जीएनयू/लिनक्स नामकरण विवाद

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जीएनयू/लिनक्स नामकरण विवाद मुफ्त सॉफ्टवेयर समुदाय के सदस्यों और ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर समुदाय के बीच एक विवाद है। इस विवाद का मुख्य कारण है कि जीएनयू सॉफ्टवेयर और लिनक्स कर्नल के संयोजन पर स्थापित कंप्यूटर प्रचालन तन्त्र को "जीएनयू/लिनक्स" कहा जाए या केवल लिनक्स नाम से सन्दर्भित किया जाए।[१]

लिनक्स शब्द के समर्थकों का तर्क है कि यह शब्द आम तौर पर जनता और मीडिया द्वारा उपयोग में लिया जाता है।[२][३] वहीं जीएनयू/लिनक्स शब्द के प्रस्तावकों का कहना है कि यह नाम इसके सभी प्रकारों (वेरियंटस्) के लिए सही रहेगा जो जीएनयू प्रचालन तन्त्र व अन्य स्रोतों से मिलकर बने हैं।[४]

इतिहास

1983 में, फ्री सॉफ्टवेयर फाउंडेशन के संस्थापक रिचर्ड स्टॉलमैन ने एक पूर्ण यूनिक्स-जैसा प्रचालन तन्त्र की योजना बनाई, जिसे जीएनयू कहा गया जो कि पूरी तरह से मुफ्त सॉफ्टवेयर से बना है। उस वर्ष के सितंबर में स्टॉलमैन ने डॉ॰ डॉबस् जर्नल (एक मासिक पत्रिका थी) में एक घोषणा पत्र प्रकाशित किया जिसमें सार्वजनिक रूप से अपनी नई परियोजना का विवरण दिया और मुफ्त सॉफ्टवेयर के बारे में उनका दृष्टिकोण भी स्पष्ट किया।[५][६]

सन्दर्भ

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  2. साँचा:cite news
  3. साँचा:cite news
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  5. साँचा:cite book
  6. साँचा:cite web