त्वकछेद विकार

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त्वकछेद विकार या निस्त्वचन विकार (अंग्रेजी:Excoriation disorder) एक मनोग्रसित-बाध्यकारी स्पेक्ट्रम मानसिक विकार है, जिसमे व्यक्ति को बार बार अपनी ही त्वचा को खुजाने, नोचने या खरोचने की इच्छा या प्रोत्तेजना होती है, यहाँ तक कि कई बार यह विकार व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक या शारीरिक क्षति का कारण भी बनता है। इस खुजाने की क्रिया से पहले व्यक्ति को अक्सर त्वचा पर खुजली या कोई अन्य परेशानी का अनुभव होता है। खुजली अनुभव करने पर व्यक्ति पहले त्वचा का निरीक्षण करता है और फिर उसे उपने नाखुनों, कंघे, कील, चिमटी या अन्य किसी उपकरण से खुजाता है और, यह खुजाना त्वचा पर छोटी खरोंच से लेकर गहरे घाव तक कर देता है।

विकृति विज्ञान की अन्य अभिव्यक्तियों के विपरीत त्वकछेद विकार से ग्रस्त रोगी को अपने कार्यों और उनके द्वारा होने वाली हानि का पूरी तरह से पता होता है। व्यक्ति द्वारा बेतहाशा खुजाने से त्वचा की उपरी परत पूरी तरह से छिल जाती है, और तब व्यक्ति तो एक अस्थायी राहत और आंतरिक संतुष्टि का अहसास होता है, लेकिन यह आंतरिक संतुष्टि बहुत देर कायम नहीं रहती और व्यक्ति फिर से खुजली का अनुभव करता है।

इस शरीर-केंद्रित दोहरावदार व्यवहार के उपचार के लिए पेशेवर मानसिक स्वास्थ्य उपचार की आवश्यकता होती है।

सन्दर्भ

  1. The term derives from the Greek: δέρμα derma ("skin"), τίλλειν tillein ("to pull"), and μανία mania ("madness, frenzy").
  2. साँचा:cite journal
  3. साँचा:cite journal