दयानंद आश्रम, ऋषिकेश

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

स्वामी दयानंद आश्रम का बुनियादी कार्य स्वामी दयानंद स्वरस्वती (19वीं सदी के महान सुधारक के नाम पर रखा गया जिन्होंने आर्य समाज की स्थापना की) द्वारा वर्ष 1963 में शुरु किया गया तथा वर्ष 1982 में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ। मुनी की रेती में पुरानी झाड़ी या शीशम झाड़ी में अवस्थित यह आश्रम वैदिक शिक्षण के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के धर्मार्थ कार्यकलापों का केन्द्र रहा है।

आश्रम में वर्षभर स्वामी जी के शिष्यों के लिए वेदान्त पर लघु एवं दीर्घकालीन पाठ्यक्रमों का नियमित रूप से आयोजन किया जाता है। साथ ही, आध्यात्मिक कक्षाओं और शिविरों का भी आयोजन किया जाता है। परिसर के भीतर भगवान श्री गंगाधरेश्वर मंदिर अवस्थित है। इसका मुख गंगा नदी की तरफ है। यहां साधुओं द्वारा प्रतिदिन पूजा-अर्चना की जाती है। ब्रह्मचारीगण और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए हुए भक्तजन प्रतिदिन प्रातः और सान्ध्य प्रार्थना में भाग लेते हैं।

आश्रम में साधुओं और दर्शनार्थी भक्तजनों के लिए भंडारा (मुफ्त भोजन) का प्रबंध भी किया जाता है और धर्मार्थ औषधालय भी चलाया जाता है जिसमें इस क्षेत्र में रह रहीं महिलाओं, बच्चों और वृद्धजनों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निशुल्क निवारण किया जाता है। साथ ही साथ, उन्हें स्वच्छता के महत्व से भी अवगत कराया जाता है।

यऍ सा समाजिक कार्य कर्ते हुये एश्वर सेवा भि हो जति है

बाहरी कड़ियाँ