तवांग

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Tawang
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तवांग शहर, जिसकी पृष्ठभूमि में तवांग मठ दिख रहा है
तवांग शहर, जिसकी पृष्ठभूमि में तवांग मठ दिख रहा है
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ज़िलातवांग ज़िला
प्रान्तअरुणाचल प्रदेश
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ऊँचाईसाँचा:infobox settlement/lengthdisp
जनसंख्या (2011)
 • कुल११,२०२
 • घनत्वसाँचा:infobox settlement/densdisp
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी, पूर्वी भोटी भाषाएँ, तिब्बती
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+05:30)
वेबसाइटtawang.nic.in

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तवांग अरुणाचल प्रदेश प्रान्त का एक शहर है जो तवांग जिले का मुख्यालय भी है। तवांग अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमोत्तर भाग में स्थित है। तवांग की उत्तर-पूर्व दिशा में तिब्बत, दक्षिण-पश्चिम में भूटान और दक्षिण-पूर्व में पश्चिम कमेंग ज़िला स्थित है। तवांग हिमालय की तराई में समुद्र तल से 3500 मी. की ऊँचाई पर स्थित है।[१][२][३]

विवरण

तवांग का मुख्य काम-धंधा कृषि और पशु-पालन है। यह प्राकृतिक रूप से बहुत ख़ूबसूरत है। छुपे हुए स्वर्ग के नाम से यह पर्यटकों में काफ़ी लोकप्रिय है। तवांग बहुत ख़ूबसूरत है। पर्यटक यहाँ पर ख़ूबसूरत चोटियाँ, छोटे-छोटे गाँव, शानदार गोनपा, शांत झील और इसके अलावा बहुत कुछ देख सकते हैं। इन सबके अलावा यहाँ पर इतिहास, धर्म और पौराणिक कथाओं का सम्मिश्रण भी देखा जा सकता है। तवांग का नामकरण 17वीं शताब्दी में मिराक लामा ने किया था। यहाँ पर मोनपा जाति के आदिवासी रहते हैं। यह जाति मंगोलों से संबंधित है। यह पत्थर और बांस के बने घरों में रहते हैं। प्राकृतिक ख़ूबसूरती के अलावा पर्यटक यहाँ पर अनेक बौद्ध मठ भी देख सकते हैं। यह मठ बहुत प्रसिद्ध हैं। यहाँ पर एशिया का सबसे बड़ा मठ तवांग मठ भी है। अपने बौद्ध मठों के लिए यह पूरे विश्व में पहचाना जाता है।

तवांग मठ

तवांग मठ अरुणाचल प्रदेश के तवांग शहर में स्थित एक बौद्ध मठ है। तवांग मठ का निर्माण मेराक लामा लोड्रे ग्यात्सो ने 1680-81 ई. में कराया था। तवांग मठ एक पहाड़ी पर बना हुआ है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 10,000 फीट है। यहाँ पर कई छोटी नदियाँ भी बहती हैं। यहाँ से पूरी त्वांग-चू घाटी के ख़ूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं। तवांग मठ दूर से क़िले जैसा दिखाई देता है। पूरे देश में यह अपने प्रकार का अकेला बौद्ध मठ है। तवांग मठ एशिया का सबसे बड़ा बौद्ध मठ है। तवांग मठ में 700 बौद्ध साधु ठहर सकते हैं। तवांग मठ के पास एक जलधारा भी बहती है। यह जलधारा बहुत ख़ूबसूरत है और यह मठ के लिए जल की आपूर्ति भी करती है। तवांग मठ का प्रवेश द्वार दक्षिण में है। प्रवेश द्वार का नाम काकालिंग है। काकालिंग देखने में झोपडी जैसा लगता है और इसकी दो दीवारों के निर्माण में पत्थरों का प्रयोग किया गया है। इन दीवारों पर ख़ूबसूरत चित्रकारी की गई है, जो पर्यटकों को बहुत पसंद आती है।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

  1. "Arunachal Pradesh: Past and Present," H. G. Joshi, Mittal Publications, 2005, ISBN 9788183240000
  2. "Paths of Development in Arunachal Pradesh," Ravi S. Singh, Northern Book Centre, 2005, ISBN 9788172111830
  3. "Documents on North-East India: Arunachal Pradesh, Volume 2 of Documents on North-East India: An Exhaustive Survey, Suresh K. Sharma (editor), Mittal Publications, 2006, ISBN 9788183240888