द डर्टी पिक्चर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
द डर्टी पिक्चर

चित्र:The Dirty Picture2.jpg
फिल्म पोस्टर

Awj
निर्देशक मिलन लुथ्रिया
निर्माता एकता कपूर
धीरज शिनोय
पटकथा रज़त आरोडा
अभिनेता नसीरुद्दीन शाह
विद्या बालन
इमरान हाशमी
तुषार कपूर
संगीतकार विशाल-शेखर
छायाकार बॉबी सिंह
संपादक अकिव अली
स्टूडियो आईबीसी मोशन पिक्चर्स
वितरक आईबीसी मोशन पिक्चर्स
अल्ट इंटरटेनमेन्ट
प्रदर्शन साँचा:nowrap [[Category:एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"। फ़िल्में]]
  • December 2, 2011 (2011-12-02)
[१]
देश भारत
भाषा हिन्दी
लागत 18 करोड़[२]
कुल कारोबार 117 करोड़[३]

साँचा:italic title

द डर्टी पिक्चर (साँचा:lang-en) 2011 में बनी सिल्क स्मिता की जीवनी पर आधारित हिन्दी फ़िल्म है। फ़िल्म निर्माताओं ने हालांकि यह साफ़ किया है कि फ़िल्म कि कहानी पूरी तरह स्मिता पर आधारित नहीं है परन्तु उन्ही की तरह अन्य दक्षिणात्य अभिनेत्रियों, जैसे नायलोन नलिनी और डिस्को शांती से भी प्रभावित है और लोकप्रिय संस्क्रती में एक स्त्री के निजी जीवन और उसके संघर्ष की कहानी बयां करती है जिसमें हॉलीवुड अभिनेत्री और सेक्स सिम्बल मर्लिन मुनरो भी शामिल है।[४] फ़िल्म का निर्देशन मिलन लुथरिया ने किया है और इसकी सह-निर्माता शोभा कपूर और एकता कपूर है। एकता कपूर को जब इस फ़िल्म का खयाल आया तब उन्होंने कथानक-कर रजत अरोडा को कहानी लिखने को कहा।[५]

द डर्टी पिक्चर को विश्वभर में हिन्दी, तमिल और तेलगु भाषओं में 2 दिसम्बर 2011 को रिलीज़ किया गया (स्मिता की जन्म तारीख पर)।[६][७] विद्या बालन, नसीरुद्दीन शाह और इमरान हाशमी ने फ़िल्म में मुख्य किरदारों की भुमिका निभाई है।[८] रिलीज़ के पश्च्यात फ़िल्म को समीक्षकों द्वारा काफ़ी सराहा गया और व्यावसाइक दृष्टी से यह एक सफल फ़िल्म रही।[९]

कहानी

फिल्म की शुरुआत रेशमा (विद्या बालन) के शादी के एक दिन पहले घर छोड कर चेन्नई भागने से होती है। वह एक फ़िल्म में किरदार पाने के लिए बहुत प्रयास करती है परन्तु फ़िल्म का पात्र निर्देशक उसे बेकार और अनाकर्षित कह कर बेइज्जत कर देता है। रेशमा पुन्ह दृढ़ निश्चय से उसे मनाने जाती और आखिर कार एक साइड डांसर का किरदार हासिल कर लेती है। शूटिंग शुरू होते ही वह तुरंत मुख्य स्क्रीन पर चाबुक के साथ अश्लील और उत्तेजना पूर्ण भावों के साथ नृत्य करना शुरू कर देती है। उसकी इस हरकत से फ़िल्म निर्देशक अब्राहम (इमरान हाशमी) यह सोच कर गुस्सा हो जाता है कि उसकी फ़िल्म बनाने की कला पर्दे पर दिखनी चाहिए न की उत्तेजनापूर्ण और अश्लील सामग्री। वह रेशमा के नृत्य का पूरा हिस्सा फ़िल्म से काट देता है। फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर पिट जाती है जिससे निर्माता सेल्वा गणेश (राजेश शर्मा) काफ़ी नाराज हो जाता है और रेशमा को बाद में मिलकर उसे अपनी आगामी फ़िल्म में एक गाना दे देता और उसे सुझाव देता है कि अबसे वह अपना नाम सिल्क रख ले।

अपने पहले सीन में सिल्क सूर्यकांत (नसीरुद्दीन शाह) को देख कर मंत्रमुग्ध हो कर शर्मा जाती है जिससे पहला सीन बेकार होजाता है और सूर्यकांत नाराज होकर निकल जाता है। सिल्क उसे अपनी ओर आकर्षित करके मना लेती है और लंबे समय तक अनैतिक संबंध बनाए रखने का वादा करती है। दूसरी ओर अब्राहम एक नई फ़िल्म सेल्वा गणेश को सुझाता है और उसकी इच्छा सूर्यकांत को मुख्य भूमिका में लेने की होती है। सूर्यकांत अब्राहम को फ़िल्म में मसाला और सेक्स डालने को कहता है (सिल्क की ओर इशारा करते हुए) ताकि फ़िल्म अच्छा व्यवसाय कर सके। इससे अब्राहम और गुस्सा हो जाता है और सिल्क से नफ़रत करने लगता है। दूसरी ओर सिल्क को इस बात पर विश्वास है कि फिल्में मनोरंजन के लिए होती है और वह अपना काम जारीरखती है। वह सूर्यकांत के साथ कई उत्तेजनापूर्ण फ़िल्मों में काम करती है व अपने नृत्य से पुरुष वर्ग में काफ़ी लोकप्रिय हो जाती है और एक मशहूर और अमिर दक्षिणात्य सेक्स अभिनेत्री बन जाती है।

सूर्यकांत का छोटा भाई और बेनाम लेखक रमाकांत (तुषार कपूर) खुलासा करता है कि वह सिल्क का प्रशंसक है और उससे दोस्ती करने की कोशिश करता है। सिल्क इस बात से खुश होती है कि आखिर कोई उसे उसके शारीर को नहीं बल्कि उसे पसंद करता है। वे दोनों सिल्क के पुराने घर जाते है जहाँ सिल्क की माँ हमेशा के लिए उससे सरे रिश्ते तोड़ लेती है। एक पुरस्कार समारोह में सिल्क को उसके कार्य के लिए पुरस्कृत किया जाता है परन्तु सूर्यकांत उसे दूसरों का 'डर्टी सीक्रेट' कह कर बदनाम कर देता है। सिल्क घोषणा करती है कि वह अपनी 'डर्टी पिक्चर' बनाना जारी रखेगी और उसे इसमें कोई शर्म नहीं है।

सिल्क रमाकांत के साथ ज्यादा समाया व्यतीत करने लगती है जो अब उससे प्यार करने लगता है। वह उसे लेखक के तौर पर उभरने को कहती है और उसके बड़े भाई के फ़िल्म करिअर की छाया से बहार निकलने की सलाह देती है। उनके इस सम्बन्ध को एक बढ़िया खबर मान कर एक पत्रकार नैला (अंजू महेन्द्रू) सिल्क को दोनों भाइयों के साथ सम्बन्ध रखने के लिए बदनाम करती है। सूर्यकांत आखिरकार सिल्क को अपनी फ़िल्मों में से हटा देता है जिससे वह छोटे फ़िल्म निर्मातओं के साथ काम करने के लिए मजबूर हो जाती है। अपने इस काम से नाखुश और बोर होकर वह काम करने की इच्छा खो देती है जिसके चलते दूसरे निर्माता उसे और बदनाम करने लगते है। बाद में रमाकांत की नई फ़िल्म की लॉन्च पार्टी में सिल्क एक उभरती अदाकारा शकीला से मिलती है। उससे जलन के कारण वह उसे अपमानित करती है और नृत्य करने ने लिए उकसाती है। नृत्य के अंत में सिल्क जानबूझ कर शकीला को गिरा देती है और यह दिखाती है कि उसे कोई हरा नहीं सकता। सिल्क के इस बर्ताव से शर्मिंदा होकर रमाकांत उससे रिश्ता तोड़ लेता है।

सिल्क की जिंदगी बिखरने लगती है। समीक्षक और महिलावर्ग उसे बदनाम करने लगते है। वह शराब और धूम्रपान की लत का शिकार हो जाती है और वजन बढ़ने लगता है। निर्देशक उसे अपनी फ़िल्मों में लेना बंद कर देते है। वह सेल्वा गणेश के पास एक फ़िल्म बनाने आ आग्रह करती है जो बुरी तरह पिट जाती है जिसके चलते वह अपनी दौलत और शौहरत दोनों गँवा बैठती है। इसके साथ-साथ अब्राहम भी एक फ़िल्म रिलीज करता है जिसमें वह स्वयं मुख्य भूमिका निभाता है और फ़िल्म सफल हो जाती है। अपनी सफलता, सिल्क की नाकामयाबी और दोनों के बीच बातचीत के चलते अब्राहम को यहाँ अहसास होता है कि वह सिल्क से प्यार करने लगा है। खुद को उसके बारे में सोचने से रोक न पाने के कारण वह सिल्क के घर जाता है जहाँ दोनों सिल्क की जिंदगी के बारे में बात करते है। उस वक्त तक सिल्क बहुत बड़े कर्ज तले दबी होती है और मजबूर होकर एक छोटे फ़िल्म निर्माता के पास काम माँगने जाती है जिससे वह रमाकांत की पार्टी में मिली थी। वहां जाकर उसे धक्का लगता है कि वह उसे एक अश्लील फ़िल्म में लेना चाहता है और इससे पहले की वह विरोध करे वह उसे शराब के नशे में धुत्त करके चित्रीकरण शुरू कर देता है। जल्द ही उस जगह पर पुलिस छापा मार देती है पर सिल्क सबके साथ बच निकलने में कामयाब हो जाती है। वह किसी तरह अपने घर पहुंचती है जहां उसे अपनी छवि पर शर्म आती है।

दूसरी ओर अब्राहम सिल्क की माँ को ढूंढ निकालता है और उन्हें लेकर सिल्क को अगली सुबह मिलाने की सोचता है। पर उसी रात जब वह सिल्क को अपनी एक पार्टी से फोन करता है तो सिल्क उसे अपनी तरफ से सबको अलविदा कहने को कहती है। अब्राहम को शक हो जाता है और वह सिल्क के घर की ओर दौड पड़ता है जहा उसे सिल्क लाल रंग की साड़ी में भारतीय मेक-अप के साथ मरी हुई मिलती है। अपनी नाकामियाबी के चलते सिल्क नींद की गोलियां खा कर आत्महत्या कर लेती है। अंत में अब्राहम और उसकी माँ उसका अंतिम संस्कार करते है।

पूरी कहानी अब्राहम भूतकाल में सुना रहा होता है, जो अकेला ऐसा इंसान था जो सिल्क का दर्द, उसकी ख्वाहिशें, उसके सपने, उसकी मेहनत और उसके पीछे का अँधेरा समझ सका था जो उसके उदय और पतन के पीछे छिपा हुआ था।

पात्र

निर्माण

विकास

एकता कपूर ने लुथरिया के साथ वन्स अपॉन अ टाइम इन मूम्बई की सफलता के बाद यह फिल्म बनाने का निर्णय लिया।[१०] उन्होने कहा की द डर्टी पिक्चर भारत कि और से अकादमी पुरस्कार नामांकित फिल्म बूगी नाइट्स का जवाब होगा।[११] बाद में पत्रकार सम्मेलन में उन्होने स्पष्ट किया कि रागिनी एम एम एस और द डर्टी पिक्चर कोई पॉर्न फिल्म नहीं है।[१२]

उन्होनें यहां तक कहा कि, "मुझे आश्चर्य होगा अगर मेरी फिल्म द डर्टी पिक्चर अविश्वसनीय प्रशंसा और विद्या बालन को राष्ट्रीय पुरस्कार नहीं मिलेगा। फिल्म एक बहुत अच्छे कथानक के साथ बनी है और मेरे कार्यालय में कईं युवाओं ने इसकी काफी प्रशंसा की है।" उन्होने यह भी बताया कि फिल्म का उद्देश्य न तो औचित्य साबित करना और ना ही स्मिता के जीवन की आलोचना करना है, लेकिन दर्शकों के लिए उसके जीवन जीने के लिए है।[११] इसके अतिरिक्त फिल्मांकन शुरू होने से पहले, बालन और शाह सहित सभी अभिनेताओं नें लगभग दो महीने के लिए कार्यशालाओं में भाग लिया।[१३]

"कहानी ने मुझे चुना! यह एकता का ख्याल था; उसने लेखक को इस पर आधारित कहानी लिखने को कहा और जाब वह पूरी हुई, उन्होंने मुझे बड़े आराम से इसे पढ़ने को कहा। वह एक नए निर्देशक के हाथों फ़िल्म बनवाना चाहती थी क्योंकि यह कोई महँगी फ़िल्म नहीं थी और ना ही उनके पास इतना बजट था, पर जब मैंने कहानी पढ़ी तो मैं मंत्रमुग्ध रहा गई। मैंने उसे कहा की मैं इसे बनाना कहती हू; यह एक एक्सक्लूसिव सामग्री थी — कोई मसाला फ़िल्म नहीं और मैं नहीं कहती थी कि कोई और इसका निर्देशन करे।"

-निर्देशक मिलन लिथारिया।[५]

जब कथानककार रजत अरोडा ने फ़िल्म की कथा लिखनी शुरू की तब यहाँ केवल एक छोटी बजट की फ़िल्म थी जो मुख्यतः 1980 के दशक के कम-अश्लील सीनों पर केंद्रित थी पर जैसे जैसे विकास आगे बढ़ा इसमें स्मिता की जीवनी भी काल्पनिक तौर पर मिला ली गई।[१४] फ़िल्म के लिए शोधकार्य करते हुए मिलन लुथरिया और रजत अरोडा को उस काल की मैगजीनों में बेहद कम लेख मिले क्योंकि "सिल्क स्मिता जैसी औरतें मैगजीनों में अपनी जगह नहीं बना पाती थी जब तक वे कोई नई चर्चा का विषय न बने"। इसीलिए उन्होंने उसके जीवन के बारे में जानकारी बातचीत, पार्टी में मिले लोगों से और उसके मित्रों से जमा की जिसे बाद में कल्पना से जोड़ा गया। तमिल फ़िल्म उद्योग को दिखने के अलावा फ़िल्म में अभिनेताओं के पैंसो के व्यव्हार के मुद्दों को भी दिखाया गया है, किस तरह वे धोखे का शिकार होते है, "उनके टूटे हुए रिश्तों की कड़ियाँ" और किस तरह वे "अकेली ज़िंदगी जी कर दुखदाई अंत का शिकार होते थे".[१४] इसके अलावा निर्मातओं ने बॉलीवुड के प्रमुख निर्देशकों, जैसे मनमोहन देसाई, विजय आनंद, राज कपूर, फिरोज़ खान और जी.पी सिप्पी को भी कहानी में मिलाया और बूगी नाइट्स (1997) व द पीपल वर्सेस लैरी फ्लिंट (1996) अंग्रेज़ी फ़िल्मों का भी सहारा लिया।[१४]

कास्टिंग

जब विद्या बालन को स्क्रिप्ट सुनाई गई और उन्हें उन कपड़ों के चित्र दिखाए गए जो उन्हें पहनने होंगे, जिनमें तंग पैंटें, बड़े गले के कपडे व पेटीकोट (बीर साड़ी के) शामिल थे, तो उन्हें काफ़ी परेशानी हुई।[१५]"हमें विद्या के आलावा कोई और इस पात्र के लिए बढ़िया नहीं लगा। यह ऐसा कार्य था जिसे विद्या ने पहले कभी नहीं किया था। पर मुझे विश्वास है कि वह अपना कार्य बखूबी करेंगी।"[११]

इस बात की समीक्षा के बावजूद की विद्या का पात्र विवादास्पद होगा, लुथरिया ने साफ़ किया की, "मैं विद्या को यह जताना चाहती थी कि जो वह कर रही है वह कोई खराब या अश्लील कार्य नहीं है बल्कि सही ढंग से बेहतर अभिनय है। उसका पात्र जो करता है वह कोई गन्दा कार्य नहीं है।" उन्होंने बालन को इसी प्रकार की अन्य फ़िल्में जैसे बर्लेस्क्यु और शिकागो देखने के लिए कहा।[१६] बालन ने साल्सा का भी प्रशिक्षण लिया ताकि वह स्मिता के शारीरिक भाषा को अच्छी तरह अपना सके।[१७]

विद्या के बाद नसीरुद्दीन शाह को एक बढती उम्र के "गंदे विग, काले चश्मे और रंगी हुई मूछों वाले" दक्षिण भारतीय सुपरस्टार की भूमिका में कास्ट किया गया। अपनी फ़िल्म त्रिदेव में "तिरछी टोपी वाले" गाने पर आखरी बार नृत्य करने के २२ साल बाद उन्होंने पुन: एक तेज़ गाने पर इस फ़िल्म में नृत्य किया है।[१८]

साउंण्डट्रैक

द डर्टी पिक्चर
चित्र:The-dirty-picture.jpg
साउंण्डट्रैक विशाल-शेखर द्वारा
जारी अक्तुबर 19, 2011
संगीत शैली फ़िल्म साउंण्डट्रैक
लेबल टी-सिरिज़

साँचा:italic titleसाँचा:main other

टी-सीरीज ने द डर्टी पिक्चर के संगीत के अधिकार पा लिए थे। विशाल-शेखर ने फ़िल्म के चार गानों का निर्माण किया और रजत अरोडा ने गानों के अक्षर लिखे।[१९] साँचा:track listing

पुरस्कार व नामांकन

पुरस्कार श्रेणी प्राप्तकर्ता परिणाम समीक्षा
फ़िल्मफ़ेअर पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म एकता कपूर आगामी
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक मिलन लुथरिया आगामी
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री विद्या बालन आगामी
सर्वश्रेष्ठ सह-कलाकार नसीरुद्दीन शाह आगामी
स्टार स्क्रीन अवार्ड्स सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म एकता कपूर साँचा:won
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक मिलन लुथरिया साँचा:won
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री विद्या बालन साँचा:won
सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका श्रेया घोषाल साँचा:won "उ ला ला" गाने के लिए
सर्वश्रेष्ठ डायलाग रजत अरोडा साँचा:won
सर्वश्रेष्ठ वस्त्र निहारिका खान और
मोइज़ कपाडिया
साँचा:won
बिग स्टार इंटरटेमेंट पुरस्कार सर्वाधिक मनोरंजक फ़िल्म कालाकार - महिला विद्या बालन साँचा:won
सर्वाधिक मनोरंजक फ़िल्म एकता कपूर साँचा:won
सर्वाधिक मनोरंजक निर्देशक मिलन लुथरिया साँचा:nom
सर्वाधिक मनोरंजक संगीत विशाल-शेखर साँचा:nom
सर्वाधिक मनोरंजक गायिका श्रेया घोषाल साँचा:nom "उ ला ला" गाने के लिए
राष्ट्रीय मिडिया नेटवर्क फ़िल्म और टीवी पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ मनोरंजक फ़िल्म एकता कपूर[२०] साँचा:won
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री मुख्य भूमिका में विद्या बालन[२१] साँचा:won
लायंस गोल्ड अवार्ड्स पसंदीदा लोकप्रिय निर्देशक मिलन लुथरिया साँचा:won
पसंदीदा नृत्य दिग्दर्शक पोनी प्रकाश राज साँचा:won "उ ला ला" गाने के लिए
पसंदीदा पार्श्वगायक बप्पी लाहिरी] साँचा:won "उ ला ला" गाने के लिए
ज़ी सिने अवार्ड्स सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री विद्या बालन साँचा:won
क्रिटिक्स चोइस सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री विद्या बालन साँचा:won

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

साँचा:reflist

बाहरी कड़ियाँ

साँचा:imdb title