रेने देकार्त

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रेने देकार्त जो कि दार्शनिक होने के साथ साथ एक सुप्रसिद्घ गणितज्ञ थे, वे दर्शन को विज्ञान में परिवर्तित करना चाहते थे। आधुनिक पाश्चात्य दर्शन का जनक के रुप में इन्हें जाना जाता है, साथ ही साथ इन्होंने ज्ञान के लिए बुद्धि को सर्वोत्तम राह बताया, क्योंकि इसमें ज्ञान सार्वभौमिक व अनिवार्य होता है,

रने डॅकार्ट (अंग्रेजी में -'René Descartes')
Frans Hals - Portret van René Descartes.jpg
Portrait after Frans Hals, 1648[१]
जन्म साँचा:birth date
La Haye en Touraine, Kingdom of France
मृत्यु साँचा:death date and age
स्टॉकहोम, स्वीडन
राष्ट्रीयता युनान religion = Catholic Church[२]
हस्ताक्षर
Firma Descartes.svg

रने डॅकार्ट (फ़्रांसिसी भाषा : René Descartes; लातिनी भाषा: Renatus Cartesius ; 31 मार्च 1596 - 11 फ़रवरी 1650) एक फ़्रांसिसी गणितज्ञ, भौतिकीविज्ञानी, शरीरक्रियाविज्ञानी तथा दार्शनिक थे।

परिचय

उनका जन्म ३१ मार्च ई. को हेग में हुआ था। २१ वर्ष की आयु में शिक्षा समाप्त कर ये ओरेंज के राजकुमार मोरिस की सेना में भर्ती हो गए। यहाँ पर प्राप्त अवकाश को ये गणित के अध्ययन में व्यतीत किया करते हैं। इन्होंने कई युद्धों में भी भाग लिया। सेवॉय के ड्यूक के साथ हुए युद्ध में प्रदर्शित वीरता के कारण इनका लेफ्टिनेंट जनरल की उपाधि प्रदान की गई, परंतु इन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया और पेरिस में तीन वर्ष तक शांतिपूर्वक दर्शनशास्त्र की साधना करते रहे। प्रकृति के भेदों की गणित के नियमों से तुलना करने पर इन्होंने आशा प्रकट की कि दोनों के रहस्यों का ज्ञान एक ही प्रकार से किया जा सकता है। इस भाँति इन्होंने तत्वज्ञान में 'कार्तेज़ियनवाद' का आविष्कार किया।

गणित को इनकी सर्वोत्तम देन है वैश्लेषिक ज्यामिति। १६३७ ई. में प्रकाशित इनके "दिस्कूर द ला मेतौद्' (Discours de la Methode) में ज्यामिति पर भी १०६ पृष्ठ का एक निबंध था। इन्होंने समीकरण सिद्धांत के कुछ नियमों का भी अविष्कार किया, जिनमें "चिन्हों का नियम' अत्यंत प्रसिद्ध है। ११ फ़रवरी १६५० को इनकी मृत्यु हो गई।

सन्दर्भ

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सन्दर्भ ग्रन्थ

  • सी. ऐडम एवं पी. टैनरि : अय्ब्र दे देकार्त, १३ खंड, पैरिस, १८९७-१९११।

बाहरी कड़ियाँ