तित्तिरि
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
तित्तिरि एक शाखा-प्रवर्तक ऋषि थे। ये वैशम्पायन के बड़े भाई थे। एक ऋषि के रूप में इनका स्पष्ट उल्लेख महाभारत में मिलता है।
परिचय
महाभारत के सभापर्व में युधिष्ठिर की सभा में उपस्थित रहने वाले ऋषियों में वैशम्पायन याज्ञवल्क्य से पहले इनका नाम लेते हैं।[१] शान्तिपर्व में उपरिचर वसु के यज्ञ में एक सदस्य के रूप में आद्य कठ के साथ इनका स्पष्ट उल्लेख वैशम्पायन के बड़े भाई (वैशम्पायनपूर्वजः) के रूप में हुआ है।[२]
अनेक विद्वानों का अनुमान है कि कृष्णयजुर्वेदीय तैत्तिरीय शाखा के मूल आचार्य यही रहे होंगे।[३]
सन्दर्भ
- ↑ महाभारत, सभापर्व- ४-१२, महाभारत (हिन्दी अनुवाद सहित), खण्ड-१, गीताप्रेस गोरखपुर, संस्करण- संवत् २०५३, पृष्ठ-६७३.
- ↑ महाभारत, शान्तिपर्व-३३६-९, महाभारत (हिन्दी अनुवाद सहित), खण्ड-५, गीताप्रेस गोरखपुर, संस्करण- संवत् २०५३, पृष्ठ-५३३७.
- ↑ भारतवर्षीय प्राचीन चरित्रकोश, सिद्धेश्वर शास्त्री चित्राव, भारतीय चरित्रकोश मंडल, पूना, संस्करण-१९६४ ई॰, पृष्ठ-२४५.