जाना ना दिल से दूर
लुआ त्रुटि: expandTemplate: template "italic title" does not exist।साँचा:template other जाना ना दिल से दूर भारतीय हिन्दी धारावाहिक है, जिसका प्रसारण स्टार प्लस पर 9 मई 2016 से 30 जून 2017 तक हुआ।[१] इसका निर्माण बेओंड ड्रीम्स नामक कंपनी ने किया है। इसमें मुख्य किरदार में विक्रम सिंह और शिवानी सुर्वे हैं।[२]
कहानी
विविधा (शिवानी सर्वे) अजमेर में रहने वाली एक लड़की है, जिसके पिता कैलाश (विनीत कुमार) उसके लिए एक आदर्श हैं। कैलाश ने अपने जीवन में बहुत से उतार चढ़ाव देख चुके हैं, जिससे उन्हें लगने लगता है कि दो लोगों का रिश्ता तभी हो सकता है, जब वे दोनों के पास समान पैसा और रुतबा हो। अथर्व (विक्रम सिंह चौहान) एक दूध बेचने वाला लड़का है, जिसकी छवि कैलाश के सामने बिलकुल भी ठीक नहीं रहती लेकिन विविधा उससे प्यार करने लगती है और अधरवा को भी उससे प्यार हो जाता है।
इसके बाद ये दिखाया जाता है कि अथर्व के पिता, रमाकांत वशिष्ठ भारतीय सेना में मेजर थे, और अब उनके पास कुछ ही समय बचा हुआ है। वो मरने से पहले एक बार अपने बेटे को देखना चाहते हैं, और सुजाता से अथर्व और विविधा को एक करने का वादा भी करते हैं, और इस वादे को पूरा करने के लिए वे कैलाश से बात करते हैं, पर उनके कोई कदम उठाने से पहले ही उनकी मौत हो जाती है। कैलाश इस बात का फ़ायदा उठा कर रमाकांत के दूसरे परिवार के बेटे रविश से अपनी बेटी का शादी तय कर देता है। उसके घर में सभी इस बात को मान लेते हैं क्योंकि ये रमाकांत की आखिरी इच्छा थी। पर कैलाश के इस योजना के बारे में विविधा की माँ को पता चल जाता है और वो विविधा को ये सारी बात बता देती है और अथर्व से मिलने को कहती है। विविधा उससे मिल कर उसे सारी बात बता देती है, पर तभी कैलाश वहाँ आ जाता है और अथर्व की पिटाई करना शुरू कर देता है।
अथर्व की जान बचाने के लिए विविधा किसी से भी शादी के लिए तैयार हो जाती है। इसके बाद विविधा की शादी अथर्व के सौतेले भाई और आर्मी में काम करने वाले रविश से हो जाती है। शादी के बाद विविधा उससे बहुत अजीब तरह का व्यवहार करने लगती है। पर बाद में परिवार वालों के अच्छे व्यवहार को देख कर वो भी अच्छे से व्यवहार करना शुरू कर देती है। पर उसे घर में ऐसा लगने लगता है कि अथर्व उसके आसपास ही कहीं है, पर फिर उसे लगता है कि वो सब उसके मन का भ्रम है। बाद में पता चलता है कि अथर्व और रविश सौतेले भाई हैं। उसे ये भी पता चलता है कि अथर्व उसी घर में है और उसका दिमागी संतुलन ठीक नहीं है। वो अपने सारे रिश्ते कैलाश से तोड़ देती है और अथर्व को ठीक करने में लग जाती है। अथर्व की माँ, सुजाता को पता चलता है कि विविधा की शादी रविश से हो चुकी है तो वो घर को छोड़ कर जाने के लिए होती है, क्योंकि वो अर्थव के जीवन में वापस विविधा को नहीं लाने देना चाहती है। जब विविधा उन्हें जाने से रोकती है तो सुजाता उसे एक थप्पड़ मार के अपनी सच्चाई बताने के लिए बोलती है। वो रविश को अपने और अर्थव के बारे में सारी सच्चाई बता देती है और ये भी बता देती है कि वो अब भी अथर्व से प्यार करती है।
रविश को इस बात का पता चलने से उसका दिल टूट जाता है, पर वो फिर भी उन दोनों की मदद करता है और कहता है कि जब तक अथर्व ठीक न हो जाये, इस बात का पता किसी को नहीं चलना चाहिए। ये बात सुमन सुन लेती है और उन दोनों को घर से निकालने लगती है, तभी रविश उसे ये कह कर रोक देता है कि इस घर में जितना उन लोगों का अधिकार है, उतना ही इन दोनों का भी है। आगे चल कर गुड्डी, जो अजमेर से आई है, उसे इस बात का पता चल जाता है, वो परिवार वालों को ये बात बताने के लिए नीचे जाते रहती है और गिर कर मर जाती है।
सभी को ये हादसा ही लगते रहता है, लेकिन विविधा का परिवार इसे हत्या मानने लगता है। ये मामला सुलझा भी नहीं होता है कि रविश की दुश्मन, ज़ीनत घर में आ जाती है, वो अपने पति के गिरफ्तारी का बदला लेने आती है। वो उसके परिवार वालों पर हमला कर देती है। हालांकि रविश अपने परिवार वालों को इस हमले से बचा तो लेता है, लेकिन विविधा और अर्थव को चोट लग जाती है। इसी के बाद परिवार वालों को अर्थव और विविधा के रिश्ते के बारे में पता चलता है और ये बात जान कर दादाजी बहुत क्रोधित हो जाते हैं और अर्थव को मारने की कोशिश करते हैं। वो अर्थव को एक गहरे तालाब में डाल देते हैं। जब इस बात का पता रविश को चलता है तो वो अपने दादाजी को गिरफ्तार करवा देता है। बचाने वाला दल वहाँ अर्थव को ढूँढने की कोशिश करता है, पर न तो वो और न ही उसकी लाश दिखती है। जिससे सभी को लगने लगता है कि अर्थव की मौत हो चुकी है। विविधा ये जान कर अपने आपको विधवा मानने लगती है और रविश को तलाक देने को कहती है। वहीं दिखाया जाता है कि अथर्व जीवित है और उसकी याददाश्त भी आ चुकी है। अथर्व और विविधा वापस एक दूसरे से मिल जाते हैं। उनकी शादी कराने के लिए रविश उसे तलाक दे देता है। इसके बाद दिखाया जाता है कि शादी के दिन विविधा इंतजार में रहती है और अथर्व का कोई अता-पता भी नहीं रहता है।
इसके बाद विविधा वापस रविश को शादी के लिए कहती है। बाद में दिखाया जाता है कि विविधा अपने और अथर्व के होने वाले बच्चे को समाज की कड़वी बातें न सुनने को मिले, क्योंकि विविधा कानूनी रुप से उस समय रविश की पत्नी थी, जब वो अथर्व के बच्चे की माँ बनी थी।
चार साल बाद
विविधा, रविश, सुजाता और अन्य परिवार वाले खुशी से अपने घर में रह रहे हैं, वे लोग उस बच्चे का नाम माधव (कबीर अलताफ़ शाह) रखें है। वहीं अथर्व एक बहुत बड़ा व्यापारी बन चुका है, और अपने नए नाम राघव सुमन और सुमन के पुत्र के रूप में जीवन जी रहा है। उसकी शादी गुड्डी से हो चुकी है। बाद में दिखाया गया कि गुड्डी कभी मरी ही नहीं थी, और गुड्डी और सुमन मिल कर अथर्व को नशीली दवा दे रहे थे। कुछ समय बाद माधव बीमार पड़ जाता है, और डॉक्टर बोलता है कि यह बहुत अलग बीमारी से ग्रसित है, जिसके इलाज के लिए उन्हें उसके पिता का डीएनए सेंपल लेना पड़ेगा। विविधा को राघव के बारे में पता चलता है और वो उसके घर भेस बदल कर जाती है। कालिंदी, अथर्व को मारने की तैयारी कर लेती है, और जब सुमन उसके काम को अंजाम देने की कोशिश करते रहती है कि सुजाता उसे मार देती है और हत्या के आरोप में गिरफ्तार हो जाती है। रविश उसे बचा लेता है। विविधा सभी को गुड्डी के काले कारनामों के बारे में बता देती है।
जैसे ही अथर्व दोबारा विविधा के पास आता है, वैसे ही विविधा फिर रविश को छोड़ कर अथर्व के पास वापस जाने का निर्णय ले लेती है। इसके बाद रविश उसे दोबारा तलाक दे देता है। इस प्रकार विविधा अपनी तीसरी शादी अपने एक मात्र प्रेमी, अथर्व के साथ करती है। वे दोनों खुशी-खुशी हनीमून के लिए चले जाते हैं।
इसी दौरान रविश अपने गाड़ी से एक युवती को उड़ा देता है। वो उसे अपने घर ले आता है और चूंकि उसे कुछ याद नहीं आ रहा होता है, इस कारण घर वाले उसका नाम कंगना (सारा खान) रख देते हैं। रविश के मन में कंगना के लिए दया उमड़ आती है। पर उसे जल्द ही पता चल जाता है कि कालिंदी के गायब होने, भूमि और विपुल के हत्या में भी इसी का हाथ है। बाद में पता चलता है कि कंगना ही तारा है और वही माधव की असली माँ है। इन सब के पीछे कैलाश था, जो विविधा की बेटी खुशी के जगह तारा के बेटे माधव को रख दिया था। ये सारी सच्चाई सामने आने के बाद माधव को कंगना के साथ बांटने हेतु विविधा इंकार कर देती है। कंगना उसके बच्चे की कस्टडी हासिल करने के लिए रविश से शादी कर लेती है।
विविधा मंदिर जाती है, जहां उसे कैलाश बहुत बुरी स्थिति में पड़ा मिलता है। कैलाश को देख कर अथर्व को बहुत गुस्सा आ जाता है, पर विविधा को दोबारा खो देने के डर से वो अपने गुस्से को मन में दबा लेता है। रविश को एहसास होता है कि कैलाश बिलकुल ठीक है, पर विविधा उसकी बात को नहीं मानती है और कहती है कि वो और कंगना मिल कर उसके पिता को मारने की कोशिश कर रहे हैं। रविश और कंगना मिल कर कैलाश का असली चेहरा दिखाने की कोशिश करते हैं। ये साबित करने के दौरान कैलाश उसे चाकू मार देता है। विविधा बाद में रविश मृत देह देखती है, जिसे चाकू से मारा गया था, और चाकू किसी और के हाथ में नहीं, बल्कि उसकी बेटी, खुशी के हाथों में रहता है। वो खुशी को बचाने के लिए ये इल्जाम अपने ऊपर ले लेती है। अथर्व बोलता है कि वो इस बात पर यकीन ही नहीं कर सकता है कि रविश की हत्या विविधा ने की है। बाद में लोगों को पता चलता है कि रविश की हत्या कैलाश ने विविधा और अथर्व को अलग करने के लिए की थी। कैलाश, माधव को अपने साथ अजमेर ले जाता है और विविधा को एक अमीर आदमी से शादी करने बोलता है, नहीं तो वो माधव को मार देगा। माधव की जान बचाने के लिए वो विवेक से शादी करने को तैयार हो जाती है। अथर्व अजमेर में सही वक्त पर पहुँच कर माधव को कैलाश के गिरफ्त से छुड़ा लेता है। कैलाश और अथर्व के बीच लड़ाई होती है। बाद में कैलाश अपने बीते समय को याद करता है जो वो विविधा के साथ बिताया था। इसके बाद वो अपने आप को गोली मार देता है और वहीं उसकी मौत हो जाती है।
कहानी तीन महीने आगे बढ़ जाती है और दिखाया जाता है कि इसके बाद सुजाता और कश्यप का परिवार खुशी से जीवन जी रहे हैं।
कलाकार
- मुख्य
- शिवानी सुर्वे – विविधा कश्यप
- विक्रम सिंह चौहान – अथर्व सुजाता (विविधा का प्यार और पति)
- शशांक व्यास – कैप्टन रविश वशिष्ठ
- अन्य
- प्रशांत भट्ट – रमाकांत वशिष्ठ
- स्मिता बंसल – सुमन रमाकांत वशिष्ठ
- सारा खान – कंगना रविश वशिष्ठ / तारा
- कबीर शाह – माधव वशिष्ठ
- विनीत कुमार – कैलाश कश्यप
- सुरेन्द्र पाल – कलॉनल वशिष्ठ
- सना सय्यद – अदिति वशिष्ठ[३]
- मनमोहन तिवारी – विपुल
- आराधना उप्पल – कालिंदी वशिष्ठ
- भाविनी पुरोहित – भूमि
- शिल्पा तुलसकर – सुजाता
- अपर्णा घोषाल – उमा कैलाश कश्यप
- रुसलान सईद – अंकित कश्यप[४]
- निधि शाह – श्वेता "गुड्डी" कश्यप (प्लास्टिक सर्जरी से पहले)
- सुलक्षणा खत्री – इन्दुमति कश्यप
- फीरोज़ा खान – अरुणा / ज़ीनत
- पलक पंचाल – छुटकी / निशाली
- मकसूद अख्तर – अब्दुल चाचा
- प्रियंका खंडवाल – श्वेता "गुड्डी" कश्यप (प्लास्टिक सर्जरी के बाद)
- परवेज़ मगरे – चिंटू
निर्माण
यह कहानी अजमेर की है और इस धारावाहिक के निर्माता इसके एक दृश्य में इसके पुष्कर मेले की छवि भी दिखाना चाहते थे। इस दृश्य को वास्तविक दिखाने के लिए 100 से 150 पशुओं को लाया गया था और पूरे जगह में रंग-बिरंगी चीजों को रखा गया था।[५]
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
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- ↑ साँचा:cite news
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।साँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]