दुरूद शरीफ़
शृंखला का एक हिस्सा | ||||
मुहम्मद | ||||
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दुरूद शरीफ़ (उर्दू) या सलवात (एकवचन: सलात) या अस-सलातु अलन-नबी (अरबी: الصلاة على النبي) एक विशेष अरबी वाक्यांश हैं, जिसमें इस्लाम [१]के आखिरी पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और अहल अल-बैत (अर्थ: मुहम्मद साहब का परिवार) पर अभिवादन भेजा जाता हैं | पैगम्बर मुहम्मद साहब का उल्लेख करते समय, मुस्लिम लोगों द्वारा दुरूद शरीफ़ का उचारण करा जाता हैं |[२] संख्यात्मक रूप से दुरूद शरीफ़ की तादाद हजारों या लाखों में हैं, परन्तु प्रतेक दुरूद शरीफ़ का मूल अर्थ मुहम्मद और उनके परिवार के लिए अल्लाह तआला से आशीर्वाद और दुआ मांगना हैं |
शब्द-साधन
सलवात, सलात (अरबी:صلاة) का बहुवचन रूप हैं| मुख्य रूप से सलात में तीन मूल अरबी शब्द है- "साद, लाम, वाव" (अरबी ص.ل. و)| दुरूद का अर्थ प्राथना, बंदगी, निवेदन, विनती, प्रशंसा और स्तुति हैं| [३]
अर्थ
अरबी भाषाविदों का मानना हैं कि सलवात का अर्थ उपयोग करने वाले और किसके लिए इसका उपयोग किया गया, उस पर निर्भर करता हैं | [४]
- जब यह कहा जाता है कि अल्लाह मुहम्मद पर सलवात भेजता हैं, तो इसका मतलब है कि अल्लाह उन पर रहमत नाज़िल फरमाता है |
- जब कोई व्यक्ति मुहम्मद पर सलवात भेजता हैं, तो इसका मतलब है कि वो उनके लिए रहमत औऱ सलामती की दुआ करते हैं
- जब मलाइका (फ़रिश्ते या देवदूत) मुहम्मद पर सलवात भेजते है, तो इसका मतलब है कि वह उनके लिए तलब ए मग़फ़िरत करते हैं|"[५]
कुरान
अल्लाह कुरान के सुरह अल-एह्ज़ाब: 56 में मुसलमानों को मुहम्मद पर दुरूद भेजने का निर्देश देते हैं | इसका उपदेश कुछ इस प्रकार है:
अनुवाद: बेशक अल्लाह और उसके फ़रिश्ते दरूद भेजते हैं नबी पर। ए ईमान वालो! तुम भी उन पर दरूद भेजो और सलाम भेजो
--अल-क़ुरआन सूरत अल्लाहज़ अब:५
इसका अंग्रेजी अनुवाद निम्नलिखित है:[६] साँचा:cquote
इस्लामिक विचारधारा
लाभ
- वह जो मुहम्मद और उनके परिवार पर एक सलवात भेजता है, अल्लाह उसके ऊपर 10 सलवात भेजता है, उसके 10 गुनाह माफ़ कर देता है, और 10 अच्छेे कर्म उसके खाते में लिख देता है|[७]
- दुरूद पढ़ने से बुरा वक्त समाप्त हो जाता है|
- दुरूद पढ़ने से भूले हुए कार्य और बाते याद आ जाती है|
- दुरूद पढ़ने वाले का क़र्ज़ जल्दी अदा हो जाता है|
- दुरूद पढ़ने वाला मुहम्मद सल्ल्लाहु अलैहि वसल्लम का प्रिय बन जाता हैं|
- दुरूद पढ़ने वाले का दिल दया और प्रकाश से भर जाता है।
- सलवात भेजना नर्क की आग से बचाता है |[८]
- सलवात के निरंतर पाठ से सभी सांसारिक और स्वर्गीय इच्छाओ की पूर्ति होती है |[९]
- सलवात को ज़ोर से पढ़ने वाले व्यक्ति में से पाखंड ख़त्म हो जाता है|
- मुहम्मद और उनके परिवार पर सलवात भेजना कर्मो के पैमाने पर सबसे अधिक भारवान कार्यो में से एक है|
- दुरूद भेजना कब्र में और निर्णय दिवस पर प्रकाश के रूप में कार्य करता है|
- सलवात भेजने वाले के दिल में अल्लाह और मुहम्मद के प्रति प्रेमभाव उत्पन हो जाता है|
शुभ समय
दुरूद शरीफ़ पढ़ने के लिए कुछ खास वक्त बेहतरीन माने जाते है|
- पाँँचों नमाज़ों के बाद
- अजान के बाद
- मस्जिद में प्रवेश करते वक्त और बाहर जाते वक्त
- वजू करते समय और वजू समाप्त होने के बाद
- मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का नाम लिखने और कहने पर सलवात पढना सबसे उत्तम माना जाता हैं|
- दुआ माँगते समय
- मुसीबत के समय
- घर में प्रवेश करते समय
- सुबह और शाम के वक्त
प्रमुख दिन
निम्नलिखित दिनों में दुरूद पढना सबसे अच्छा माना जाता है:
- शुक्रवार के दिन
हज़रत ओस की रिवायत (उल्लेख) : मैं ने अल्लाह के रसूल (प्रेशित) को यह कहते सुना : "सब दिनो में जुमा का दिन बहतर है, इसी दिन आदम अलै॰ पैदा किये गये, इसी दिन उनकी आत्मा निकाली गई, इसी दिन सुर फ़ूका जाएगा, इसी दिन उढने का हुक्म होगा, अत: इस दिन मुझ पर मेहनत से दुरूद शरीफ भेजा करो"| [१०]
- शनिवार के दिन
- सोमवार (पीर) के दिन
- ईद-उल-अज़हा, ईद उल-फ़ित्र और मीलाद उन-नबी के दिन
परिहार्य समय
- जिब्ह (पशु-पक्षियों को हलाल करना) के समय
- छीक आते वक्त
- सौदा या मोल-भाव करते समय
- सम्भोग करते समय
पढने के शिष्टाचार
- दुरूद का उचारण करते समय बावजू (साफ़-शुद्ध) होना अनिवार्य होता है|
- दुरूद पढ़ने वाले के कपडे साफ़ होने चाहिए|
- आस-पास का वातवरण साफ़ हो, और अत्तर(खुशबू) का प्रयोग करना चाहिए|
हदीस
- अल्लाह के रसूल यह कहते है कि "निर्णय दिवस में मुझ से सबसे ज्यादा करीब वह होगा जिस ने सब से ज्यादा मुझ पर दुरूद भेजे हो"
- मुहम्मद कहते है कि " जो मुझ पर दुरूद पढना भूल गया वह स्वर्ग का रास्ता भूल गया"
- हज़रत अली की रिवायत (उल्लेख) : मैं ने अल्लाह के रसूल (प्रेशित) को यह कहते सुना- " तुम्हारा मुझ पर दुरूद पढना तुम्हारी दुआओ की रक्षा करने वाला है, तुम्हारे खुदा की रिज़ा का सबब है"|
कुछ मुख्य दुरूद शरीफ
- सलवात-ए-इब्राहीमी
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन व अला आलि मुहम्मदिन कमा सल्लैता अला इब्राहीम व अला आलि इब्राहीम इन्नक हमीदुम मजीद, अल्लाहुम्म बारिक अला मुहम्मदिन व अला आलि मुहम्मदिन कमा बारक्ता अला इब्राहीम व अला आलि इब्राहीम इन्नक हमीदुम मजीद।
- अल्लाहुम्मा सल्लि अला रुहि मुहम्मदिन फिल अर्वाहि व सल्लि अला ज-स-दि मुहम्मदिन फिल अज-सादि व सल्लि अला क़ब्रि मुहम्मदिन फिल कुबूरि
- बिस्मिल्लाहि अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन
- अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन अफ़-दला स-ल-वातिका
- अल्लाहुम्मा -सल्लि -अला-मुहम्मदिन अब्दिका -व-रसूलिकन-नबीय्यिल उम्मीय्यि
- अल्लाहुम्मा सल्लि व सल्लिम अलन नबिय्यत ताहिरी
- अल्लाहुम्मा सल्लि अला सय्यिदिना व मौलाना मुहम्मदिम मअदिनिल जूदी वल करमे व आलिही व बारिक वसल्लिम
- अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिवं व अनजिलहुल मक़अदल मुक़र्रबा इन -दका योमल कियामति
- अल्लाहु रब्बु मुहम्मदिन सल्ला अलैहि वसल्ल8मा नहनु ईबादु मुहम्मदिन सल्ला अलैहि वसल्लमा
सन्दर्भ
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ "Muhammad, Shuaib ." Knowing the Certainty.e-book, 2010
- ↑ "Abbas Jaffer,Masuma Jaffer." T Quranic Science. ICAN Press,2009
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ "Seyed Mahmoud Madani" Special Salawaat of the month of Sha'aban. Ansariyan,2014
- ↑ [Qur'an 33:56]
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ "Muhammad Imran" Path of paradise. Islamic Book Centre,1900