थाई साहित्य

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थाई साहित्य थाई लोगों का साहित्य है जो लगभग सम्पूर्णतः थाई भाषा में है (हालांकि थाई लिपि के अलावा अन्य लिपियों का भी उपयोग किया गया है।)। १९वीं शताब्दी से पहले रचित थाई साहित्य का अधिकांश भाग कविता के रूप में था। गद्य में लेखन केवल ऐतिहासिक दस्तावेजों, इतिहास और कानूनी दस्तावेजों तक सीमित था। परिणामस्वरूप, थाई भाषा में काव्य अत्यधिक विकसित एवं विविध रूपों में उपलब्ध है। आधुनिक काल से पहले के थाई साहित्य का भण्डार बहुत बड़ा है। यद्यपि १७६७ में अयुध्या के पतन के साथ कई साहित्यिक कृतियाँ नष्ट हों गयीं किन्तु अभी भी बड़ी संख्या में महाकाव्य उपलब्ध हैं। थाई साहित्यिक परम्परा तथा अन्य पूर्वी एशियाई साहित्यिक परम्पराओं में यही विशेष अन्तर है। उदाहरण के लिए, चीनी और जापानी साहित्य में बड़े काव्य कथानक दुर्लभ हैं जबकि महाकाव्य तो लगभग हैं ही नहीं। थाई शास्त्रीय साहित्य ने दक्षिणपूर्व एशिया के पड़ोसी देशों (विशेष रूप से कम्बोडिया, लाओस और बर्मा) के साहित्य पर उल्लेखनीय प्रभाव डाला है।

बैंकाक स्थित श्री रत्न सत्सादरम मंदिर (वाट फ्रा काऊ) की दीवारों पर निर्मित रामाकियन महाकाव्य का चित्र