anticipated that 1995 would see a movie, a television series, an Americanised futuristic version of his hero, merchandising, special-tribute editions to himself and international recognition from more than 100 million avid fans". Julian Lewis, "The Phantom Phenomenon" in The Canberra Times, Saturday, 11th February 1995 (p.48).
- ↑ Peter Coogan,Superhero : The Secret Origin of a Genre. Austin, TX : MonkeyBrain Books, 2006. (p. 185) ISBN 193226518X
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- ↑ The Phantom: Comic Strip Crusader, an A&E Biography of the Phantom aired on May 31, 1996
- ↑ Comic Book Marketplace No. 121, published May 2005 by Gemstone Publishing
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- ↑ The New President, by Claes Reimerthi and Sal Velluto
- ↑ Diana's Crisis, by Tony De Paul and Felmang
- ↑ अ आ Karline McLain,India's Immortal Comic Books. Indiana University Press, 2009, ISBN 0253220521, (p. 30, 36).
- ↑ " Indrajal published mainly stories from King Features, most famously including Lee Falk's Mandrake and Phantom". Jeremy Stoll, "Telling stories and building community: making comics in India". Marg: A Magazine of the Arts, December 1st, 2014.
- ↑ साँचा:cite web
बाहरी कड़ियाँ
https://web.archive.org/web/20150715103251/http://indrajalcomics.blogspot.in/2009/01/blog-post_21.html https://web.archive.org/web/20150715120326/http://comics-diwane.blogspot.in/2008/08/blog-post_30.html https://web.archive.org/web/20160306231933/http://comic-guy.blogspot.in/2010/06/blog-post.html https://web.archive.org/web/20160306231933/http://comic-guy.blogspot.in/2010/06/blog-post.html
https://web.archive.org/web/20160206165526/http://indrajalcomics.blogspot.in/search/label/%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B2%20%E0%A5%A7%E0%A5%AF%E0%A5%AE%E0%A5%AC-%E0%A5%AF%E0%A5%A6 http://indrajalcomics.blogspot.in/search/label/वेताल%20१९६४-७०साँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link] https://web.archive.org/web/20160206231356/http://indrajalcomics.blogspot.in/search/label/%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B2%20%E0%A5%A7%E0%A5%AF%E0%A5%AD%E0%A5%AC-%E0%A5%AE%E0%A5%A6 https://web.archive.org/web/20160206233808/http://indrajalcomics.blogspot.in/search/label/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80%20%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6