जैत्र सिंह

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जैत्र सिंह, 1213 ई. में मेवाड़ शासक बने। इन्होंने सबसे पहले पूूर्वजों (किर्तिपाल चौहान द्वारा सामंत सिंह को हराया गया था) का अपमाान का बदला लेने के लिए सोनगरा चौहानों शासक उदयसिंह ( सोनगरा ) पर आक्रमण किया किर्तिपाल चौहान द्वारा सामंत सिंह पर किया गया था।

दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने इनके शासनकाल में मेवाड़ राज्य पर आक्रमण किया, क्योंकि इल्तुतमिश मेवाड़ को अपने अधिकार में लाना चाहता था, नागदा को लेकर इल्तुतमिश व जैत्र सिंह के बीच 1227 ई. में भूताला का युद्ध लड़ा गया, हालाँकि इस युद्ध में जैत्र सिंह को विजय श्री प्राप्त हुई, लेकिन इस युद्ध में नागदा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया इस कारण जैत्र सिंह ने नागदा व आहड़ के स्थान पर चित्तौड़गढ़ को अपनी नवीन राजधानी के रूप में स्थापित किया, इनके शासनकाल में मंगोल आक्रमणकारी चंगेज खाँ का आक्रमण हुआ। जैत्र सिंह के अन्तिम शासनकाल में 1248 ई. में दिल्ली के सुल्तान नसरूद्दीन महमूद का आक्रमण हुआ। इस कारण जैत्र सिंह मेेेवाड़ के लिए विशेष योगदान न देे सका, क्योंकि इसे अपने शासनकाल में आक्रमणों से सामना करना पड़ा, फिर भी जैत्र सिंह ने आहड़ को चालुक्योंं की शक्ति से आजाद करानेे में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

सन्दर्भ

साँचा:reflist [[श्रेणी:राजस्थान मेवाड़ राजा श्री जैत्रसिंह

जैत्रसिंह के पिता का नाम पदम सिंह था । जैत्रसिंह को मेवाड़ की प्रतिष्ठा का पुनर्स्थापक भी कहा गया । इन्होंने भूतला का युद्ध 1227 ई० में इल्तुतमिश के साथ किया जिसमें इन्हे पूर्ण विजय प्राप्त हुई । ये बहुत ही साहसी और पराक्रमी थे । युद्ध की जानकारी हम्मीर मदमर्दन ग्रंथ से मिलती है जो की जय सिंह सुरी द्वारा रचित है । इस युद्ध में नागदा पूरी तरह नष्ट हो गई । जैत्र सिंह ने चित्तौड़ को अपनी राजधानी बनाया । 1248 में इल्तुतमिश के उत्तराधिकारी नसीकदीन मेहमूद ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया और बहुत बुरी तरह से हारा । 1223 में चंगेज खान का जब भारत पर आक्रमण हुआ । उस समय मेवाड़ में राजा जैत्र सिंह का शासन था । इतिहासकार दशरथ शर्मा ने जैत्र सिंह के शासन काल को मध्यकालीन मेवाड़ का स्वर्ण युग कहा है

इनका शासन काल 1213 से 1253 तक रहा । इनके बाद तेज सिंह ( जैत्र सिंह का पुत्र) मेवाड़ का शासक बना (1253 से 1273) ।