त्रित्व

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(त्रीएक से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
त्रित्व

त्रित्व ईसाई धर्म का केंद्रीय तथा गूढ़तम धर्मसिद्धांत ईश्वर के आभ्यंतर स्वरूप से संबंधित है जिसे ट्रिनिटी अर्थात् त्रित्व कहते हैं। त्रित्व का अर्थ है कि एक ही ईश्वर में तीन व्यक्ति हैं -- पिता, पुत्र तथा पवित्र आत्मा (फादर, सन ऐंड होली गोस्ट)। ये तीनों समान रूप से अनादि, अनंत और सर्वशक्तिमान् हैं क्योंकि तर्क के बल पर मानव बुद्धि केवल एक सर्वशक्तिमान् सृष्टिकर्ता ईश्वर के अस्तित्व तक पहुँच सकती है। वस्तुत: त्रित्व के धर्मसिद्धांत पर इसीलिये विश्वास किया जाता है कि उसकी शिक्षा ईसा ने दी है।

बाइबिल के पूर्वार्ध से पता चलता है कि यहूदी धर्म में एकेश्वरवाद पर विशेष बल दिया गया था। बाइबिल के उत्तरार्ध में ईसा उस एकेश्वर को बनाए रखते हुए भी यह शिक्षा देते हैं कि मैं और परम पिता परमेश्वर एक ही हैं (वास्तव में यहूदियों ने इसी कारण से ईसा को प्राणदंड दिया)। इसके अतिरिक्त वह अपने शिष्यों से कहते हैं कि मैं पवित्र आत्मा को भेज दूँगा जा अव्यक्त रूप से तुम लोगों के साथ रहेगा। उस पवित्र आत्मा को भी वह ईश्वरीय गुणों से समन्वित मानते हैं। इस प्रकार ईसा ने स्पष्ट रूप से बताया है कि एक ही परमेश्वर में पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा विद्यमान हैं। बाद में त्र्येक (त्रिअएक) ईश्वर की इस विशेषता को त्रित्व का नाम दिया गया है।

त्रित्व के इस धर्मसिद्धांत को ईसाई धर्मपंडितों ने यूनानी तथा लातीनी दर्शन के पारिभाषिक शब्दों के सहारे इस प्रकार स्पष्ट करने का प्रयास किया है -- एक ही ईश्वरीय स्वभाव (नेचर) में तीन व्यक्ति (परसंस) विद्यमान हैं। तीनों तत्वत: (सब्स्टैंशली) एक हैं। अत: तीनों की एक ही संकल्पशक्ति तथा एक ही बुद्धि है। फिर भी पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा में पारस्परिक भिन्नता है। पिता किसी से उत्पन्न नहीं होता। पुत्र आदिकाल से पिता से परिपूर्ण ईश्वरत्व ग्रहण करता है। पुत्र की इस उत्पत्ति को प्रजनन (जेनेरेशन) कहते हैं। पवित्र आत्मा की उत्पत्ति को प्रजनन (जेनेरेशन) कहते हैं। पवित्र आत्मा की उत्पत्ति पिता तथा पुत्र दोनों से मानी जाती है और प्रसरण (प्रोसेशन) कहलाती है। पुत्र के प्रजनन तथा पवित्र आत्मा से प्रसरण से तीनों व्यक्तियों की पारस्परिक भिन्नता उत्पन्न होती है, किंतु तत्वत: तीनों एक हैं और समान रूप से सभी ईश्वरीय गुणों से समन्वित हैं। (प्राच्य चर्च में पवित्र आत्मा का प्रसरण पिता से माना जाता है)।

शताब्दियों तक इस धर्मसिद्धांत पर चिंतन किया गया है और तत्वसंबंधी अनेक धारणाओं को भ्रामक ठहराया गया है। त्रिदेवतावाद, जो तीन भिन्न ईश्वरीय तत्व मानता है स्पष्टतया भ्रामक है, क्योंकि इस प्रकार तीन स्वतंत्र देवताओं का अस्तित्व स्वीकार किया जाता है। मोदालिस्म के अनुसार पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा एक ही ईश्वर के तीन पहलू हैं जो सृष्टि के कारण उत्पन्न हो जाते हैं -- पिता सृष्टिकर्ता है, पुत्र हमारा उद्धार करता है तथा पवित्र आत्मा हमको पवित्र करता है। चर्च ने इस वाद को तीसरी तथा चौथी शताब्दी में ठुकराकर यह बताया कि सृष्टि से पहले ही ईश्वर में तीन व्यक्ति विद्यान थे। निसेआ (325 ईदृ) की विश्वसभा ने त्रित्व विषयक उन सभी व्याख्याओं को भ्रामक ठहराया है जिनके अनुसार पुत्र अथवा पवित्र आत्मा पिता से गौण माने जाते हैं। उस सभा में यह स्पष्ट घोषित किया गया है कि पिता और पुत्र तत्वत: एक ही हैं।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ