डॉन (1978 फ़िल्म)

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(डॉन, १९७८ फ़िल्म से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
डॉन
चित्र:Don 1978 poster.jpg
डॉन का पोस्टर
निर्देशक चंद्र बरोट
निर्माता नरीमन ईरानी
लेखक सलीम-जावेद
अभिनेता अमिताभ बच्चन,
ज़ीनत अमान,
इफ़्तेखार,
प्राण,
हेलन
संगीतकार कल्याणजी आनंदजी
प्रदर्शन साँचा:nowrap 1978
देश भारत
भाषा हिन्दी

साँचा:italic title

डॉन 1978 की एक हिन्दी क्राइम थ्रिलर फ़िल्म है। सलीम-जावेद द्वारा लिखी इस फ़िल्म के निर्माता नरीमन ईरानी हैं, तथा निर्देशक चन्द्र बरोट हैं। अमिताभ बच्चन, ज़ीनत अमान, इफ़्तेखार, प्राण, हेलन, ओम शिवपुरी, सत्येन कप्पू तथा पिंचू कपूर ने फ़िल्म में मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं। कल्याणजी आनंदजी ने फ़िल्म में संगीत दिया है, तथा फ़िल्म के गीत अंजान और इंदीवर ने लिखे हैं।

अमिताभ बच्चन ने फ़िल्म में अण्डरवर्ल्ड बॉस 'डॉन' की, और उसके हमशक्ल 'विजय' की दोहरी भूमिका निभाई थी। फ़िल्म की कहानी बम्बई की झुग्गियों के निवासी विजय के इर्द-गिर्द घूमती है, जो संयोग से डॉन का हमशक्ल हैं। बम्बई पुलिस के डीसीपी डी'सिल्वा विजय से डॉन का रूप लेने को कहते हैं, ताकि वह पुलिस के मुखबिर के रूप में काम कर सके, और साथ ही डॉन के आपराधिक नेटवर्क का भण्डाफोड़ करने में पुलिस की सहायता कर सकें।

कथानक

'डॉन' मुम्बई में एक अण्डरवर्ल्ड अपराधी है, जिसकी तलाश मुम्बई पुलिस और इण्टरपोल, दोनों को है। इण्टरपोल की 'मोस्ट वाण्टेड' अपराधियों की सूची में शामिल डॉन हर बार पुलिस को चकमा देकर भाग निकलने में सफल हो जाता है। अपने निर्दयी स्वभाव के कारण, पुलिस के अतिरिक्त डॉन के अन्य शत्रु भी हैं। प्रमुखतः डॉन ने एक बार अपने ही एक सहकर्मी, रमेश की हत्या कर दी थी, जिसके बाद उसकी मंगेतर 'कामिनी' तथा बहन 'रोमा' डॉन के शत्रु बन गए। कामिनी डॉन को बहकाने का प्रयास करती है, ताकि पुलिस आकर डॉन को पकड़ ले, परन्तु डॉन कामिनी को बंधक बनाकर वहां से भाग निकलने में सफल होता है, और इस पूरे घटनाक्रम में कामिनी की मृत्यु हो जाती है। कामिनी की भी मृत्यु से आक्रोशित रोमा अपने बाल कटा लेती है, और जूडो तथा कराटे सीखकर डॉन के गिरोह में शामिल हो जाती है, ताकि अवसर पाकर वह डॉन को मार दे। डॉन को पकड़ने के कई असफल प्रयत्नों के बाद पुलिस को अन्तः सफलता प्राप्त होती है, और डीसीपी डी'सिल्वा डॉन को लगभग पकड़ ही चुके होते हैं, कि डॉन की मृत्यु हो जाती है, और डॉन के बॉस तक पहुंचने का डी'सिल्वा का सपना अधूरा ही रह जाता है। इसके बाद डी'सिल्वा डॉन को वहीं दफना देता है।

मुम्बई की झुग्गियों में रहने वाला विजय एक सीधा-सादा व्यक्ति है, जो मुम्बई में नाच-गए कर अपने दो बच्चों के पालन की कोशिश कर रहा है। डीसीपी डी'सिल्वा की मुलाकात एक बार विजय से होती है, जिससे उन्हें पता चलता है, की विजय डॉन का हमशक्ल है, और वह विजय से डॉन बनने को कहते हैं, ताकि विजय पुलिस की मुखबिरी करे, और उसके रस्ते डी'सिल्वा इस आपराधिक नेटवर्क की तह तक पहुँच पाएँ। विजय उनकी बात मान लेता है, और डॉन बनकर वापस उसकी गिरोह के पास चला जाता है, जहाँ वह अपनी याद्दाश्त खो जाने का बहाना बनाता है। इसी बीच जसजीत 'जेजे' जेल से छूट जाता है। जसजीत को डीसीपी डी'सिल्वा ने ही गिरफ्तार किया था; जिस कारन जेजे की पत्नी की मृत्यु हो गयी थी, और उसके दो बच्चे लापता हो गए थे। उसके दोनों बच्चों, दीपू तथा मुन्नी का लालन-पालन इसी बीच विजय कर रहा था। विजय डॉन की एक 'लाल डायरी' ले लेता है, और उसे लेकर डीसीपी डी'सिल्वा से मिलने जाता है। रोमा भी उसके साथ जाती है, और वहाँ उसे अकेला पाकर वह उस पर हमला कर देती है। डी'सिल्वा ऐन वक्त पर आकर रोमा को विजय की असलियत बताते हैं, और इसके बाद रोमा भी विजय के साथ मिल जाती है। विजय वह डायरी डी'सिल्वा को दे देता है, और उसे पढ़कर उन्हें पता चलता है कि डॉन के बॉस का नाम वरधान है, परन्तु उसके बारे में इससे अधिक जानकारी उस डायरी में नहीं लिखी होती।

धीरे धीरे विजय को डॉन केबारे में और अधिक जानकारी मिलती जाती है, और एक दिन रोमा की सहायता से वह घोषणा कर देता है, कि उसकी याद्दाश्त वापस आ चुकी है। इसी खुशी में एक पार्टी होती है, जिसमें पुलिस की रेड पड़ जाती है। इस रेड में गोलीबारी में डीसीपी डी'सिल्वा बुरी तरह घायल हो जाते हैं, और पुलिस विजय को डॉन समझकर पकड़ लेती है। विजय उन लोगों को सच बताता है, जिसके बाद पुलिस वाले उसे डीसीपी डी'सिल्वा के पास हस्पताल ले जाते है; किन्तु कुछ बोल पाने से पहले ही डीसीपी डी'सिल्वा की मृत्यु हो जाती है। विजय को एक ट्रक द्वारा हाई-सिक्योरिटी जेल भेजा जा रहा होता है, और वह ट्रक से भाग निकलने में सफल हो जाता है। इसके बाद वह स्वयं को निर्दोष साबित करने के लिए रोमा की मदद से खुद कोई तरकीब सोचने लगता है। विजय इस घटनाक्रम में बुरी तरह उलझ जाता है, क्योंकि पुलिस यह मानने से मना करती है कि वह विजय हैं, और साथ ही डॉन के अण्डरवर्ल्ड गिरोह को यह एहसास हो जाता है कि वह वास्तव में डॉन नहीं हैं। ऊपर से वह लाल डायरी, जो उसने डीसीपी डी'सिल्वा को दी थी, उसे जसजीत चुरा ले जाता है। विजय रोमा की सहायता से पुलिस और नारंग, अण्डरवर्ल्ड गिरोह के वर्तमान सरगना, दोनों को चकमा देने में सफल रहता है, और वापस अपनी पुरानी जिन्दगी में लौटने का प्रयास करता है।

विजय इण्टरपोल के अफसर, आर के मालिक से मिलने का आग्रह करता है, और उनसे कुछ समय की माँग करता है, ताकि वह अपनी बेगुनाही का प्रमाण ला सके। तब उसे पता चलता है कि जिसे वह अब तक इण्टरपोल अफसर आर के मालिक समझ रहा था, वह ही वास्तव में वरधान है, जो असली आर के मालिक को अगवा कर उनका भेष लेकर बैठा है। उसे यह भी पता चलता है कि डीसीपी डी'सिल्वा की हत्या भी वरधान ने ही की थी। विजय यह बात पुलिस के अन्य अधिकारीयों को बताने का प्रयास करता है, लेकिन वे लोग उसकी बातों पर विश्वास नहीं करते। इसके बाद विजय वरधान के सभी गुण्डों से स्वयं लड़ता है, और इसी बीच रोमा भी वह लाल डायरी ढूँढकर ले आती है। इसी लड़ाई में एक गुंडा रोमा से वह डायरी छीनकर उसे जला देता है। पुलिस उन लोगों को चारों तरफ से घेर लेती है, और उस समय विजय अपनी जेब से लाल डेयरी निकालकर उन्हें बताता है, की जो डायरी जलाई गई, वह वास्तव में नकली थी। डॉन वह डायरी पुलिस को देता है, और उसे निर्दोष घोषित कर उस पर लगे सभी प्रभार हटा दिए जाते हैं। असली आर के मालिक को छुड़ाकर पुलिस वरधान को गिरफ्तार कर लेती है, और विजय रोमा, जसजीत, दीपू तथा मुन्नी के साथ अपनी पुरानी जिन्दगी में लौट जाता है।

पात्र

  • अमिताभ बच्चन – डॉन/विजय
    डॉन मुम्बई का सबसे वांछित अपराधी है, जिसे पकड़ने में पुलिस हमेशा रही। हालाँकि, एक पुलिस मुठभेड़ में डॉन की मृत्यु हो जाती है। विजय डॉन का हमशक्ल है, जो डॉन के साथियों को गिरफ्तार करने में पुलिस की मदद करने के लिए स्वयं डॉन होने का दिखावा करता है।
  • ज़ीनत अमान – रोमा
    एक साधारण लड़की, जिसका भाई रमेश डॉन के लिए काम किया करता था। रोमा अपने भाई की हत्या के लिए डॉन से नफरत करती है, व उसे मारने के गुप्त उद्देश्य के साथ ही डॉन के गिरोह में शामिल हो जाती है।
  • इफ्तेखार – डीसीपी डी'सिल्वा
    मुंबई पुलिस के डीसीपी, जिनका मकसद डॉन को पकड़कर उसके पूरे आपराधिक नेटवर्क का पर्दाफाश करना है। डॉन की मृत्यु के बाद डी'सिल्वा ही विजय को डॉन के गिरोह में शामिल होने को कहते हैं।
  • प्राण – जसजीत 'जेजे'
    एक पूर्व सर्कस मास्टर, जिसे डीसीपी डी'सिल्वा ने चोरी के जुर्म में गिरफ्तार किया था; जिस कारण उसकी पत्नी की मृत्यु हो गयी थी, और उसके दो बच्चे लापता हो गए थे। जेल से छूटकर जेजे डीसीपी डी'सिल्वा के घर में घुसकर डॉन की "लाल डायरी" चुरा ले जाता है।
  • हेलन – कामिनी
    रमेश की मंगेतर। कामिनी डॉन को बहकाने की कोशिश करती है, ताकि पुलिस आकर डॉन को पकड़ ले, परन्तु डॉन कामिनी को बन्धक बनाकर वहाँ से भाग निकलने में सफल होता है, और इस पूरे घटनाक्रम में कामिनी की मृत्यु हो जाती है।

संगीत

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। फ़िल्म के गीतकार कल्याणजी-आनंदजी हैं और गीतकार इन्दीवर तथा अंजन हैं। फिल्म में पार्श्व संगीत अनिल मोहिले ने दिया है। 1977 में ईएमआई द्वारा जारी की गई फिल्म की एल्बम में कुल 5 गीत हैं, जिन्हें किशोर कुमार, लता मंगेशकर और आशा भोसले ने गाया है। डॉन से पहले कल्याणजी आनंदजी ने अमिताभ के साथ ज़ंजीर में काम किया था। आनन्दजी ने फिल्म के पार्श्व संगीत निर्देशक अनिल मोहिले के साथ मिलकर विजय के लिए तो भारतीय पारम्परिक संगीत तथा ग्रामीण संस्कृति पर आधारित ध्वनियाँ निर्मित की; और इसके विपरीत डॉन के लिए वेस्टर्न संगीत, बीट्स, और ब्रास इंस्ट्रूमेण्ट्स का प्रयोग किया।

कुल बिक्री के आधार पर डॉन 70 के दशक की तेरहवीं सर्वाधिक बिकने वाली एल्बम थी। 1979 के फिल्मफेयर पुरस्कारों में कल्याणजी आनन्दजी, किशोर कुमार, और आशा भोसले को क्रमशः सर्वश्रेष्ठ संगीतकार, सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक, और सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका के पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। 2006 में डॉन फिल्म के सीक्वल में इस फिल्म के 2 गीत, "ये मेरा दिल" और "खइके पान बनारस वाला" पुनः प्रयोग किये थे। गीत "ये मेरा दिल" का एक अंश 2005 में द ब्लैक आइड पीस द्वारा अपने हिट गीत "डोण्ट फ़क विद माई हार्ट" में प्रयोग किया गया था। अमेरिकन डैड के तीसरे सीजन में इस फिल्म के थीम गीत का प्रयोग किया गया था।

नामांकन और पुरस्कार

पुरस्कार श्रेणी नामांकित व्यक्ति परिणाम
फिल्मफेयर पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता अमिताभ बच्चन साँचा:won
सर्वश्रेष्ठ संगीतकार कल्याणजी आनंदजी साँचा:nom
सर्वश्रेष्ठ गीतकार अंजान
"खइके पान बनारस वाला" के लिए
साँचा:nom
सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक किशोर कुमार
"खइके पान बनारस वाला" के लिए
साँचा:won
सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका आशा भोसले
"ये मेरा दिल यार का दीवाना" के लिए
साँचा:won
बीएमआई पुरस्कार[१] मूल धुन कल्याणजी आनंदजी
"डोंट फंक विद माई हार्ट" के लिए
साँचा:won

बाहरी कड़ियाँ