टेथीज सागर

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साँचा:asbox टेथीज सागर गोंडवाना लैण्ड और लौरेशिया के मध्य स्थित एक सागर के रूप में कल्पित किया जाता है जो एक छिछला और संकरा सागर था और इसी में जमा अवसादों के प्लेट विवर्तनिकी के परिणामस्वरूप अफ्रीकी और भारतीय प्लेटों के यूरेशियन प्लेट से टकराने के कारण हिमालय और आल्प्स जैसे पहाड़ों की रचना हुई।

टेथिस सागर जो करोड़ों वर्ष पूर्व पृथ्वी पर विद्यमान था। जुरेसिक कल्प का समुद्र वर्तमान भूमध्य सागर के विस्तार की तुलना में बहुत विशाल था और यथार्थ रूप से सारी पृथ्वी को घेरे था। इस सागर को टेथिस सागर कहते हैं। दक्षिणी समुद्र ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के दक्षिण से होता हुआ दक्षिणी अमरीका के दक्षिणी प्रदेश तक फैला हुआ था। विद्वानों का अनुमान है कि भारत के उत्तरी प्रदेश से लेकर उत्तरी बर्मा, हिन्दचीन एवं फिलिपीन से होता हुआ टेथिस सागर का ही एक भाग दक्षिणी सागर बनाता था।

आज जहां हिमालय है, पांच करोड़ साल पहले वहां टेथिस सागर हुआ करता था। 'लफथल' वह इलाका है, जो उस वक्त टेथिस सागर की तलहटी में था। टेथिस से हिमालय बनने की प्रक्रिया में तब प्रागैतिहासिक काल की नदियों द्वारा तात्कालिक महाद्वीपों से लाई गई मिट्टी की तहों में समुद्री जीव दब गए। पृथ्वी की गर्मी और दबाव से वे धूल की परतें चट्टानों में बदल गईं। पृथ्वी के लगातार पड़ते बलों ने इन चट्टानों को पहाड़ की चोटी तक पहुंचा दिया। यही कारण है कि इन चट्टानों में दबे समुद्री जीवों के जीवाश्म लफथल की चोटी पर शान से विराजमान हैं।[1] 13 से 17 करोड़ साल पुराने शिफेलोपोडा प्रजाति के समुद्री जीवों को पत्थर में निहारना भी कम रोमांचकारी नहीं है। शिफेलोपोडा प्रजाति के जीव बताते हैं कि 13 करोड़ वर्ष पूर्व टेथिस सागर की गहराई 1000 मीटर रही होगी। विशेषज्ञों का मत है कि जहां अभी हिमालय है, वहां पहले टेथिस सागर था। क़रीब 50 मिलियन वर्ष पहले इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट और यूरोशियन प्लेट में टक्कर के कारण टेथिस सागर की तलहट्टी में भू-गर्भीय हलचल हुई और हिमालय का उत्थान संभव हो सका। माना जा रहा है कि महाद्वीपीय विस्थापन की प्रक्रिया अब भी जारी है और इस कारण हिमालय का निर्माण भी हो रहा है। प्लेटों के खिसकने के कारण ही म्यांमार में अराकान योमा, अंडमान निकोबार द्वीप समूह और बंगाल की खाड़ी का निर्माण संभव हो सका है।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ