The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
बिहार में औरंगाबाद जिले के ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक स्थल देव में कार्तिक और चैती छठ व्रत के अवसर पर चार दिवसीय राजकीय छठ मेले [२]की रौनक देखते ही बनती है [३]और पूरा मेला क्षेत्र छठी मईया के गीतों से गुंजायमान रहता है। मेला परिसर तथा मंदिर क्षेत्र में पुलिस बल की तैनाती की जाती है। इस अवसर पर त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर को अत्यंत आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। मेला क्षेत्र समेत पूरे देव में हर तरफ छठी मईया के गीत सुनाई पड़ती हैं। लोक मान्यता है कि देव में अत्यंत प्राचीन सूर्य मंदिर में भगवान भास्कर की पूजन-अर्चन करने और पौराणिक सूर्य कुंड में स्नान करने से मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति होती है। छठ के मौके पर भगवान भास्कर के साक्षात उपस्थिति की रोमांचक अनुभूति लोगों को होती है। [४][५] कार्तिक छठ पूजा में श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। देव में जिला प्रशासन के साथ स्काउट गाइड मिलकर सुरक्षा, विधि व्यवस्था बनाने में स्काउट गाइड की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। [६][७][१]देव एक ऐसा जगह है जहां हिन्दू के साथ मुस्लिम भी छठ करते हैं। [८] कोणार्क सूर्य मंदिर, देव सूर्य मंदिर व कालपी मंदिर तीन ऐसी जगहें हैं, जहां सूर्य की किरणें सीधी पड़ती है। इसका जिक्र भविष्य पुराण में किया गया है। इस पुराण के मुताबिक धरती पर इंद्र वन, मुंडीर वन व कालपी भगवान सूर्य का मुख्य स्थान है। [९] देव छठ मेले में देश के विभिन्न भागों तथा राज्य के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं और व्रतधारियों की सुविधा के लिए पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य सेवा, सुरक्षा, परिवहन आवासन आदि की बेहतर व्यवस्था की जाती है। [१०]