ताइवान का इतिहास

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ताइवान द्वीप पर मानव के बसने का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। ३००० ईसापूर्व के आसपास कृषि पर आधारित एक संस्कृति का जन्म हुआ। ये ही लोग आज के ताइवान द्वीप के निवासियों के पूर्वज माने जाते हैं। १७वीं शताब्दी में डच लोगों ने इसको अपना उपनिवेश बना लिया। इसके बाद चीन की मुख्यभूमि के फुजियन और गुआंगडांग क्षेत्रों से होक्को लोग भी यहाँ आये। वर्तमान में ताईवान की आबादी में सबसे बड़ा हिस्सा चीनी मूल के लोगों का है।

स्पेनियों ने उत्तरी भाग में एक छोटे समय तक के लिए बस्ती बनायी थी किन्तु १६४२ में डचों ने उन्हें बाहर कर दिया।

1683 से 1895 तक चीन की मुख्यभूमि पर भी ताइवान का शासन था। 1895 में, जापान ने प्रथम चीन-जापान युद्ध जीता और युद्ध के बाद, चीन ने ताइवान को जापान को सौंप दिया। द्वितीय विश्वयुद्ध में पराजय के बाद, जापान ने ताइवान को वापस 'चीन' (चीनी गणतंत्र को) को सौंप दिया।

सन् 1949 में चीन में दो दशक तक चले गृहयुद्ध के अंत में जब माओत्से तुंग ने पूरे मुख्यभूमि चीन पर अपना अधिकार जमा लिया तो विरोधी राष्ट्रवादी पार्टी के नेता और समर्थक भागकर ताइवान आ गए। ताइवान अमेरिका के संरक्षण में चला गया। सन् 1950 में अमेरिकी राष्ट्रपति ने जल सेना का जंगी जहाज 'सातवां बेड़ा' ताइवान और चीन के बीच के समुद्र में पहरेदारी करने भेजा। सन् 1954 में अमेरिकी राष्ट्रपति आइज़न हावर ने ताइवान के साथ आपसी रक्षा संधि पर भी हस्ताक्षर किए।

शुरू में 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' (ताइवान) संयुक्त राष्ट्रसंघ का सदस्य था और चीन नहीं। धीरे-धीरे अमेरिका के संबंध चीन से अच्छे होने लगे और विश्व में चीन का दबदबा बढ़ने लगा तो सन् 1971 में चीन को संयुक्त राष्ट्रसंघ की सदस्यता मिल गई और चीन के दबाव में ताइवान की सदस्यता खारिज कर दी गई। चीन ने ताइवान को अपना प्रांत घोषित कर दिया। धीरे-धीरे चीन के राजनीतिक दबाव की वजह अन्य राष्ट्रों ने भी ताइवान के साथ कूटनीतिक संबंध तोड़ लिए।

ताइवान में सन् 2000 के चुनावों में स्वतंत्र ताइवान समर्थकों की जीत हुई किन्तु चीन ने चेतावनी दे दी कि उसे ताइवान की स्वतंत्रता स्वीकार नहीं है। आठ वर्षों के इस दल के शासन में कई बार ऐसे अवसर आए जब चीन और ताइवान युद्ध पर उतारू हो गए थे। चीन ने बारह सौ मिसाइलें ताइवान की ओर मुंह करके तान रखी हैं। दूसरी ओर ताइवान के पास एक बड़ी सेना है। सेना की संख्या, ताइवान की जनसंख्या का करीब एक प्रतिशत है। किसी भी किस्म की स्वतंत्रता घोषित करने या चीन के साथ एकीकरण में अनिश्चितकालीन विलम्ब करने के विरुद्ध ताइवान को कई बार चीन से धमकियां मिल चुकी हैं।