निम्नतापी रॉकेट इंजन

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भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान में प्रयुक्त होने वाली द्रव ईंधन चालित इंजन में ईंधन बहुत कम तापमान पर भरा जाता है, इसलिए ऐसे इंजन निम्नतापी रॉकेट इंजन या तुषारजनिक रॉकेट इंजन (अंग्रेज़ी:क्रायोजेनिक रॉकेट इंजिन) कहलाते हैं। इस तरह के रॉकेट इंजन में अत्यधिक ठंडी और द्रवीकृत गैसों को ईंधन और ऑक्सीकारक के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस इंजन में हाइड्रोजन और ईंधन क्रमश: ईंधन और ऑक्सीकारक का कार्य करते हैं। ठोस ईंधन की अपेक्षा यह कई गुना शक्तिशाली सिद्ध होते हैं और रॉकेट को बूस्ट देते हैं। विशेषकर लंबी दूरी और भारी रॉकेटों के लिए यह तकनीक आवश्यक होती है।[१]

क्रायोजेनिक इंजन के थ्रस्ट में तापमान बहुत ऊंचा (२००० डिग्री सेल्सियस से अधिक) होता है। अत: ऐसे में सर्वाधिक प्राथमिक कार्य अत्यंत विपरीत तापमानों पर इंजन व्यवस्था बनाए रखने की क्षमता अर्जित करना होता है। क्रायोजेनिक इंजनों में -२५३ डिग्री सेल्सियस से लेकर २००० डिग्री सेल्सियस तक का उतार-चढ़ाव होता है, इसलिए थ्रस्ट चैंबरों, टर्बाइनों और ईंधन के सिलेंडरों के लिए कुछ विशेष प्रकार की मिश्र-धातु की आवश्यकता होती है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बहुत कम तापमान को आसानी से झेल सकने वाली मिश्रधातु विकसित कर ली है।

कठिनाइयाँ

अन्य द्रव्य प्रणोदकों की तुलना में क्रायोजेनिक द्रव्य प्रणोदकों का प्रयोग कठिन होता है। इसकी मुख्य कठिनाई यह है कि ये बहुत जल्दी वाष्प बन जाते हैं। इन्हें अन्य द्रव प्रणोदकों की तरह रॉकेट खंडों में नहीं भरा जा सकता। क्रायोजेनिक इंजन के टरबाइन और पंप जो ईंधन और ऑक्सीकारक दोनों को दहन कक्ष में पहुंचाते हैं, को भी खास किस्म के मिश्रधातु से बनाया जाता है।[१] द्रव हाइड्रोजन और द्रव ऑक्सीजन को दहन कक्ष तक पहुंचाने में जरा सी भी गलती होने पर कई करोड़ रुपए की लागत से बना जीएसएलवी रॉकेट रास्ते में जल सकता है। इसके अलावा दहन के पूर्व गैसों (हाइड्रोजन और ऑक्सीजन) को सही अनुपात में मिश्रित करना, सही समय पर दहन प्रारंभ करना, उनके दबावों को नियंत्रित करना, पूरे तंत्र को गर्म होने से रोकना आदि।

LOX+LH2 रॉकेट इंजनों की सूची

आर.एल.-१० क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन का एक आरंभिक उदाहरण है।

सन्दर्भ

  1. बढ़े कदम पा लेंगे मंजिल स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।|हिन्दुस्तान लाईव। १८ अप्रैल २०१०। अनुराग मिश्र बढ़े कदम पा लेंगे मंजिल]। हिन्दुस्तान लाईव। १८ अप्रैल २०१०
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इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ