जे० ऍन० कौशल

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जे.एन.कौशल (जितेन्द्र नाथ कौशल)-(४ फरवरी,१९३६ - १९ अप्रैल २००४[१]) सुप्रसिद्ध भारतीय रंगकर्मी, लेखक और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा रंगमंडल के (रिपर्टरी कंपनी) के पूर्व प्रमुख थे।[२] उन्होंने कई नाटकों का निर्देशन और हिन्दी अनुवाद भी किया। वे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में अध्ययन फिर अध्यापन और कमला देवी चट्टोपाध्याय के साथ भारतीय नाट्य संघ से जुड़े थे। उनके निर्देशन में लोकप्रिय होने वाले प्रमुख नाटक थे अमीर खुसरो और दर्द आएगा दबे पाँव

उन्होंने हेनरिक इब्सन के नाटक एन एनेमी ऑफ़ द पीपुल (An Enemy of the People) का हिन्दी रूपांतर जनशत्रु के नाम से तथा ऊगो बेत्ती के नाटक द क्वीन ऐण्ड द रेबेल्ज़ का बेगम और बागी नाम से किया। इसके अतिरिक्त एक सेल्समेन की मौत[३], क्या करेगा काजी और जीन पॉल सार्त्र के नाटक मेन विदाउट शैडोज़ का हिन्दी रूपांतर मौत के साये में उनकी लोकप्रिय रूपांतरित कृतियाँ थी। किरण भटनागर द्वारा संपादित उनके संस्मरणों का संग्रह दर्द आया था दबे पाँव[४] में जे. एन. कौशल के २८ लेखों और रंग-प्रसंगों के संस्मरणों का संचयन है। उनके माध्यम से भारतीय विशेषकर हिन्दी रंगमंच का चालीस वर्ष का इतिहास एक भिन्न रूप में हमारे सामने प्रस्तुत हुआ है। राजकमल द्वारा प्रकाशित शीला भाटिया तथा मार्डर्न इंडियन प्लेज़-तीन भागों में (Modern Indian Plays, Vol. III) उनकी अन्य प्रसिद्ध कृतियाँ हैं।

उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार[५] दिल्ली नाट्य संघ के विश्व रंगमंच दिवस पुरस्कार, साहित्य कला परिषद, दिल्ली के परिषद सम्मान, पंजाबी कला संगम के कला श्री पुरस्कार और उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के बी एम शाह पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

सन्दर्भ

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