टोडाभीम

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
साँचा:if empty
Todabhim
{{{type}}}
महेन्दीपुर बालाजी
महेन्दीपुर बालाजी
साँचा:location map
निर्देशांक: साँचा:coord
देशसाँचा:flag/core
प्रान्तराजस्थान
ज़िलाकरौली ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल२२,९७७
 • घनत्वसाँचा:infobox settlement/densdisp
भाषा
 • प्रचलितराजस्थानी, हिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड321611
दूरभाष कोड07461
वाहन पंजीकरणRJ34

साँचा:template other

टोडाभीम (Todabhim) भारत के राजस्थान राज्य के करौली ज़िले में स्थित एक नगर है।[१][२]

इतिहास

टोडाभीम कस्बा राजस्थान के पूर्व में करौली जिले के उत्तरी भाग में स्थित एक उपखण्ड मुख्यालय है। यह कस्बा जिला मुख्यालय करौली से 73 किलोमीटर कि दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 21 (जयपुर-आगरा) के दक्षिण दिशा में स्थित है तथा राज्य की राजधानी मुख्यालय जयपुर यहाँ से 110 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम दिशा में स्थित है। टोडाभीम के लिए रेल मार्ग से आने जाने वालो के लिए हिंडौन सिटी रेल्वे स्टेशन ही निकटतम रेल्वे स्टेशन है। प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मेहंदीपुर बालाजी 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मेहंदीपुर में बालाजी के भक्त देश के विभिन्न कोनो से दर्शनार्थ आते है। टोडाभीम कस्बा आस-पास के झेत्र से भली भांति सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। आदिवासी मीणा समाज यहां बहुतायत मे पाया जाता है। टोडाभीम शहर के पास जिन्सी का पुरा गांव में प्रसिद्ध बीजबड़ बालाजी का मंदिर स्थित है।

भोतिक स्वरुप एंव जलवायु

टोडाभीम कस्बा 26.55' उत्तरी अक्षांश तथा 76.49' पूर्वी देशांतर पर स्थित है। यह माध्य समुद्र तल से 67.06 मीटर (220 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। कस्बे की जलवायु उप उष्ण कटिबंधीय शुष्क है। ग्रीष्म ऋतु में यहाँ का अधिकतम तापमान लगभग 47 डिग्री सेल्सियस तथा सरद ऋतु में 20 डिग्री सेल्सियस रहता है। जबकि न्यूनतम तापमान क्रमश: 30 डिग्री एंव 5 डिग्री सेल्सियस रहता है। यहाँ की ओसत वार्षिक वर्षा 80.00 सेंटीमीटर है जिले में 92 प्रतिशत वर्षा जून से सितम्बर महीने में होती है।

पंचायत समिति टोडाभीम में भूजल स्थिति

टोडाभीम पंचायत समिति में वर्ष 1995 में भूमि में उपलब्ध पानी का प्रतिवर्ष 88 प्रतिशत ही उपयोग करते थे लेकिन अब 195 प्रतिशत दोहन कर रहे हैं अर्थात कुल वार्षिक पुनर्भरण की तुलना में 51 मिलियन घन मीटर भूजल अधिक निकाला जा रहा है। 1995 में औसत 16.73 मीटर गहराई पर पानी उपलब्ध था जो अब 25.29 मीटर तक हो गया है। टोडाभीम जिले के दक्षिण पश्चिम में तथा कुल क्षेत्रफल 529.50 वर्ग कि.मी. है। कुल भूजल क्षेत्र 452.21 वर्ग कि.मी. है। मुख्य रूप से दो ही एक्वीफर (भूजल क्षेत्र) है। कुल रेतीला क्षेत्र 452.21 वर्ग कि.मी. है। औसत वार्षिक वर्षा 618.33 मि.मी. है। भूजल स्तर 918 मीटर से 77.40 मीटर के मध्य है। भूजल भण्डारों का पुनर्भरण सिर्फ वर्षाजल से होता है। भूजल स्तर में गिरावट प्रतिवर्ष 0.73 मीटर है। डार्क श्रेणी में वगीकृत। भूजल दोहन 195 प्रतिशत है। वार्षिक भूजल पुनर्भरण 53 मिलियन घनमीटर है। जबकि प्रतिवर्ष सिंचाई, पीने एवं अन्य उपयोग हेतु 104 मिलियन घनमीटर भूजल जमीन में से निकाला जा रहा है। 51 मिलियन घनमीटर पानी प्रतिवर्ष जमा पूँजी में से निकाला जा रहा है। यदि इसी प्रकार भूजल निकाला जाता रहा तो 10 से 15 वर्षों में क्षेत्र के भूजल भण्डार खत्म हो जायेंगे।

टोडाभीम की अर्थव्यवस्था

टोडाभीम तहसील में 43 ग्राम पंचायत है। टोडाभीम तहसील के गांवों के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि और पशुपालन हैं। टोड़ाभीम के गांव खेड़ी मे प्रजापति समाज के द्वारा बाबूलाल प्रजापति &रामकिशन प्रजापति द्वारा मिट्टी के बर्तन बनाये जाते है,यहां मुख्य खरीफ की फसलों में बाजरा, लांटिल (मूंग) और तिल एंव रबी की फसलों में सरसों, गेहूं और ग्राम (चना) आदि शामिल हैं। टोडाभीम के अधिकांश घरो में गाय, भैंस, भेड़, बकरी देखने को मिलेंगी। डेयरी फार्मिंग टोडाभीम के गाँवो के लोगो के लिए एक बहुत ही फायेदेमंद व्यवसाय बन चूका है जिसमें राष्ट्रीय डेयरी जैसे अमुल और नेस्ले मुख्यत: शामिल हैं। टोडाभीम शहर मीणा समाज के पहनावो के लिए प्रसिद्ध है जो कि अब मुख्य व्यवसाय का रूप ले रहा है। यहां पर बुग्गे ( किसान गाडी ) बनाये जाते थे । यहाँ पर जौरवालो के 12 गाँव है जो कि मीना समाज की एक गोत्र(जौरवाल)है। इनमे एक गाँव अजीजपुर है जो कटी( ताश एक का खेल है) के लिए जाना जाता है।साँचा:ifsubst

टोडाभीम में प्रशासन

टोडाभीम, राजस्थान राज्य में एक विधानसभा क्षेत्र है। जहाँ वर्तमान में विधायक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) से श्री पृथ्वीराज मीणा हैं।साँचा:ifsubst यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय के लिए आरक्षित है। टोडाभीम विधानसभा क्षेत्र करौली-धौलपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में आता है। करौली-धौलपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 8 विधानसभा शामिल है :-

क्र.सं. संसदीय निर्वाचन क्षेत्र जिले का नाम विधानसभा
1 करौली-धौलपुर करौली हिन्ड़ौन
2 करौली-धौलपुर करौली करौली
3 करौली-धौलपुर करौली सपोटरा
4 करौली-धौलपुर करौली टोडाभीम
5 करौली-धौलपुर धौलपुर बाडी
6 करौली-धौलपुर धौलपुर बसेडी
7 करौली-धौलपुर धौलपुर धौलपुर
8 करौली-धौलपुर धौलपुर राजखेड़ा

करौली-धौलपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित-जाति (SC) समुदाय के लिए आरक्षित है। भारतीय जनता पार्टी के सदस्य श्री मनोज राजोरिया जी वर्तमान में करौली-धौलपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं।

मुख्य आकर्षण

मान्नौज गांव जो कि टोडाभीम के पास में है वहां की जलवायु अलग प्रकार की है जिस कारण इस क्षेत्र में हमेशा गरम पानी निकलता है जो फसलो को नुकसान पहुंचाता है तथा यहाँ के पानी को कई दिनों तक भरनें के वाद पिया जाता है

मेहंदीपुर बालाजी

मेहंदीपुर बालाजी यह भगवान हनुमान जी का एक मंदिर है, यह मंदिर भारत में राजस्थान के करौली जिले में स्थित है यह मंदिर भगवान हनुमान जी को समर्पित है जो कि न सिर्फ हिन्दू के ही देवता है बल्कि इनकी चमत्कारी शक्ति की वजह से सभी इनकी पूजा अर्चना करते है और इनमे आस्था रखते है बालाजी भगवान हनुमान जी का दूसरा नाम है भारत के कुछ भाग में बालाजी नाम से भी इनको बुलाया जाता है। बालाजी नाम श्री हनुमान जी के बालपन से प्रेरित है क्योकि बचपन में ही उन्होंने कई चमत्कार किये थे और भगवान के बचपन के रूप को यहाँ मान्यता दी जाती है। ये मंदिर बालाजी (जिनका अन्य नाम श्री हनुमान जी है) को समर्पित है। कई धर्मिक स्थल शहरों में स्थित होते है लेकिन उनके विपरीत ये मंदिर राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित है। ये मंदिर मुख्य तौर पर कर्मकांडों और बुरी आत्माओं के भूत भगाने के लिए प्रसिद्ध है जिसके कारण देश के कोने कोने से और राजस्थान के कई तीर्थ यात्री अपना इलाज कराने यहाँ आते है।साँचा:ifsubst मेहंदीपुर का पुराना गांव छोटी पहाड़ी के निकर स्थित है परन्तु वो पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाया है। भारत जैसे देश में हनुमानजी के लाखों मंदिर हैं, हर मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, परन्तु राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेंहदीपुर बालाजी की कुछ अलग खूबी है। हनुमान जी को दुष्ट आत्माओं से मुक्ति दिलाने की दिव्य आत्मा माना जाता है और उनके इसी मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में इसका प्रमाण मिलता है, जो प्रेतात्माओं से छुटकारा दिलाने वाल सबसे सबसे शक्तिशाली मंदिर है। इस मंदिर में कई लोगो को जंजीरों से बंधा जाता है और कइयों को उल्टा भी लटका दिया जाता है। इस मंदिर और इससे जुड़े चमत्कारों को सुनकर आप भी हैरान हो जायेंगे। मेहंदीपुर नामक स्थान राजस्थान के दौसा जिले के निकट दो पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है। यह मंदिर जयपुर-बांदीकुई- बस मार्ग पर जयपुर से लगभग 65 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। दो पहाड़ियों के मध्य की घाटी में स्थित होने के कारण इस स्थान को घाटा मेहंदीपुर भी कहा जाता हैं। गीताप्रेस गोरखपुर द्वार प्रकाशित हनुमान अंक के मुताबिक हनुमान जी का ये मंदिर लगभग 1 हजार वर्ष पुराना है। एक बार एक बहुत विशाल चट्टान में हनुमान जी की आकृति स्वयं ही उभर आई थी। जिसके बाद से ही इसे श्री हनुमान जी का स्वरूप माना जाने लगा है। इस मूर्ति के चरणों में एक छोटी सी कुण्डी है, जिसका जल कभी समाप्त नहीं होता।

पीड़ितों को जंजीरों में बांधा जाता है: ऐसी मान्यता है कि कई वर्षो पूर्व हनुमानजी और प्रेत राजा अरावली पर्वत पर प्रकट हुए थे। लोग इस मंदिर में बुरी आत्माओं और काले जादू से मुक्ति पाने के लिए आते है। इस मन्दिर को इन मुसीबतों से मुक्ति पाने का एकमात्र मार्ग माना जाता है। शनिवार और मंगलवार के दिन यहां आने वाले भक्तों की संख्या लाखों तक पहुंच जाती है। जो रोगी गंभीर अवस्था में होते है उन्हें जंजीरों में बांधकर मंदिर में लाया जाता है। दर्शन करने आये सामान्य लोग पीड़ितों को देख कर दांग रह जाते है। पीड़ित लोग मंदिर के समक्ष चिल्ला-चिल्ला के अपने अंदर बैठी बुरी आत्माओं के बारे में बताते हैं, जिनको वे जानते तक नहीं और न ही कभी उनसे मिले होते है। भूत प्रेत ऊपरी बाधाओं आदि से छुटकारा पाने के लिए यहाँ कई लोग आते है। यहाँ पर आये पीड़ित बिना किसी दवा और तंत्र मंत्र के यहाँ से स्वस्थ होकर लौटते हैं।

मूर्ति को नष्ट करने की की थी कोशिश: मुस्लिम शासनकाल के दौरान कुछ बादशाहों ने मंदिर में स्थित मूर्ति को नष्ट करने का प्रयास किया था। जितनी बार मुग़ल बादशाहो ने मूर्ति को नष्ट करने की कोशिश की उतनी बार वे असफ़ल रहे। वे जितना इसे खुदवाते थे मूर्ति की जड़ उतनी ही गहरी हो जाती थी। अंत में उन्होंने अपना यह कुप्रयास छोड़ दिया। सन 1910 में ब्रिटिश शासन के दौरान बालाजी ने अपना सैकड़ों वर्ष पुराना चोला स्वयं ही त्याग दिया था। भक्तजन इस चोले को गंगा में प्रवाहित करने के लिए सबसे समीप मंडावर रेलवे स्टेशन पहुंचे। ब्रिटिश स्टेशन मास्टर ने चोले को निःशुल्क ले जाने से साफ़ इंकार कर दिया, लेकिन हनुमान जी के चमत्कारी चोला का vajan कभी मन भर ज्यादा हो जाता और कभी दो मन कम हो जाता। इस काम और ज्यादा के चलते अंततः स्टेशन मास्टर ने को चोले को बिना लगेज ही जाने दिया और उसने भी बालाजी के चमत्कार को नमस्कार किया। इसके बाद बालाजी को नया चोला चढ़ाया गया।

प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान के मंदिर: बालाजी महाराज के अलावा इस मंदिर में श्री प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल कप्तान ( भैरव) की भी मूर्तियां हैं। प्रेतराज सरकार को दंडाधिकारी का पद दिया गया हैं और भैरव जी को कोतवाल का पद दिया गया है। इस मंदिर में आने के पश्चात लोगो को मालूम चलता है कि भूत और प्रेत किस तरह से मनुष्य को परेशान करते हैं। दुखी व्यक्ति मंदिर में आकर तीनों देवगणों को प्रसाद चढ़ाते है। बालाजी को लड्डू का प्रसाद, प्रेतराज सरकार को चावल का और कोतवाल कप्तान (भैरव) को उड़द का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इन सभी प्रसादों में से दो लड्डू रोगी को खिलाए जाते हैं। शेष प्रसाद पशु पक्षियों को डाल दिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पशु पक्षियों के रूप में देवताओं के दूत ही प्रसाद ग्रहण करते हैं। कुछ लोग बालाजी का नाम सुनते ही चौंक पड़ते हैं। उनका मानना है कि भूतप्रेतादि बाधाओं से ग्रस्त व्यक्तिओ को ही वहां जाना चाहिए। परन्तु ये मान्यता सही नहीं है। कोई भी व्यक्ति जो बालाजी के प्रति भक्तिभाव रखता है , इन तीनों देवों की आराधना कर सकता है। बालाजी के कई भक्त देश-विदेश से बालाजी के दरबार में मात्र प्रसाद चढ़ाने नियमित रूप से आते हैं।

श्री प्रेतराज सरकार बालाजी: मंदिर में स्थित प्रेतराज सरकार को दण्डाधिकारी पद दिया गया हैं। प्रेतराज सरकार पर भी चोला चढ़ाया जाता है। प्रेतराज सरकार को दुष्ट आत्माओं को दण्ड देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। भक्त बड़ी ही श्रद्धा से उनकी आरती , चालीसा , कीर्तन , भजन आदि करते हैं। प्रेतराज सरकार की आराधना बालाजी के सहायक देवता के रूप में की जाती है। प्रेतराज सरकार को पके चावल का भोग भी लगाया जाता है। प्रायः भक्तजन तीनों देवताओं को बूंदी के लडडूओ का ही भोग लगाते हैं।

कोतवाल कप्तान श्री भैरव देव: कोतवाल कप्तान श्री भैरव देव भगवान शिव के अवतार हैं और भगवन शिव की ही तरह भक्तों की थोड़ी सी पूजा-अर्चना से ही प्रसन्न हो जाते हैं। भैरव महाराज चतुर्भुजी हैं। उनके हाथों में त्रिशूल , डमरू , खप्पर तथा प्रजापति ब्रह्मा का पांचवां कटा शीश रहता है। वे कमर में लाल वस्त्र धारण करते हैं। वे भस्म लपेटते हैं। उनकी मूर्तियों पर चमेली के सुगंध युक्त तिल के तेल में सिन्दूर घोलकर चोला चढ़ाया जाता है।

विशेषताएं: मेहंदीपुर में बना बालाजी का ये मंदिर भारत के उत्तरी क्षेत्र में बहुत प्रशिद्ध है। इस मंदिर के पहले महंत श्री गणेशपुरीजी महाराज थे और वर्तमान के महंत श्री किशोरपुरीजी है जो पूर्णतः शाकाहारी है और पवित्र ग्रंथो को पढ़ने में रूचि रखते है। बालाजी मंदिर के सामने बना श्री सियाराम मंदिर बेहद खूबसूरत है और मंदिर में स्थापित सियाराम जी की मुर्तिया देखने योग्य है। जो व्यक्ति बुरी आत्माओं से पीड़ित होता है उसे निम्न तरीकों द्वारा उस संकट से मुक्ति दिलाई जाती है जैसे अर्जी, सवामणी, दरखास्त, बालाजी महाराज के भोग के बूंदी के लडडू, भैरव बाबा (कोतवाल कप्तान) के चावल और उड़द दाल। शनिवार और मंगलवार मंदिर का सबसे व्यस्त दिन होता है क्योकि ये दोनों ही दिन हनुमान जी के है। बालाजी मंदिर के निकट कई मंदिर है जिनमे अंजनी माता का मंदिर, तीन पहाड़ पर स्थित काली माता का मंदिर, पंचमुखी हनुमान जी, सात पहाड़ पर स्थित गणेश जी का मंदिर, समाधी वाले बाबा (मंदिर के पहले महंत) शामिल है। मंदिर से आये प्रसाद को पास के विद्यालयों, कॉलेजों और होटलों व् अन्य सार्वजानिक स्थानों में निःशुल्क वितरित किया जाता है।

रिसर्च: बालाजी का ये मंदिर कई वर्षो से बुरी आत्माओं और काले जादू व् मंत्रो से छुटकारा दिलाने के लिए देश भर में प्रख्यात है। 2013 के दौरान, वैज्ञानिकों, विद्वानों और जर्मनी, नीदरलैंड, AIIMS नई दिल्ली और दिल्ली विश्विद्यालय के मनोचिकित्सकों की अंतर्राष्ट्रीय टीम ने मंदिर में होने वाले उपचार और अनुष्ठानों के सभी पहलुओं का अध्ययन किया था।

स्थान: यह मंदिर भारत के राजस्थान के करौली जिले के टोडाभीम में स्थित है। ये गांव करौली और दौसा जिले के बॉर्डर पर पड़ता है। इस मंदिर को भी दोनों बॉर्डर के साथ आधा आधा बांटा गया है। इस मंदिर के सामने स्थित राम मंदिर को भी इसी तरह विभाजित किया गया है। ये मंदिर जयपुर से 105 km, हिंडौन शहर से 50 km, और दौसा से 45 km की दुरी पर स्थित है। ये मंदिर बांदीकुई रेलवे स्टेशन के नजदीक है। जयपुर आगरा राष्ट्रिय राजमार्ग – 11 के बालाजी मोड़ से ये मंदिर मात्र 3km की दुरी पर है

करीरी दंगल

करीरी टोडाभीम तहसील मुख्यालय में एक फेमस गाव है जों करोली जिले के अन्तर्गत आता है करीरी गाव में एक बहुत ही चमत्कारिक एवं प्रसिद्ध भैरव बाबा का मंदिर है जिसके उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष भद्र पद शुल्क सप्तमी को एक बहुत बड़े भैरव बाबा के मेले का आयोजन होता है इस मेले में राजस्थान, उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश आदि राज्यों से भक्त अपनी मनोकामनाए पूरी होने की उम्मीद लेकर आते है इस मेले में सभी समाज के लोग बढचढ कर हिस्सा लेते है इस मेले का सबसे बड़ा भाग इसका कुश्ती दंगल है जिसमे पुरे देश से नामी पहलवान शिकरत/हिस्सा लेने आते है।

पदमपुरा किला

पद्मपुरा किला रणनीतिक रूप से राज्य की सीमाओं की रक्षा के लिए स्थित था। युद्ध की कला और कला के लिए प्यार सचमुच पदमपुरा किले में राजपूत वास्तुकला में देखा जा सकता है। यह किला प्रमुख रूप से दो भागों में मर्दाना और जनना मंडल में विभाजित है उत्तरार्द्ध किले का निर्माण प्रावधान ऐसा था कि सेना स्वयं को महीनों तक बनाए रख सकती थी। किले में सात मंदिर और तीन जल जलाशय हैं, जिसमें कुछ गुप्त मार्ग शामिल हैं जिनका इस्तेमाल आपातकाल के दौरान किया गया था। हजारी बुर्ज, पीर बुर्ज और माताजी बुर्ज की प्रमुखता किलोमीटर से पहचाने जा सकते हैं। इस किले का स्वामित्व वर्तमान टिकाई परिवार के साथ है।

घासीराम बाबा मेला

श्री घासीराम बाबा का मेला रामनवमी के शुभ अवसर लगाया जाता है और यहाँ कदम के पेड़ अधिक मात्रा में पाए जाते है जिसके लिए इसे कदमखुंडी के नाम से भी जाना जाता है। श्री घासीराम बाबा का स्थान 5 गाँवों खिरखिडी, मन्डेरू, जोधपुर, मातासूला एंव पाडली के बीच कदम्बखुण्डी ( टोडाभीम ) पर तीन दिवसीय विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें पहले दिन श्री घासीराम बाबा के मन्दिर पर कदम्ब के उपर ध्वजा लहरायी जाती है एंव उस समय ढोल नगाडे बजाये जाते है और पर्त्येक व्यक्ति खुश दिखाई देता है और एक महत्वपूणॆ बात यह है की यहाँ ठाकुर जी का मन्दिर एक बाबा की टोपी है। जिसमे स्वत ही बाल उगते है और इसी दिन वो बाल काटे जाते है एंव दूसरे दिन यहाँ पर विशाल कुश्ती दंगल आयोजित किया जाता है। जिसमें सभी क्षेत्र के पहलवानो के साथ साथ महुवा, कठूमर, पथैना, भरतपुर, नोठा हरियाणा, पंजाब, खेडली, धौलपुर एंव दूर दूर के पहलवान आपस में जोर आजमाते है एंव आखिरी पहलवान को पाँचो गाँवो के पंच पटेलो द्वारा हजारो रूपयो की राशी दी जाती है। दंगल को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है। तीसरे दिन घासीराम बाबा के मन्दिर की परिकृमा लगाईं जाती है।

किंजर का दंगल

गांव भंडारी में पहाड़ की तलहटी में स्थित प्राचीन तपो भूमि किंजरधाम पर जन्माष्ठमी के पावन पर्व पर वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है। पहाड़ की तलहटी पर स्थित किंजरधाम पर श्री ठाकुर जी महाराज सहित विभिन्न देवी देवताओं की प्राचीन मूर्तिया प्रतिष्ठित हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार इस तपोस्थली पर प्राचीनकाल में ऋषि-मुनियों ने तपस्याएं की है। आस्था के बिल्कुल पास ही बनी पवित्र गुफा जिसमें लगभग पांच सौ मीटर प्रवेश के बाद पानी होने का अहसास तो होता है लेकिन खुली आंखों से कुछ भी दिखाई नही देता। श्रद्धालुओं के द्वारा गुफा के अंदर इस पानी को हाथों में लेकर चरणामृत लेने के साथ आंखों पर लगाने के बाद ही इस प्राचीन पवित्र गुफा की स्थिति देखी जा सकती है। किंजरधाम पर दर्शनों को पहुंचने वाले भक्त इस गुफा के पानी को लेकर अपने घरों छिडकते एंव चर्म रोग के लिए पवित्र गुफा का पानी अचूक औषधि माना जाता है। इस अवसर पर पंचायत प्रशासन द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों प्रतियोगी भाग लेते है। दोपहर बाद विशाल कुश्ती दंगल के आयोजन में विभिन्न प्रदेशों के नामीगिरामी पहलवानों ने अपने दांव-पेच आजमाते है। प्रतियोगिताओ में भाग लेने वाले सफल प्रतियोगियों को सरपंच सहित ग्रामीण पंच-पटेलों के द्वारा पुरस्कार देकर उनका उत्साहवर्धन किया जाता है।

आवागमन

हवाई मार्ग

नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर विमानक्षेत्र यहां से 110 किलोमीटर दूर है। आगरा विमानपत्तन हवाई अड्डा टोडाभीम से 140 किलोमीटर दूर स्थित है

रेल मार्ग

नजदीकी रेल्वे स्टेशन हिन्डौन सिटी रेलवे स्टेशन, दिल्‍ली और मुंबई से गोल्‍डन टैंपल मेल और पश्चिम एक्‍सप्रैस से जुड़ा हुआ है। बांदीकुई जंक्शन रेल्वे स्टेशन टोडाभीम से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

सड़क मार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 23 (जयपुर-आगरा) टोडाभीम से 12 किलोमीटर की दूरी पर है।

खरीदारी

टोडाभीम में मावे की गुंजीया, आम का आचार बहुत मशहूर है। इन्‍हें खरीदने के लिए टोडाभीम चोराहा के पास के बाजार में जा सकते हैं। इस बाजार में कोई बड़ा सामान मिलना मुश्किल है लेकिन स्‍थानीय लोगों द्वारा बनाए जाने वाली लाख की चूडि़यां खरीदी जा सकती हैं। टोडाभीम से 8 किलो मीटर दुर बसा खेडी पंचायत जो कि मिट्टी बर्तनों के लिए प्रसिद्ध है। खेड़ी गांव मे एक साद बाबा का मंदिर है जिसका हर बर्ष मेला लगता है.तथा भारत के राजस्थान राज्य के करौली जिले के टोडाभीम कस्बे के मेरेड़ा गांव में भी एक प्रसिद्ध हनुमान जी का मंदिर है यहां पर भी लोग इस मंदिर का दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं यह मंदिर बहुत ही अच्छा है तथा मेर्रा गांव की जलवायु अच्छी है यह मंदिर करीरी मार्ग पर पड़ता तथा मेर्रा गांव में पहाड़ी के ऊपर कंकाली माता का मंदिर प्रसिद्ध है इस मंदिर पर जाने के लिए बानो का भी रास्ता बनाया गया है वैसे तो इस मंदिर जाने के लिए ग्रामीण लोग पैदल रास्ते का ही उपयोग करते हैं लेकिन अगर हम बाहन से जाना चाहते हैं तो वहान से भी जा सकते हैं।

महत्वपूर्ण दूरभाष नंबर

क्र.सं. पद दूरभाष name
1 उप जिला कलेक्टर टोडाभीम 9414752677
2 विकास अधिकारी टोडाभीम 9887770996
3 ब्लाक सांख्यिकी अधिकारी टोडाभीम 9414819873
4 तहसीलदार टोडाभीम 9928395505
5 पी.एच.ई.डी टोडाभीम 07461-230011
6 जे.वी.वी.एन.एल टोडाभीम 9413390653
7 पी.डव्लू.डी टोडाभीम 9413035831
8 सी.डी.पी.ओ. टोडाभीम 9887863619
9 बी.ई.ई.ओ टोडाभीम 9462061117
10 पशु चिकित्सा टोडाभीम 9414473709
11 सहायक कृषि अधिकारी टोडाभीम 9468965659
12 दूरसंचार विभाग टोडाभीम 07461-230525
13 समाज कल्याण विभाग टोडाभीम 9694776981
14 राजकीय महाविद्यालय टोडाभीम 9414401095
15 थानाधिकारी टोडाभीम 07461-230058
16 उपकोष अधिकारी टोडाभीम 9414257539
17 ब्लाक मुख्य चिकत्सा अधिकारी टोडाभीम 9116140417
18 आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी टोडाभीम 9887132847
19 अस्पताल 108
20 फायर ब्रिगेड 101
21 Admeff Construction Corporation 7877779807

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
  2. "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990