टूटी खिड़कियों का सिद्धांत

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इस सिद्धांत के अनुसार टूटी खिड़कियों जैसे छोटी लगने वाली अव्यवस्था से असामाजिक तत्वों को बड़े जुर्म करने का मनोबल मिलता है
सन् १९७३ में न्यू यॉर्क में रेल का एक डब्बा - जगह-जगह पर गंदगी और दीवारों पर भद्दे लेख हैं

टूटी खिड़कियों का सिद्धांत (अंग्रेज़ी: Broken Windows Theory) अपराध-शास्त्र की एक विचारधारा है जिसके अनुसार शहरों में अव्यवस्था दिखने से असामाजिक तत्वों और अपराधियों को ग़लत काम करने के लिए मनोबल मिलता है और जुर्म बढ़ता है। यह सिद्धांत कहता है कि अगर शहर को सुव्यवस्थित और साफ़-सुथरा रखा जाए तो जुर्म भी कम होने लगते हैं।

लेख और किताब

टूटी खिड़की सिद्धांत का बखान सबसे पहले मार्च १९८२ में 'अटलांटिक मासिका' (The Atlantic Monthly, द अटलांटिक मंथली) नामक अमेरिकी पत्रिका में समाज-वैज्ञानिक जेम्ज़ विल्सन (James Wilson) और जॉर्ज कॅलिंग (George Kelling) ने एक लेख में किया।[१] उन्होंने इसका उदाहरण देते हुए कहा -

एक ऐसी ईमारत की कल्पना कीजिये जिसकी कुछ खिड़कियाँ टूटी हुई हैं। अगर यह ठीक नहीं की जाती हैं तो ख़राब हरकत करने वालों को और भी खिड़कियाँ तोड़ने का मन होगा। इसके बाद हो सकता है कि वे ईमारत में ही घुस आएँ और, अगर उसमें कोई नहीं रहता, तो उसमें ख़ुद ही डेरा डाल लें या अन्दर आग-वग़ैराह​ लगाएँ। या एक फ़ुटपाथ की सोचिये। उसपर कुछ कूड़ा जमा होता है। जल्दी ही और भी कूड़ा जमा हो जाता है। आख़िरकर, लोग यहाँ पर कूड़े के ढेर या पुराना खाना फेंकने लगेंगे या गाड़ियों में तोड़-ताड़ करने लगेंगे।

इस सिद्धांत की बुनियादी दलील यह है कि असामाजिक व्यवहार तब ही रोक देना चाहिए जब वह छोटे-मोटे रूप में दिखे। अगर टूटी खिड़कियाँ फ़ौरन ठीक कर दी जाएँ तो असामाजिक नियत रखने वालों को संकेत मिलता है कि इस समाज में दुषव्यवहार और कुव्यवस्था बर्दाश्त नहीं किया जाता इसलिए उन्हें अपनी हदों में रहना चाहिए। अगर गलियाँ रोज़ साफ़ की जाएँ तो उनपर लोग कूड़ा भी कम डालते हैं।

न्यू यॉर्क का अनुभव

१९७० और १९८० के दशकों में न्यू यॉर्क में बहुत हिंसात्मक जुर्म होते थे। लोगों में ख़ौफ़ का माहौल था। रेल यातायात इस शहर के रोज़मर्रा जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और रेलों पर भी अक्सर ग़ुंडागर्दी के हादसे होते थे। सन् १९८५ में जॉर्ज कॅलिंग को न्यू यॉर्क के नगर यातायात प्राधिकरण ने एक सलाहकार नियुक्त करा। उस समय इस शहर के रेलवे स्टेशनों की दीवारों पर और रेल के डब्बों के अन्दर असामाजिक लोगों ने तरह-तरह की चीज़ें लिखी हुई थी और अक्सर अपने गिरोहों से सम्बंधित नारे या चित्र बनाए होते थे। बहुत लोग बेजिझाक रेल स्टेशनों पर, या डब्बों के अन्दर, पेशाब तक कर दिया करते थे। १९८४ से १९९० तक इन सभी लिखाइयों को जोर लगाकर साफ़ किया गया।

१९९० में यह ऐलान किया गया कि रेल पर किसी को भी बिना-टिकट नहीं जाने दिया जाएगा, हालांकि तब लोग अक्सर बिना टिकट दिए रेल पर चढ़ जाया करते थे। उस समय शहर की पुलिस क़त्ल और चोरियों से निबटने में व्यस्त थी। बहुत लोगों ने इस ऐलान की निंदा करी और कहा कि चोरी-क़त्लों के वातावरण में पुलिस को यह एक और कम ज़रूरी काम देना मूर्खता है। फिर भी शहर की सरकार डट गई और उसने बेटिकट यात्रियों पर सख़्त​ जुरमाना करना शुरू कर दिया। २००१ में पाया गया कि न्यू यॉर्क में न सिर्फ़ रेल-सम्बन्धी अपराध बहुत कम हुए बल्कि क़त्ल और चोरी के हादसात का दर भी बहुत कम होने लगा था। अगले दस सालों तक शहर में जुर्म लगातार कम होता गया।[२]

शौचालयों का अनुभव

सार्वजनिक शौचालय अक्सर गंदे होते हैं। लेकिन कुछ समाज-शास्त्रियों ने अध्ययन करने पर पाया है कि जो शौचालय पहले से साफ़ हों उन्हें प्रयोग करने वाले भी कम गन्दा करते हैं। यानि कि जिन शौचालयों को ज़रा सा भी गन्दा होने पर फ़ौरन साफ़ कर दिया जाए उन्हें कम बार साफ़ करने की ज़रुरत होती है क्योंकि प्रयोग करने वालों को एक संकेत जाता है कि उनमें गंदगी करना स्वीकार्य नहीं है।[३]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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  1. Broken Windows: The police and neighborhood safety स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, James Q. Wilson and George L. Kelling, Accessed 2007-09-03
  2. Corman, Hope. Carrots, Sticks and Broken Windows स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। (2002) Requires washington.edu account
  3. Have You 101?: 101 Delectable, Devotional Nuggets for the Pilgrim's Soul, L. Roo McKenzie, pp. 288, iUniverse, 2011, ISBN 978-1-4502-3391-0, ... May I suggest that you adapt the broken window theory to your present circumstances ... Visit a five-star hotel and notice that the bathrooms are pristine and welcoming. They stay clean not just because custodians spend extra time cleaning them, but also because customers find them clean and tend to keep them and leave them clean ... visit the restroom at a gas station in your local township, and you will notice that it is almost always messy and repulsive. People add mess to mess every time, without fail ...