दूध पीती

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दूध पीती कन्या भ्रूण हत्या की एक विधि थी, जिसमें नवजात बच्चियों को दूध से भारी बाल्टी या गड्ढे में डुबोकर मार दिया जाता था। अंग्रेज़ सरकार ने पाया कि राजस्थान में लोग नवजात बालिकाओँ को दूध में डुबो कर मार डालते थे। यह प्रथा प्रचलित थी सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र में भी प्रचलित थी।[१][२][३] इस प्रथा का नाम एक प्रेयोक्ति है।[४][५]

इतिहास

१८०५ में जनगणना करते समय अंग्रेज़ अफ़सरों ने पाया कि झारेया कच्छ और काठियावाड़ के राजपूत परिवारों में लड़कियाँ लगभग न के बराबर थीं।[६]

१९१० की एनसाइक्लोपीडिया ब्रितनिका में बताया गया है कि कुछ राजपूत परिवार बाद में दहेज देने से बचने के लिए इस प्रथा का पालन करते थे। कई बार राजाओँ को १ लाख पाउण्ड तक दहेज देना पड़ता था।[७]

अंग्रेज़ों ने इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा तो दिया, किंतु फिर भी १९वी सदी के अंत तक यह प्रचलित रही।[८]

संदर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. Banerji, Rita (October 2009). "Female Genocide in India and the 50 Million Missing Campaign". Intersections: Gender and Sexuality in Asia and the Pacific (22). Archived from the original on 2 मार्च 2016. Retrieved 15 November 2015. {{cite journal}}: Check date values in: |archive-date= (help)
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  6. साँचा:cite book
  7. साँचा:cite book
  8. साँचा:cite book