जहाँ काम आवै सुई
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जहाँ काम आवै सुई से अभिप्राय यह है कि हर काम को एक ही उपकरण या औजार से करने की गलती नहीं करनी चाहिए बल्कि काम के अनुसार सम्यक उपकरण चुनकर उससे ही काम करना चाहिए। रहीम का प्रसिद्ध दोहा है-
- रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजै डारि।
- जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि॥
- रहीम दास जी इस दोहे में यह कहना चाहते हैं कि किसी भी बड़े व्यक्तित्व ( जो उम्र में, ताकत में ,प्रभाव में, ज्ञान में या आर्थिक रुप से बड़ा है )के सामने उससे छोटे व्यक्तित्व को भूलना नहीं चाहिए या छोड़ना नहीं चाहिए। क्योंकि उसका भी जब उपयोग पड़ेगा तब बड़ा व्यक्ति काम नहीं आ पाएगा
इसे पाश्चात्य जगत में 'हथौड़े का नियम' या 'उपकरण का नियम' (ला ऑफ द इन्स्ट्रुमेन्ट) भी कहते हैं। अब्राहम मास्लो ने १९६६ में कहा था-
- "मैं समझता हूँ कि यदि आपके पास हथौड़े के अलावा और कोई औजार नहीं है तो आप हर वस्तु को कील समझने लगते हैं।
- (I suppose it is tempting, if the only tool you have is a hammer, to treat everything as if it were a nail.)
'हथौड़े का नियम' हर क्षेत्र में देखने को मिल जाता है- औषधि क्षेत्र मे, शिक्षा के क्षेत्र में, सॉफ्टवेयर के क्षेत्र, लोक प्रशासन के क्षेत्र में, सुरक्षा के क्षेत्र मे आदि।